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MCD: स्थायी समिति के एक सीट पर हुआ चुनाव आप और भाजपा के लिए बना प्रतिष्ठा का सवाल

स्थायी समिति में एक सीट से जीत के बाद इस 18 सदस्यीय समिति में भाजपा के 10 और आम आदमी पार्टी के 8 सदस्य हो गए है. ऐसे में स्थायी समिति के चेयरमैन पर भाजपा का कब्जा होना जरूरी है. नगर निगम के वित्त से जुड़े सभी अहम फैसले स्थायी समिति के जिम्मे होती है. ऐसे में नगर निगम पर आप का शासन होने के बाद भी वित्तीय मामलों में भाजपा का दखल बढ़ जायेगा.

MCD: दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के एक बचे हुए सीट पर भाजपा उम्मीदवार की जीत को लेकर आप और भाजपा के बीच सियासी और अदालती लड़ाई शुरू हो गयी है. स्थायी समिति में एक सीट से जीत के बाद इस 18 सदस्यीय समिति में भाजपा के 10 और आम आदमी पार्टी के 8 सदस्य हो गए है. ऐसे में स्थायी समिति के चेयरमैन पर भाजपा का कब्जा होना जरूरी है. नगर निगम के वित्त से जुड़े सभी अहम फैसले स्थायी समिति के जिम्मे होती है. ऐसे में नगर निगम पर आप का शासन होने के बाद भी वित्तीय मामलों में भाजपा का दखल बढ़ जायेगा. इसे देखते हुए आम आदमी पार्टी की ओर से शनिवार को स्थायी समिति के एक सीट पर हुए चुनाव को अवैध बताया जा रहा है.

मुख्यमंत्री आतिशी ने शनिवार को कहा कि उपराज्यपाल के आदेश पर शुक्रवार को हुए स्थायी समिति के चुनाव को अवैध करार दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर निगम कानून के तहत चुनाव कराने का अधिकार सिर्फ मेयर को है और उसकी अनुपस्थिति में उपमेयर चुनाव करा सकते हैं. देश संविधान से चलेगा और संसद में पारित कानून के अनुसार नगर निगम के कामकाज में उपराज्यपाल हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. पार्टी इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. आतिशी ने कहा कि भाजपा खुलेआम लोकतंत्र का मजाक उड़ा रही है और उसे संविधान से कोई मतलब नहीं है. 


भाजपा भी मेयर के खिलाफ पहुंची है सुप्रीम कोर्ट

स्थायी समिति के एक सदस्य के लिए शुक्रवार काे चुनाव होना तय था. चुनाव के लिए पूरी तैयारी हो चुकी थी. लेकिन आम आदमी के पार्षदों ने मतदान केंद्र तक मोबाइल ले जाने की मांग के कारण हंगामा हो गया और चुनाव नहीं हो पाया. इसके बाद मेयर ने पांच अक्टूबर को चुनाव कराने की घोषणा कर दी. मेयर के फैसले को पलटते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नगर निगम के आयुक्त को शनिवार को चुनाव कराने का आदेश दिया. शनिवार को हुए चुनाव के दौरान आप और कांग्रेस ने इससे दूरी बना ली है

भाजपा पार्षद सुंदर सिंह भाटी 115 मतों से चुनाव जीत गए. चुनाव के बाद भाजपा पार्षद इकबाल सिंह ने मेयर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जानबूझकर चुनाव टालने का आरोप लगाया. अब आम आदमी पार्टी भी उपराज्यपाल के चुनाव कराने को आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. संभावना है कि अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो सकती है. वैसे जानकारों का कहना है कि मेयर को स्थायी समिति का चुनाव टालने का अधिकार नहीं है. पूर्व में मेयर के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट कड़ी आपत्ति जाहिर कर चुका है. 

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