दुकानदारों को देनी होगी हलाल या झटका मीट की जानकारी, एनडीएमसी ने पास किया प्रस्ताव, जानिए दोनों में क्या है अंतर
अब देश की राजधानी दिल्ली में स्थित सभी रेस्टोरेंटों को यह जानकारी देना अनिवार्य होगा कि परोसा गया मीट झटका है या हलाल. बता दें, दिल्ली के उत्तरी नगर निगम ने मंगलवार को इसको लेकर एक प्रस्ताव पास किया है. इस फैसले के बाद उत्तरी नगर निगम के अंगर्गत आने वाले सभी रेस्टोरेंट और मीट दुकानों पर झटका या हलाल की जानकारी देनी होगी.
-
रेस्टोरेंट और मीट शॉप को बताना होगा मीट हलाल या झटका
-
झटका और हलाल का बोर्ड लगाना अनिवार्य
-
एनडीएमसी ने पास किया प्रस्ताव
अब देश की राजधानी दिल्ली में स्थित सभी रेस्टोरेंटों को यह जानकारी देना अनिवार्य होगा कि परोसा गया मीट झटका है या हलाल. बता दें, दिल्ली के उत्तरी नगर निगम ने मंगलवार को इसको लेकर एक प्रस्ताव पास किया है. इस फैसले के बाद उत्तरी नगर निगम के अंगर्गत आने वाले सभी रेस्टोरेंट और मीट दुकानों पर झटका या हलाल की जानकारी देनी होगी. वहीं, उत्तरी दिल्ली के मेयर जय प्रकाश ने कहा है कि, सदन ने बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है अब रेस्टोरेंट और दुकानों को अनिवार्य रूप से बताना होगा कि जो मीट बेचा जा रहा है या परोसा जा रहा है, वो हलाल या झटका है.
In Hinduism & Sikhism, 'halal' meat is prohibited. So we approved a proposal, making it mandatory for all restaurants, dhabas & meat shops in North Delhi Municipal Corporation to put up posters stating whether they serve/sell 'halal' or 'jhatka' meat: Mayor Jai Prakash pic.twitter.com/YloDkTvXUN
— ANI (@ANI) March 31, 2021
धार्मिक भावनाओं का सम्मानः इस मामले में बीजेपी पार्षद अनीता तंवर ने बताया कि, यह प्रस्ताव किसी के मांस खाने पर पाबंदी लगाने से संबंधित नहीं है. बल्कि, यह अपनी पसंद का मीट खाने की आजादी देता है. उन्होंने कहा कि, हिंदू हलाल मीट खाना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में अगर रेस्त्रां या मीट शॉप में एक बोर्ड लगा दिया जाएगा कि बेचने या परोसने वाला मीट हलाल है या झटका को लोगों को पता चल जाएगा कि वहां किस तरह का मीट परोसा जा रहा है.
बता दें, उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 104 वॉर्ड आते हैं, इन सभी वॉर्डों में बड़ी संख्या में रेस्टोरेंट और मीट दुकानें हैं. ऐसे में अब ग्राहकों को यह पता चल जाएगा कि वो जो मीट खा रहे हैं या खरीद रहे हैं वो झटका है या हलाल. हालांकि, झटका या हलाल को लेकर नगर निगम ने प्रस्ताव पास कर दिया है, लेकिन अभी इससे जुड़े नियम जारी नहीं किए गए हैं.
हलाल और झटका मीट में अंतर: इस नियम के तहत अब रेस्टोरेंट या मीट दुकानों को मीट कटिंग की जानकारी दी जाएगी. लेकिन अब सवाल है कि झटका और हलाल क्या होता है. दरअसल, हलाल मीट के लिए जानवर की गर्दन को एक तेज धार वाले चाकू से रेता जाता है. जिसे जभा कहते हैं.
मुस्लिम समुदाय में हलाल परंपरा से ही जानवरों को मारा जाता है. जबकि, झटका के तहत जानवरों को सिर को धारदार हथियार से एक ही बार में काटकर अलग कर दिया जाता है. मुसलमान किसी भी हाल में हलाल मीट ही खाते हैं, जबकि सिख और हिंदू झटका मीट को पसंद करते हैं.
Posted by: Pritish Sahay