प्रवासी मजदूरों को गांव में ही मिलेगा काम, खर्च होंगे 50 हजार करोड़
लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे हैं. केंद्र सरकार ने इन लोगों को उनके ही गांव में रोजगार मुहैया कराने के लिए एक मेगा योजना तैयार की है.
नयी दिल्ली : लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे हैं. केंद्र सरकार ने इन लोगों को उनके ही गांव में रोजगार मुहैया कराने के लिए एक मेगा योजना तैयार की है. इस योजना का नाम है गरीब कल्याण रोजगार मिशन. इसके तहत गांवों में स्थायी बुनियादी ढांचा तैयार कर रोजगार के अवसर को बढ़ाया जायेगा. 20 जून को खुद पीएम मोदी इस मिशन की शुरुआत बिहार से करेंगे.
गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने पूरे देश में 116 जिलों की पहचान की है, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर घर लौटे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओड़िशा, राजस्थान में प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में घर लौटे हैं. उनके लिए रोजगार उपलब्ध करवाना हमारी पहली प्राथमिकता है. सरकार ने ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ का बजट 50 हजार करोड़ रुपये रखा है.
125 दिनों के लिए है यह अभियान
-
गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ को 125 दिनों के लिए लागू किया जायेगा
-
सरकार की 25 स्कीमें शामिल की जायेंगी
-
25 हजार मजदूरों को मिलेगा 125 दिनों का काम
झारखंड के तीन जिले
इन छह राज्यों के 116 जिलों में 67 लाख मजदूर वापस हुए हैं. इन 116 जिलों में बिहार के 32, उत्तर प्रदेश के 31, मध्य प्रदेश के 24, राजस्थान के 22, ओड़िशा में चार और झारखंड के तीन जिले शामिल हैं.
हजारीबाग के 62 हजार मजदूर होंगे लाभान्वित
हजारीबाग जिले में 62 हजार से अधिक प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को केंद्र सरकार के गरीब कल्याण रोजगार योजना का लाभ मिलेगा. योजना के तहत चयनित झारखंड के तीन जिलों में हजारीबाग शामिल है. डीसी डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने कहा कि मनरेगा, नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराये जा रहे हैं.