दिल्ली के स्कूलों में मोबाईल ले जाना बंद, बच्चे ही नहीं शिक्षकों पर भी कसी गयी नकेल
अब दिल्ली के स्कूलों में मोबाईल ले जाना बैन है. शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली के सरकारी व निजी स्कूलों की कक्षाओं में छात्रों के मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने पर सख्त पाबंदी है.
Delhi School Mobile Ban : दिल्ली के स्कूलों में बच्चों पर नकेल कसी जाएगी. जो बच्चे अपने स्कूल में अपने साथ मोबाईल फोन ले जाते है उनके लिए यह खबर मायूसी वाली साबित हो सकती है. जी हां, अब दिल्ली के स्कूलों में मोबाईल ले जाना बैन है. शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली के सरकारी व निजी स्कूलों की कक्षाओं में छात्रों के मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने पर सख्त पाबंदी है.
शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को भी निर्देश
सिर्फ इतना ही नहीं, दिल्ली के स्कूलों में अब शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को भी धड़ल्ले से फोन इस्तेमाल पर मनाही हो गयी है. शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को कक्षाओं, खेल के मैदानों, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों जैसे स्थानों पर मोबाइल फोन का उपयोग करने से बचने के लिए भी कहा गया है. ऐसे में निदेशालय के इस फैसले से जहां एक ओर कुछ अभिभावकों में खुशी है वहीं, कुछ बच्चे मायूस भी है.
डीओई का परिपत्र
इस आदेश के संबंधित डीओई ने एक परिपत्र में कहा, “माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे स्कूल परिसर में मोबाइल फोन न लाएं. यदि छात्र स्कूल में मोबाइल फोन लाते हैं, तो स्कूल प्राधिकरण को उन्हें लॉकर में रखने की व्यवस्था करनी चाहिए और छुट्टी होने के बाद छात्रों को मोबाइल फोन वापस लौटा देना चाहिए.” परिपत्र में स्कूल अधिकारियों को हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है, जहां छात्र व अभिभावक आपात स्थिति में कॉल कर सकें. यह परामर्श दिल्ली के सभी सरकारी और निजी स्कूलों के लिए जारी किया गया है.
स्कूल अधिकारियों से हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराने को कहा
साथ ही पत्र में लिखा हुआ है, ‘शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को शिक्षण और सीखने की गतिविधियों यानी कक्षाओं, खेल के मैदानों, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालय आदि में मोबाइल का उपयोग करने से परहेज किया जाता है.’ एडवाइजरी में स्कूल अधिकारियों से हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराने को कहा गया है, जहां छात्र और अभिभावक आपात स्थिति में कॉल कर सकें. क्योंकि अधिकतर बच्चे इसी नाम पर मोबाईल ले जाते थे कि जरूरत पड़ने पर उन्हें अपने परिवारवालों से बात करना पड़ सकता है.
Also Read: ‘जम्मू-कश्मीर का बिना शर्त हुआ था भारत में विलय’, आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान
पत्र में साफ तौर पर लिखा हुआ है, ‘स्कूल अधिकारी माता-पिता/छात्रों को पर्याप्त समर्पित हेल्पलाइन नंबर प्रदान कर सकते हैं जहां से छात्र कॉल प्राप्त कर सकते हैं और कॉल कर सकते हैं. तदनुसार, सभी सरकारी स्कूलों के एचओएस और डीओई के निजी गैर-सहायता प्राप्त/सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों के सभी एचओएस/प्रबंधक को सलाह दी जाती है कि वे सभी छात्रों और अभिभावकों के साथ-साथ अपने यहां काम करने वाले सभी शिक्षण/गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उपरोक्त जानकारी प्रसारित करें. स्कूल और आवश्यक कार्रवाई करें.’
सोर्स : भाषा इनपुट