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मातृभाषा आधारित शिक्षा आज के समय की मांग, हिंदू काॅलेज में बोलीं प्रो अंजू श्रीवास्तव

प्रो श्रीवास्तव ने कालेज की साहित्यिक संस्था संहिता को मातृभाषा सप्ताह की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि सह शैक्षणिक गतिविधियों से विद्यार्थियों का क्षितिज और व्यापक होता है.

मातृभाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाकर हम अधिक अकादमिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं. नयी शिक्षा नीति ने मातृभाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाने की अभूतपूर्व पहल की है जिसे अपनाना समय की जरूरत है. हिंदू काॅलेज की प्राचार्या प्रो अंजू श्रीवास्तव ने कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में चल रहे मातृभाषा सप्ताह के समापन पर कहा कि भारत भाषाओं का घर है जहां चार कोस पर वाणी… बदले जैसे मुहावरे विद्यमान हैं.

शैक्षणिक गतिविधियों से विद्यार्थियों को होता है फायदा

प्रो श्रीवास्तव ने कालेज की साहित्यिक संस्था संहिता को मातृभाषा सप्ताह की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि सह शैक्षणिक गतिविधियों से विद्यार्थियों का क्षितिज और व्यापक होता है. संहिता के परामर्शदाता डॉ विमलेन्दु तीर्थंकर ने कहा कि भाषाओं का समुचित ज्ञान और प्रभावशाली उपयोग हमें सही मायने में मनुष्य बनाता है. तीर्थंकर ने संहिता की भावी गतिविधियों की जानकारी भी दी. संहिता के छात्र अध्यक्ष श्रेयांश ने मातृभाषा सप्ताह में आयोजित हस्ताक्षर अभियान की रिपोर्ट प्रस्तुत की और छात्रा उपाध्यक्ष रेवती ने मातृभाषा पर कुछ कविताओं का पाठ किया.

21 फरवरी को मनाया जाता है मातृभाषा दिवस

आयोजन में हिंदी विभाग के आचार्य रामेश्वर राय, डॉ पल्लव, डॉ रमेश कुमार राज, संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ पूरनमल वर्मा सहित अध्यापक और विद्यार्थी सम्मिलित हुए. अंत में संहिता कोषाध्यक्ष श्रुति और सृजन प्रमुख मिली ने आभार प्रदर्शन किया. ज्ञात हो कि हर साल 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस का आयोजन किया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य मातृभाषा को संरक्षित करना है, ताकि भाषा की मौत ना हो.

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