नई दिल्ली : आर्थिक रूप से मिथिला का क्षेत्र आज भी पिछड़ा हुआ है. राज्य सरकार की योजनाओं का उस रूप में असर नहीं दिख रहा है, जितना अपेक्षित है. मिथिला में आर्थिक परिदृश्य सदृढ़ किया जा सकता है और सतत नकारात्मक सोच को अपने प्रयासों और दखल से बदला जा सकता है. इसी सोच से प्रेरित एक बहुआयामी रूपरेखा लेकर मिथिला एंजेल नेटवर्क और सेंटर फॉर स्टडीज आफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स के संयुक्त तत्वावधान में तैयार की गई है. मिथिला एंजेल नेटवर्क के अरविंद कुमार और सेंटर फॉर स्टडीज आफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स की निदेशक डॉ सविता झा ने नई दिल्ली से पटना पहुंचकर बिहार सरकार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ से मुलाकात की. मंत्री ने रूपरेखा को प्राथमिकता के आधार पर देखने और उसके अनुरूप कार्ययोजना बनाने की बात कही है.
तीन घंटे तक चली बातचीत
नई दिल्ली से चलकर पटना में उद्योग मंत्री से मिलकर दिल्ली पहुंचने के बाद मिथिला एंजेल नेटवर्क के अरविंद कुमार ने बताया कि मिथिला के आर्थिक मसले पर बनाए गए इस रूपरेखा में जमीनी हकीकत और केंद्र-राज्य के आर्थिक नीतियों का गहन अध्ययन कर योजना बनाई गई है. इसी सिलसिले में बिहार सरकार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ के साथ पटना में तीन घंटे की मैराथन बैठक में विस्तृत चर्चा की गई. स्पेशल इकोनॉमिक जोन और सीटिजन काउंसिल के गठन सीईएसीओएम ( सिटीजन इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल फॉर मिथिला) संबंधित योजनाओं और आगामी संभावनाओं पर विमर्श किया गया. राज्य को उपभोक्ता संस्कृति से उत्पादक संस्कृति की तरफ ले जाना होगा.
कभी तो मिथिला में भोर होगा
इस मुलाकात के दौरान सेंटर फॉर स्टडीज आफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स की निदेशक सेंटर फॉर स्टडीज आफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स ने कहा कि हमने बिहार सरकार के मंत्री के सामने पूरी बात रखी है. अभी भले ही मिथिला के लोगों को आर्थिक रूप से रात का आभास होता हो, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि कभी तो भोर होगा. हम अपने साथियों के साथ मिलकर उजास लाएंगे. डॉ सविता झा ने बताया कि बीते दिनों हमने दरभंगा में एक नेशनल सेमिनार का आयोजन किया था.