नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक सुनवाई के दौरान आज अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार को कई सुझाव दिये हैं. कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति आपात स्थिति में ही अस्पताल जाता है. ऐसे में वेटिंग लिस्ट का कोई मतलब नहीं है. बता दें कि दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर अस्पताल में बेड के लिए वेटिंग लिस्ट (waiting list) डालने की एक वकील ने दलील दी थी. कोर्ट ने कहा कि महामारी के इस दौर में कोई इंतजार नहीं करना चाहता है.
दरअसल एक वकील ने कोर्ट में दलील दी कि अगर अस्पतालों की प्रतीक्षा सूची को सरकार की वेबसाइट पर तेजी से अपडेट किया जाए तो लोगों को सुविधा होगी. वकील की इस दलील को कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि आज इस मुश्किल दौर में कोई इंतजार नहीं करना चाहता. अस्पतालों में प्रतीक्षा सूची का कोई मतलब ही नहीं है. अस्पताल आपात स्थिति के लिए है.
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि जब तक आपात स्थिति नहीं हो कोई अस्पताल नहीं जाता है. ऐसे में कोई व्यक्ति सुबह पंजीकरण कराए और उसे शाम में या अगले दिन अस्पताल में बेड दिया जाए, ऐसा नहीं हो सकता. हाई कोर्ट ने आज भी कोविड-19 से जुड़े मुद्दों पर घंटो सुनवाई की. कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा भी मौजूद थे.
चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के साथ समन्वय बनाकर कोविड के खिलाफ लड़ाई में पूर्ण सहयोग कर रही है. सैन्य बलों द्वारा नोडल अधिकारी की तैनाती की जा रही है. इससे अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में तेजी आयेगी. साथ ही क्रायोजेनिक टैंकर लगाने और उनके आवागमन में होने वाली असुविधा को दूर किया जा सकेगा.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सुझाव दिया है कि गरीब और कमजोर तबके के लोगों को कोविड संक्रमित होने की स्थिति में सरकार की ओर से पैरासिटामोल जैसी दवाओं के साथ-साथ थर्मामीटर और स्टीमर्स भी दिया जाना चाहिए. इससे होम आइसोलेशन में रह रहे लोग भी नियमित रूप से अपने शरीर का तापमान माप सकेंगे और घरों पर ही भाप लेने जैसी प्रक्रिया आसानी से कर पायेंगे.
Posted By: Amlesh Nandan.