‘नफरत फैलाने वालों को अपनी दुकान बंद करनी होगी’, पढ़ें PM Modi के संबोधन की 7 प्रमुख बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के जरिये देश में हर भाषा को उचित महत्व दिया जायेगा, छात्रों के साथ न्याय किया जायेगा और नफरत फैलाने के मकसद से भाषा को लेकर राजनीति करने वालों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
PM Modi In Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के जरिये देश में हर भाषा को उचित महत्व दिया जायेगा, छात्रों के साथ न्याय किया जायेगा और नफरत फैलाने के मकसद से भाषा को लेकर राजनीति करने वालों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने एनईपी के तीन साल पूरे होने के अवसर पर ‘अखिल भारतीय शिक्षा समागम’ के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि छात्रों के साथ सबसे बड़ा अन्याय उन्हें उनकी क्षमताओं के बजाय उनकी भाषा के आधार पर आंकना है. आइए जानते है पीएम मोदी के संबोधन की 7 प्रमुख बातें…
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मोदी ने कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश की हर भाषा को उचित सम्मान और श्रेय देगी… जो लोग अपने स्वार्थ के लिए भाषा का राजनीतिकरण करने की कोशिश करते हैं, उन्हें अब अपनी ‘नफरत की दुकान’ बंद करनी होंगी.’ उन्होंने कहा, ‘मातृभाषा में शिक्षा भारत में छात्रों के लिए न्याय के एक नए रूप की शुरुआत कर रही है. यह सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है.’ दुनिया में भाषाओं की अधिक संख्या और उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कई विकसित देशों को उनकी स्थानीय भाषाओं के कारण बढ़त मिली है. उन्होंने यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि ज्यादातर देश अपनी मूल भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
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मोदी ने इस बात पर अफसोस जताया कि भले ही भारत में कई स्थापित भाषाएं हैं, लेकिन इन्हें पिछड़ेपन की निशानी के तौर पर पेश किया जाता है और जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल सकते, उनकी उपेक्षा की जाती है और उनकी प्रतिभा को मान्यता नहीं दी जाती है. उन्होंने कहा, ‘इसके परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित रहते हैं. एनईपी को लाये जाने के साथ देश ने अब इस धारणा को त्यागना शुरू कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र में भी, मैं भारतीय भाषा में बोलता हूं.’ मोदी ने कहा कि सामाजिक विज्ञान से लेकर इंजीनियरिंग तक के विषय अब भारतीय भाषाओं में पढ़ाये जायेंगे. उन्होंने कहा, ‘जब छात्र किसी भाषा में आत्मविश्वास रखते हैं, तो उनका कौशल और प्रतिभा बिना किसी पाबंदी के उभर कर सामने आयेगी.’
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प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भारत को नयी संभावनाओं की ‘नर्सरी’ के तौर पर देख रही है और कई देश अपने यहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के परिसर खोलने के लिए सरकार से संपर्क कर रहे हैं. मोदी ने कहा, ‘दुनिया भारत को नयी संभावनाओं की ‘नर्सरी’ के तौर पर देख रही है. कई देश अपने यहां आईआईटी परिसर खोलने के लिए हमसे संपर्क कर रहे हैं. दो आईआईटी परिसरों-तंजानिया में एक परिसर और अबू धाबी में एक परिसर-का संचालन शुरू होने वाला है… कई वैश्विक विश्वविद्यालय भी हमसे संपर्क कर रहे हैं. वे भारत में अपने परिसर खोलने में रुचि दिखा रहे हैं.’
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उन्होंने कहा, ‘एनईपी का लक्ष्य भारत को अनुसंधान एवं नवोन्मेष का केंद्र बनाना है. इस नीति में ज्ञान की पारंपरिक प्रणालियों और भविष्योन्मुखी प्रौद्योगिकी को समान महत्व दिया गया है.’ मोदी ने विद्यालयों से छात्रों को आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा जैसे विषयों के बारे में जागरूक बनाने के लिए कहा. इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ‘पीएम श्री’ योजना के तहत निधि की पहली किस्त जारी की. इस योजना के तहत स्कूल छात्रों को इस तरह से पोषित करेंगे कि वे एनईपी द्वारा परिकल्पित न्यायसंगत, समावेशी और बहुलवादी समाज के निर्माण के लिए योगदान देने वाले नागरिक बनें.
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प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 12 भारतीय भाषाओं में अनूदित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का विमोचन भी किया. यह दो दिवसीय समागम यहां प्रगति मैदान के ‘भारत मंडपम’ में आयोजित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ एकीकृत करने के कदमों और शिक्षा को अधिक रोचक बनाने के तरीकों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि प्रयोगशालाओं की सुविधा पहले कुछ ही स्कूलों तक सीमित थी. उन्होंने ‘अटल टिंकरिंग लैब्स’ पर प्रकाश डाला जहां 75 लाख से अधिक छात्र विज्ञान और नवाचार के बारे में सीख रहे हैं.
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मोदी ने कहा, ‘विज्ञान हर किसी के लिए खुद को सरल बना रहा है. ये युवा वैज्ञानिक ही हैं जो महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व करके और भारत को दुनिया के अनुसंधान केंद्र में बदलकर देश के भविष्य को आकार देंगे. किसी भी सुधार के लिए साहस की आवश्यकता होती है और साहस की उपस्थिति नई संभावनाओं को जन्म देती है.’ प्रधानमंत्री ने सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी और स्पेस टेक का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की क्षमता से मुकाबला करना आसान नहीं है. रक्षा प्रौद्योगिकी के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का ‘‘कम लागत’’ और ‘‘सर्वोत्तम गुणवत्ता’’ का मॉडल सफल होना निश्चित है.
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मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘सक्षम युवाओं का निर्माण एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण की सबसे बड़ी गारंटी है’’ और माता-पिता और शिक्षक इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा, ‘हमें भविष्य पर नजर रखनी होगी और भविष्यवादी मानसिकता के साथ सोचना होगा. हमें बच्चों को किताबों के दबाव से मुक्त करना होगा.’ अगस्त 2020 में सरकार द्वारा अनुमोदित एनईपी ने 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जगह ले ली है. इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिए स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है.