प्रदूषण की समस्या को एक दिन में हल नहीं किया जा सकता है, लगातार प्रयास की आवश्यकता : जावड़ेकर

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कहा कि प्रदूषण की समस्या को एक दिन में हल नहीं किया जा सकता है. प्रदूषण फैलानेवाले हर कारक से निबटने के लिए लगातार प्रयास की जरूरत है. फेसबुक लाइव कार्यक्रम के जरिये लोगों से संवाद करते हुए, जावड़ेकर ने कहा कि देश में वायु प्रदूषण के पीछे प्रमुख कारक यातायात, उद्योग, अपशिष्ट, धूल, पराली, भूगोल एवं मौसमी दशाएं हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में वायु प्रदूषण में धूल बड़ा कारक है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2020 10:26 PM
an image

नयी दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कहा कि प्रदूषण की समस्या को एक दिन में हल नहीं किया जा सकता है. प्रदूषण फैलानेवाले हर कारक से निबटने के लिए लगातार प्रयास की जरूरत है. फेसबुक लाइव कार्यक्रम के जरिये लोगों से संवाद करते हुए, जावड़ेकर ने कहा कि देश में वायु प्रदूषण के पीछे प्रमुख कारक यातायात, उद्योग, अपशिष्ट, धूल, पराली, भूगोल एवं मौसमी दशाएं हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में वायु प्रदूषण में धूल बड़ा कारक है.

मंत्री ने कहा कि कहा कि उत्तर भारत में मृदा का प्रकार कछारी है. इस वजह से काफी धूल रहती है, जो क्षेत्र में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है. जावड़ेकर ने कहा, ”इससे निबटने के लिए धूल को उड़ने से रोका जाता है और पानी का छिड़काव किया जाता है. हम कच्ची सड़कों को बंद करने के लिए सभी एजेंसियों, सरकारों (राज्य) और निगमों से कह रहे हैं.” मंत्री ने कहा, ”प्रदूषण की समस्या एक दिन में हल नहीं की जा सकती है. प्रत्येक कारक से निपटने के लिए लगातार प्रयास की जरूरत है.”

उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण से निबटना सिर्फ नगर निगमों और नगर सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. जावड़ेकर ने कहा, ”वायु का क्षेत्र बहुत बड़ा है, जिसमें राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के हिस्से शामिल हैं.” उन्होंने कहा, ”सालभर में कई बैठकें करने के बाद, हमने लघु अवधि, मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि योजनाएं बनायी हैं और प्रगति की समीक्षा की है.” मंत्री ने कहा कि अगले तीन-चार साल में वायु गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भारत के अन्य 100 शहरों में भी यही दृष्टिकोण अपनाया जायेगा.

जावड़ेकर ने कहा कि ई-वाहन लोकप्रिय हो रहे हैं और भारत में फिलहाल दो लाख ई-वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है और उनमें से करीब 70,000 गाड़ियों पर सरकार ने सब्सिडी दी है. उन्होंने कहा, ”मैं खुद ई-वाहन का इस्तेमाल करता हूं. ई-कार किफायती है. व्यक्ति 70-80 पैसे में एक किलोमीटर की यात्रा कर सकता है. मैं ई-स्कूटी भी चलाता हूं.” मंत्री ने कहा कि सरकार बीएस छह ईंधन लेकर आई, जिसने वाहनों के उत्सर्जन को 60 फीसदी तक कम कर दिया. वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए मेट्रो और ई- बसों को लाया गया है.

उन्होंने कहा, ”गाड़ियों के प्रदूषण को कम करने के लिए बीएस छह मानक में परिवर्तित होना एक और क्रांतिकारी कदम है. बीएस छह ईंधन नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को डीजल की कारों में 70 प्रतिशत तक कम करता है. जबकि, पेट्रोल से चलनेवाली कारों में 25 फीसदी तक कम करता है तथा गाड़ियों में सूक्ष्म कणों को 80 प्रतिशत तक कम करता है.” उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक प्रदूषण फैलाने वाले विद्युत संयंत्रों को बंद करने के लिए कदम उठा रही है. ईंट भट्टों के लिए ‘जिगजैग’ प्रौद्योगिकी लायी गयी है, जबकि उद्योग पाइप के जरिए प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं.

जावड़ेकर ने कहा कि ‘अच्छी’ वायु के दिनों की संख्या में इजाफा हुआ है. यह 2016 में 106 थे, जो 2020 में एक जनवरी से 30 सितंबर के बीच 218 रहे. जावड़ेकर ने कहा कि ‘खराब वायु’ के दिनों की संख्या भी कम हुई है. यह 2016 में 156 दिन थी, जो 2020 में 56 दिवस रह गयी. पिछले पांच साल में देश का हरित क्षेत्र 15000 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ा है. उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण से निबटने में लोगों की बड़ी भूमिका है. मंत्री ने लोगों से आग्रह किया कि वे अलग-अलग शहरों में प्रदूषण की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ‘समीर’ मोबाइल ऐप डाउनलोड करें.

Exit mobile version