Delhi Pollution: सांस लेना हुआ मुश्किल, खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण, इन वाहनों के चलने पर पाबंदी
Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण के कारण लोगों का सासं लेना मुश्किल होता जा रहा है. दिल्ली के अस्पतालों में खांसी, जुकाम और सांस लेने में कठिनाई महसूस करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यहीं नहीं डॉक्टर प्रदूषण को देखते हुए लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं.
Delhi Pollution: दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो गया है. वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. बढ़ते प्रदूषण को देख राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर में GRAP-4 को लागू करने के आदेश दे दिए हैं. इसके तहत दिल्ली में ट्रक यातायात का प्रवेश रोक दिया गया है. हालांकि, इसमें आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले, आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले और सभी सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रक को शामिल नहीं किया गया है.
#AirPollution | Commission for Air Quality Mgmt in National Capital Region & Adjoining Areas orders to implement GRAP-4 in Delhi-NCR
Entry of truck traffic into Delhi (except for trucks carrying essential commodities/providing essential services & all CNG/electric trucks)stopped pic.twitter.com/G2aAjXGPuU
— ANI (@ANI) November 3, 2022
अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या: दिल्ली में प्रदूषण के कारण लोगों का सासं लेना मुश्किल होता जा रहा है. दिल्ली के अस्पतालों में खांसी, जुकाम और सांस लेने में कठिनाई महसूस करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यहीं नहीं डॉक्टर प्रदूषण को देखते हुए लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं. दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह 9:10 बजे 426 मापा गया. एक्यूआई का 400 से अधिक स्तर ‘गंभीर’ की श्रेणी में आता है. ओखला के होली फैमिली अस्पताल में ओपीडी में इस तरह के रोगों के लिए दिखाने आने वाले मरीजों की संख्या 30 फीसदी बढ़ गयी है.
पराली जलाने के कारण बढ़ रहा प्रदूषण: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ने का कारण पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना भी बताया जा रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर 426 रहा. रिपोर्ट के मुताबिक 13 फीसदी लोगों को लगता है कि वायु प्रदूषण का मुख्य कारण ‘वाहनों से होने वाला उत्सर्जन’ है, जबकि सात फीसदी लोगों ने इसके लिए शहर में ‘कूड़ा जलाने’ को जिम्मेदार ठहराया.
बढ़ी है पराली जलाने की घटना: इधर, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा था कि पंजाब में 2021 की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाएं 19 फीसद बढ़ गयी है. इसी कड़ी में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली मौसम पूर्वानुमान एजेंसी सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा, ‘‘दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का हिस्सा बढ़कर करीब 38 हो गया है जो बहुत ज्यादा है. उन्होंने कहा कि नोएडा में वायु प्रदूषण बदतर है क्योंकि यह पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के मार्ग में है.