प्रणब दा शून्य में विलीन : सात दिनों का राजकीय शोक
पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी (84) का सोमवार को निधन हो गया. वह कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.
नयी दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी (84) का सोमवार को निधन हो गया. वह कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. फेफड़ों में संक्रमण की वजह से वह सेप्टिक शॉक में थे. प्रणब दा को मस्तिष्क में खून का थक्का जमने के कारण 10 अगस्त को भर्ती कराया गया था. बाद में वह कोरोना संक्रमित भी पाये गये थे. प्रणब मुखर्जी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने शोक जताया है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, उनके जाने से पूरा देश शोक में है.
50 साल से ज्यादा रहा राजनीतिक करियर : 1969 में प्रणब मुखर्जी ने मिदनापुर में स्वतंत्र उम्मीदवार वीके कृष्णा मेनन के लिए कैंपेन में हिस्सा लिया था. वहां इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कांग्रेस में ले आयीं. प्रणब मुखर्जी उसी साल राज्यसभा सांसद और 1973 में मंत्री बने. जब इंदिरा गांधी 1980 में सत्ता में लौटीं, तो मुखर्जी राज्यसभा में सदन के नेता और 1982 में वित्त मंत्री बने. वह 1998 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी को स्थापित करने में सहायक थे. उन्हें प्यार से लोग ‘प्रणब दा’ बुलाते थे. जुलाई 2012 में वह भारत के राष्ट्रपति बने और जुलाई 2017 तक देश के ‘प्रथम नागरिक’ रहे.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि, कहा – प्रणब दा व्यक्ति नहीं संस्था : भारत रत्न प्रणब दा के निधन से राजनीति के एक युग का अंत हुआ है. प्रणब दा एक ऐसे नेता रहे, जो कांग्रेस पार्टी से संबद्ध रहने के बावजूद सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रति सद्भावना, आदर और प्रेम का भाव बानाये रखते थे. आज वे पल याद आ रहे हैं, जब प्रणब दा राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे थे. प्रणब दा यूपीए समर्थित उम्मीदवार थे. उस समय झामुमो, भाजपा के साथ झारखंड सरकार में शामिल था. मैं उप मुख्यमंत्री था. स्वाभाविक तौर पर प्रणब दा झामुमो से समर्थन की उम्मीद नहीं कर रहे थे, क्योंकि संगमा एनडीए समर्थित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे.
मुझे याद है जिस समय संगमा साहब और प्रणब दा हर राज्य जा कर समर्थन मांग रहे थे, उसी समय एक दिन अचानक दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी ने मुझे बुलाया और पूछा कि प्रणब दा हर जगह जा रहे हैं, हम लोगों से संपर्क क्यों नहीं कर रहे. मैंने उन्हें कहा कि अभी झामुमो भाजपा के साथ सरकार में शामिल है और भाजपा ने संगमा साहब को समर्थन दिया है, इसलिए प्रणब दा यह समझ रहे हैं कि झामुमो, भाजपा समर्थित उम्मीदवार को अपना वोट देगा.
मुझे याद है तब दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी ने बिल्कुल डांटते हुए कहा कि प्रणब दा एक व्यक्ति नहीं बल्कि खुद में एक संस्था हैं. प्रणब दा ने अपने राजनीतिक अनुभव और ज्ञान सभी दलों के नेताओं से साझा किया और मार्ग दर्शन दिया है, इसलिए प्रणब दा को ये खबर भिजवाओ कि झामुमो उन्हें समर्थन करेगा. दिशोम गुरु के आदेश होते ही मैंने मेरे राजनीतिक सलाहकार रहे हिमांशु जी के माध्यम से प्रणब दा तक ये बात पहुंचायी कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी का आदेश है कि झामुमो प्रणब दा को वोट करे. कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला के माध्यम से हिमांशु जी की प्रणब दा से बात हुई.
प्रणब दा इस जानकारी को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे. उन्होंने जानकारी की सत्यता को जांचने के लिए मुझे फोन किया. जब मैंने उन्हें कहा कि ये आदरणीय गुरु जी यानी शिबू सोरेन जी का आदेश है, तो ये सुन चंद पल खामोश रहने के बाद उन्होंने कहा : मैं जल्द ही शिबू सोरेन जी से मिलने रांची आऊंगा.
राष्ट्रपति चुनाव प्रचार की समय अवधि खत्म होने से पहले वे रांची पहुंचे और दिशोम गुरु शिबू सोरेन से उनके रांची स्थित आवास में मिले. उस दौरान दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने प्रणब दा को कहा : आपको आने की कोई जरूरत नहीं थी. मैं आपका बहुत आदर करता हूं.
प्रणब दा ने तत्काल गुरु जी से कहा : जिस व्यक्ति के सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन का मैं मुरीद हूं, वह मेरा आदर करता है. ये सम्मान आजीवन याद रखूंगा. मुझे याद है उस दिन दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सामने प्रणब दा ने मेरे सर पर हाथ रखते हुए कहा, तुम से मुझे बहुत उम्मीद है. मेहनत करो निराश मत करना. उसके बाद कई बार उनसे मिला हर बार उनसे स्नेह, प्यार और आशीर्वाद मिला. मैं और मेरी पार्टी दिवंगत आत्मा को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
प्रणब दा के स्वर्गवास के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा. उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है. सार्वजनिक जीवन में विराट कद हासिल करने वाले प्रणब दा ने भारत की सेवा संत की तरह की.
रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति
भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा देश शोक में है. उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है. वह एक ऐसे विद्वान व राजनीतिज्ञ थे, जो समाज के सभी वर्गों द्वारा प्रशंसित थे.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रणब दा का 50 वर्षों से अधिक का राजनीतिक जीवन भारत के 50 वर्षों के इतिहास को प्रतिबिंबित करता है. उनके साथ काम करने को लेकर मेरी बहुत सारी सुखद यादें हैं. कांग्रेस उनकी स्मृति का सदैव सम्मान करेगी.
सोनिया गांधी, अध्यक्ष, कांग्रेस
Post by : Prirtish Sahay