सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई अब राज्यसभा जाएंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनित किया है. भारत के पूर्वोत्तर राज्य से इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाले वह पहले जस्टिस थे. बता दें, राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किए जाते हैं. ये सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों की जानी मानी हस्तियां होती हैं. गोगोई से पहले मोहम्मद हिदायतुल्लाह और रंगनाथ मिश्रा भी चीफ जस्टिस के पद से रिटायर होने के बाद राज्यसभा के लिए मनोनीत हो चुके हैं.
गुवाहाटी हाई कोर्ट से शुरु की वकालत : 18 नवंबर 1954 को जन्में गोगई असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के पुत्र हैं. उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट से वकालत की शुरुआत की थी. 28 फरवरी 2001 को वह गुवाहाटी हाई कोर्ट में स्थायी जज नियुक्त हुए. 9 सितंबर 2010 को उनका ट्रांसफर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में हुआ. 12 फरवरी 2011 को उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायधीश का पद संभाला. इसके बाद, 23 अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए.
ऐतिहासिक फैसलों के लिए याद किए जाते हैं जस्टिस गोगोई : अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस गोगोई के नेतृत्व वाली 5 सदस्यीय बेंच ने अयोधया विवाद पर फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया. शीर्ष कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने और मुस्लिम पक्षकार को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है.
सबरीमाला मामला : जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर भी सुनवाई की. साथ ही मामले को सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय बड़ी बेंच को भेज दिया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश जारी रहेगा.
सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी: चीफ जस्टिस के तौर पर रंजन गोगोई और पी. सी. घोष की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से सरकारी विज्ञापन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस, संबंधित विभाग के केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संबंधित विभाग के मंत्री के अलावा किसी भी नेता की सरकारी विज्ञापन पर तस्वीर प्रकाशित करने पर पाबंदी है.
सात भाषाओं में फैसला: अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रकाशित करने का फैसला चीफ जस्टिस रहते हुए रंजन गोगोई ने ही लिया था. इससे पहले तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले सिर्फ अंग्रेजी में ही प्रकाशित होते थे.
विवादों में भी रहा था कार्यकाल : जस्टिस गोगोई अपने साढ़े 13 महीनों के कार्यकाल के दौरान विवादों में भी रहे. उन पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगे. लेकिन उन्होंने उन्हें कभी भी अपने काम पर उसे हावी नहीं होने दिया. वह बाद में आरोपों से मुक्त भी हुए. वहींए उनकी अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 9 नवंबर को अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुनाकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया. यह मामला 1950 में सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने के दशकों पहले से चला आ रहा था.
रफ़ाल मामला : सुप्रीम कोर्ट ने रफ़ाल पर सारी पुनर्विचार याचिकाएं ख़ारिज कर दी हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने रफ़ाल सौदे में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार होने की बात को ख़ारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रफ़ाल मामले में जांच की ज़रूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं में दम नहीं है.
अपने ऐतिहासिक फैसलों के लिए जस्टिस गोगोई हमेशा याद किये जाएंगे. बतौर चीफ जस्टिस उनके फैसले से कई लोग खुश होंगे, कुछ नाराज भी होंगे. लेकिन कोई भी उनके फैसलों को नजरअंदाज नहीं कर सकेगा.