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मोदी के सोशल अकाउंट्स से सात महिलाओं ने सुनायी अपनी प्रेरक कहानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सात महिलाओं को अपना सोशल मीडिया अकाउंट्स सौंप दिया.

By Pritish Sahay | March 9, 2020 3:35 AM

दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सात महिलाओं को अपना सोशल मीडिया अकाउंट्स सौंप दिया. इनमें सामाजिक कार्यकर्ता मालविका अय्यर, चेन्नई की स्नेहा मोहनदास, श्रीनगर की आरिफा, हैदराबाद की कल्पना रमेश, महाराष्ट्र की विजया पवार, कानपुर की कलावती देवी और बिहार के मुंगेर की बीना देवी शामिल हैं. इससे पहले मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं. कहा कि हम नारी शक्ति की भावनाओं और योग्यता को सलाम करते हैं. जैसा कि मैंने कहा था, मैं साइन ऑफ कर रहा हूं. उपलब्धियां हासिल कर चुकीं सात महिलाएं मेरे सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिये अपनी जीवन यात्रा के बारे में बतायेंगी.

मालविका बोलीं- हार मानना कोई विकल्प नहीं

मालविका अय्यर ने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि 13 साल की उम्र में एक बम धमाके में मैंने दोनों हाथ गंवा दिये और पैर भी जख्मी हो गये थे. इसके बावजूद मैंने काम किया और पीएचडी की पढ़ाई की. हार मानना कोई विकल्प नहीं है. अपनी सीमाओं को भूल जाइए और विश्वास एवं आशा के साथ दुनिया में कदम रखते रहिए. शिक्षा परिवर्तन के लिए अपरिहार्य है. हमें विकलांग लोगों को कमजोर या दूसरे पर निर्भर दिखाने की बजाय उन्हें रॉल मॉडल के तौर पर दिखाना चाहिए.

भारत को हंगर फ्री राष्ट्र बनाने में जुटी हैं स्नेहा

चेन्नई निवासी स्नेहा मोहनदास फूडबैंक नाम से अभियान चलाती हैं, जो बेघरों को खाना देने का काम करता है. उन्होंने लिखा है कि सोचने के लिए खाना जरूरी है. अब समय है कि इसपर कार्य किया जाए और गरीबों को एक बेहतर भविष्य दिया जाए. मुझे अपनी मां से प्रेरणा मिली, जिन्होंने बेघरों को खाना खिलाने की आदत डाली. मैंने ‘फूडबैंक इंडिया’ शुरू की. मैं सभी से आग्रह करती हूं कि कम से कम एक जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और एक भूख मुक्त ग्रह में योगदान दें.

हैदराबाद की कल्पना चला रहीं जल संरक्षण की मुहिम

हैदराबाद की कल्पना रमेश पानी संरक्षण और वर्षा जल संचयन का काम करती हैं. उन्होंने लिखा है कि छोटी कोशिशें बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं. पानी एक मूल्यवान चीज है, जो हमें विरासत के तौर पर मिली है. हमारी आने वाली पीढ़ियों को इससे वंचित न होने दें. जिम्मेदारी से पानी का उपयोग, वर्षा जल का संचयन करें, झीलों को बचाएं. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं चिड़ियों को वापस किसी झील में ला सकती हूं या प्रधानमंत्री के अकाउंट से ट्वीट कर सकती हूं.

बंजारा हस्तकला को विजया कर रहीं जीवंत

महाराष्ट्र की विजया पवार ग्रामीण इलाकों में बंजारा हस्तकला को जीवंत करने में जुटी हैं. विजया ने बताया कि बचपन से वह इस कला के साथ जुड़ी थीं, लेकिन शादी के बाद पति का भी इस ओर रुझान था. उन्होंने यह कला अपने पति से ही सीखी. 2004 में उन्होंने एक एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कराया और महिलाओं को प्रशिक्षण देना शुरू किया. भारत सरकार वस्त्र उद्योग मंत्रालय की आंबेडकर हस्त शिल्प परियोजना के तहत 682 महिलाओं को पांच साल तक ट्रेनिंग दी.

मशरूम की खेती कर बिहार की बीना देवी बनीं मिसाल

बिहार के मुंगेर की रहने वाली बीना देवी 2013 से मशरूम की खेती कर रही है. उन्होंने महिलाओं के लिए एक ऐसी मशरूम की खेती के बारे में बताया है, जो घर पर ही करके महिलाएं रोजी-रोटी पा सकती हैं. एक समय इन्होंने मशरूम की एक किलो बीज मंगाकर जिस पलंग पर सोती थीं, उसी के नीचे लगा दिया. जगह का अभाव, इसलिए उन्होंने उसे साड़ी से ढंक दिया. वैज्ञानिकों ने पूछा कि कहां खेती करती हैं, तो इन्होंने बताया कि मेरे पास जगह नहीं है, एक कमरा है, वहीं मशरूम लगा चुकी हूं.

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