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पेंटिंग के जरिए समझाया जाएगा माता सीता का आदर्श, 30 जुलाई से दिल्ली में प्रदर्शनी

माता सीता और भगवान श्रीरामचंद्र भारतीय समाज के प्रेरक और आदर्श हैं. माता सीता लंका में रहने के बाद अयोध्या आईं और दुर्वासन का जीवन व्यतीत करना पड़ा. दुर्वासन में रहकर पति के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्होंने एक आदर्श स्थापित की. उनके आदर्श को मिथिला पेंटिंग के जरिए समझाने का प्रयास किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2022 6:39 PM

नई दिल्ली : अपने स्थापना काल से ही सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स (सीएसटीएस) भारतीय कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इसी कड़ी में “वैदेहीः सीता बियॉन्ड द बॉडी“ के माध्यम से जगत जननी मां सीता के विभिन्न आयाम को लोगों के सामने रखा जा रहा है. 30 जुलाई, 2022 से सीएसटीएस, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) और राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय और हस्तकला अकादमी (एनसीएमएचए) के सहयोग से एनसीएमएचए के परिसर में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन करने जा रहा है. यह प्रदर्शनी 7 अगस्त, 2022 तक चलेगी.

राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय और हस्तकला अकादमी (एनसीएमएचए) के वरिष्ठ निदेशक सोहन कुमार झा ने कहा कि विश्व वैदेही की आराधना प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष / जान कर / अनजान बनकर करता है. राम सिर्फ राम नहीं वैदेही भी हैं. इस प्रदर्शनी में वैदेही के विविध आयामों को उजागर करने की कोशिश, अपने आप में अनोखा और अद्वितीय है. आपने इसे पहले नहीं देखा होगा. यह सिर्फ लोक कलाकृति नहीं है, एक जीवन दर्शन है. आइये और अपनी मां/देवी सीता की चित्र प्रदर्शनी को राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय की दीर्घा में 30 जुलाई से 7 अगस्त, 2022 तक इसे देखिए और समझिए. उन्होंने यह भी कहा कि वैदेही एक जीवन दर्शन है. इन तमाम चित्रों के माध्यम से हर कोई वैदेही के जीवन दर्शन और मर्म को समझ सकता है.

सीएसटीएस की ओर से कहा गया है कि 30 जुलाई से शुरु हो रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में प्रदर्शित होने वाली डेढ़ सौ से अधिक मिथिला पेंटिंग न केवल रंगीन प्रतिनिधित्व हैं, बल्कि कलाकारों की भावनात्मक और बौद्धिक यात्रा भी शामिल हैं. इस प्रदर्शनी में भारत के गांवों और शहरों से लेकर विदेशों तक लगभग एक सौ तीस कलाकार भाग ले रहे हैं. नौ दिनों तक चलने वाले इस प्रदर्शनी में कई कार्यशालाओं का भी आयोजन किया गया है. पारिवारिक परंपराओं में गोदना कला और मिथिला कला पर कार्यशाला – “रिवाइवल ऑफ लीजेंड्स“ शीर्षक के तहत कार्यशाला आयोजित की जाएगी. हमें पूरा यकीन है कि जो लोग इस प्रदर्शनी में आएंगे, उन्हें वैदेही को समझने की एक नई दृष्टि मिलेगी.

सीएसटीएस की डायरेक्टर डॉ सविता झा खान ने बताया कि वैदेहीः सीता बियॉन्ड द बॉडी प्रदर्शनी का हमारा यह तीसरा सत्र है। इससे पहले भी सीएसटीएस, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सहयोग से जनपथ में आईजीएनसीए के सभागार में प्रदर्शनी और कार्यशाला का आयोजन कर चुका है, जिसमें देश-विदेश के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि यह अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी राष्ट्रीय और सीमा पार के कलाकारों के मिथिला / मधुबनी चित्रों के प्रदर्शन से बनी है. प्रदर्शनी का केंद्रीय विषय “वैदेही“ यानी “सीता“ है, जिसे कलाकारों द्वारा न केवल महाकाव्य रामायण के एक चरित्र के रूप में, बल्कि एक विचार, एक दर्शन और जीने के तरीके के रूप में भी चित्रित किया गया है.

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