Manish Sisodiya Success Story: आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया लंबे समय से आम आदमी पार्टी में नंबर दो की भूमिका निभा रहे हैं. उनका पत्रकारिता से राजनीति में आने का सफर महज इत्तेफाक नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी भी छिपी है. आइए उनके सियासी सफर के बारे में बताते हैं.
परिवर्तन से शुरू हुई दोस्ती
अरविंद केजरीवाल इनकम टैक्स विभाग में अधिकारी रहते हुए दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की बेहतरी के लिए काम कर रहे थे. 1998 में उन्होंने ‘परिवर्तन’ नामक एक एनजीओ और वेबसाइट शुरू की. उस समय मनीष सिसोदिया एक टीवी चैनल में पत्रकार थे और उन्होंने इस एनजीओ पर एक स्टोरी की। इसके बाद उनकी केजरीवाल से मुलाकात हुई और यहीं से दोनों की दोस्ती शुरू हुई.
केजरीवाल के अनुसार, सिसोदिया पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ‘परिवर्तन’ को आगे बढ़ाने में मदद की. मनीष सिसोदिया पहले से ही ‘कबीर’ नाम का एक एनजीओ चला रहे थे. सामाजिक क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उन्होंने पत्रकारिता छोड़कर केजरीवाल के एनजीओ के साथ काम करने का फैसला किया.
राजनीति में आने का फैसला
2006-07 तक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं था. दोनों सामाजिक कार्यों में लगे थे। सूचना के अधिकार (RTI) का मसौदा तैयार करने के लिए समाज सेविका अरुणा रॉय ने नौ लोगों की एक समिति बनाई थी, जिसमें सिसोदिया भी शामिल थे.
2011 में जन लोकपाल बिल के समर्थन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और उनके साथियों ने अन्ना हजारे के आंदोलन में भाग लिया. इस आंदोलन ने पूरे देश में हलचल मचा दी. भूख हड़तालें हुईं, लेकिन सरकार ने लोकपाल कानून लागू नहीं किया. भ्रष्टाचार मिटाने के लिए राजनीति में आना जरूरी समझते हुए 2 अक्टूबर 2012 को केजरीवाल ने एक राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की. मनीष सिसोदिया भी इस पहल का हिस्सा बने और राजनीति में कदम रखा. उन्होंने पटपड़गंज विधानसभा से पहला चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. इसके बाद उन्होंने सफलता की कई सीढ़ियां चढ़ीं.
पत्रकारिता से सामाजिक सेवा तक का सफर
मनीष सिसोदिया का जन्म 5 जनवरी 1972 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के फगौटा गांव में हुआ था. उनके पिता एक शिक्षक थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव से पूरी की और फिर भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने एक टीवी चैनल में पत्रकार के रूप में काम किया.1996 में उन्हें ऑल इंडिया रेडियो के ‘जीरो आवर’ कार्यक्रम की एंकरिंग करने का मौका मिला.1997 से 2005 तक उन्होंने एक बड़े टीवी चैनल में काम किया. इसी दौरान उनकी मुलाकात अरविंद केजरीवाल से हुई और उनका सामाजिक कार्यों में रुझान बढ़ता गया.