सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा कि सरकार की आलोचना के लिए आम नागरिकों को प्रताड़ित नहीं किया जा सकता
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक पोस्ट को लेकर सुनवाई करते हुए कोलकाता पुलिस को फटकार लगायी. अदालत ने कहा कि सरकार की आलोचना करने के लिए आम नागरिकों को प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है. अभिव्यक्ति की आजादी हर नागरिक का अधिकार है और इन्हीं अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट बनाया गया है. आपको बता दें कि दिल्ली निवासी एक महिला को फेसबुक पोस्ट करने को लेकर कोलकाता पुलिस ने समन भेजा था.
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक पोस्ट को लेकर सुनवाई करते हुए कोलकाता पुलिस को फटकार लगायी. अदालत ने कहा कि सरकार की आलोचना करने के लिए आम नागरिकों को प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है. अभिव्यक्ति की आजादी हर नागरिक का अधिकार है और इन्हीं अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट बनाया गया है. आपको बता दें कि दिल्ली निवासी एक महिला को फेसबुक पोस्ट करने को लेकर कोलकाता पुलिस ने समन भेजा था.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने कहा कि राज्यों की पुलिस अगर ऐसे आम लोगों को समन जारी करने लगेगी, तो यह एक खतरनाक ट्रेंड होगा. ऐसे में न्यायालयों को आगे बढ़कर अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की रक्षा करनी होगी. ये अधिकार हर नागरिक को मिला हुआ है. आपको बता दें कि महिला ने कोलकाता के भीड़भाड़ वाले इलाके राजा बाजार तस्वीर फेसबुक पर शेयर की थी और इसे कोरोना वायरस लॉकडाउन का उल्लंघन बताया था.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि भारत में हर किसी को बोलने की आजादी है और हम सुप्रीम कोर्ट के रूप में फ्री स्पीच की रक्षा करने के लिए हैं. संविधान ने इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट बनाया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य आम नागरिकों को प्रताड़ित न करें. 29 साल की रोशनी बिस्वास नाम की महिला ने अधिवक्ता महेश जेठमलानी के जरिए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
कलकता हाईकोर्ट ने महिला को फेसबुक पोस्ट को लेकर कोलकाता पुलिस के सामने पेश होने को कहा था. पुलिस ने नफरत फैलाने के आरोप में महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. पश्चिम बंगाल सरकार के काउंसिल आर बंसत ने अदालत में कहा था कि महिला से सिर्फ पूछताछ की जाएगी, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
Posted By : Guru Swarup Mishra