दिल्ली का ताज किसके सर सजेगा, तय करेंगे ये 6 फैक्टर, जानें क्यों ?
Delhi Election 2025: दिल्ली में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. आज आपको दिल्ली चुनाव में जीत हार के 6 प्रमुख फ़ैक्टर्स के बारे में बताने जा रहे.
Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव में प्रचार प्रसार का शोर थम चुका है. सभी पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं. दिल्ली में कई ऐसे फ़ैक्टर्स हैं जो जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं. आज आपको हम 6 ऐसे फ़ैक्टर्स के बारे में बताएंगे जो इस बार हार-जीत में बड़ा रोल निभा सकते हैं.
वो 6 फ़ैक्टर्स जो दिलाएंगे दिल्ली की सत्ता
- महिला वोटर : महिला वोटरों की भूमिका इस चुनाव में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. सिर्फ इसलिए नहीं कि उन्हें 2100 या 2500 रुपये देने का वादा किया गया है, बल्कि इसलिए भी कि शराब घोटाले का सबसे अधिक असर महिलाओं पर पड़ा है। दिल्ली में जब शराब ठेकों के खिलाफ आंदोलन चला था, तब महिलाएं ही इसका नेतृत्व कर रही थीं. महिलाएं अच्छी तरह से जानती हैं कि शराब उनके परिवार पर कितना नकारात्मक असर डालती है.
- जाति-धर्म: दिल्ली में जाति को लेकर कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन धार्मिक मुद्दों पर वोटिंग हो सकती है. भाजपा इसे एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है, जबकि आम आदमी पार्टी अल्पसंख्यकों के बड़े वर्ग तक पहुंचने में सफल हो रही है. कांग्रेस भी इस पर अपना प्रभाव डालने की कोशिश कर रही है। यह चुनावी नतीजे तय करेंगे कि कौन सी पार्टी अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास जीतने में सफल होती है। विशेष रूप से उन सीटों पर, जहां त्रिकोणीय मुकाबला होता है, यह सबकुछ आखिरी समय पर तय होगा.
- फ्री की योजनाएं: आम आदमी पार्टी (AAP) पहले से ही फ्री बिजली, फ्री पानी और अन्य कई योजनाओं का लाभ देती आ रही है. अब महिला सम्मान योजना में AAP ने 2100 रुपये देने का ऐलान किया है. दूसरी ओर, भाजपा ने 2500 रुपये देने का वादा किया है और यह भी घोषणा की है कि वह किसी भी योजना को बंद नहीं करेगी। इस स्थिति में दोनों के पास एक जैसा पैकेट है, और यह देखना होगा कि जनता किसके पैकेट पर विश्वास करती है.
- कैडर: बीजेपी अपने वोटरों को अंतिम समय में निकालने में माहिर मानी जाती है. संघ की मदद से पिछले चुनावों में हरियाणा और महाराष्ट्र में यह सफलता मिल चुकी है। इस बार संघ ने पूरी ताकत झोंक दी है और बीजेपी ने 50 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, आम आदमी पार्टी भी पीछे नहीं है, उसका कैडर भी मजबूत है और वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है.
- स्प्लिट वोटर: 2004 लोकसभा चुनाव के बाद स्प्लिट वोटिंग का पैटर्न दिल्ली में देखने को मिला है. यानी लोकसभा में किसी एक पार्टी को और विधानसभा में दूसरी पार्टी को वोट दिया जाता है. इस प्रकार के वोटर्स चुनाव के स्तर के हिसाब से अपना वोट देते हैं। दिल्ली में कई लोग ऐसे हैं जो अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी दोनों के फैन हैं और वे उसी हिसाब से वोट करते हैं.
- वोटिंग प्रतिशत: 2015 में दिल्ली में 67.13% और 2020 में 62.59% वोटिंग हुई थी, लेकिन दोनों ही बार चुनाव शनिवार को हुआ था। इस बार वोटिंग बुधवार को हो रही है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि वोटिंग प्रतिशत बढ़ेगा. यह देखा जाएगा कि यह बढ़ा हुआ प्रतिशत किस ओर जाएगा, चुनाव के परिणामों से ही इसका पता चलेगा.
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