Sarna Dharam Code News: झारखंड स्थापना दिवस से पहले सरना धर्म कोड की मांग को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों ने देश की राजधानी नयी दिल्ली में जंतर-मंतर पर महाधरना दिया. राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के तहत विभिन्न राज्यों के हजारों आदिवासी इस प्रदर्शन में शामिल हुए. संगठनों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, जनजाति मामलों की मंत्री, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को सरना धर्म कोड की स्वीकृति देने और जनगणना प्रपत्र में पृथक कोड के रूप में अधिसूचित करने के लिए ज्ञापन सौंपा.
आदिवासियों की मांग है कि देश में हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम के लिए जब अलग-अलग कोड की व्यवस्था है, तो आदिवासियों के लिए क्यों नहीं. आदिवासियों की वर्षों पुरानी मांग को तत्काल स्वीकार किया जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो आदिवासी समाज देश भर में आंदोलन करेंगे. आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति हिंदू धर्म से अलग है और उसे अलग धार्मिक पहचान मिलनी चाहिए.
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प्रदर्शन को संबोधित करते हुए धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आदिवासियों को धर्म कोड देना चाहिए. इस मांग को लेकर आदिवासी समाज आंदोलित है. अब आदिवासी जाग चुके हैं. अगर सरना धर्म कोड आदिवासियों को नहीं दिया गया, तो आंदोलन तेज किया जायेगा.
शिक्षाविद डॉक्टर करमा उरांव ने कहा कि प्रकृति से जुड़े आदिवासियों को अलग धर्म कोड नहीं दिया जाना एक तरह से अन्याय है. केंद्रीय सरना संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हमें हमारी धार्मिक आजादी मुहैया करायें. यह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत आदिवासियों का मौलिक अधिकार है. अगर आदिवासियों के लिए धर्म कोड नहीं होगा, तो फिर आदिवासियों की जनसंख्या घट जायेगी.
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उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में जनसंख्या से ही सब कुछ तय होता है. इसी के आधार पर नौकरी, आरक्षण, बजट आदि में भागीदारी मिलती है. इस महाधरना में पूर्व सांसद सालखन मुर्मू, विधायक राजेश कच्छप, मध्य प्रदेश के विधायक हीरालाल अल्वा, संजय पाहन अनिल कुमार भगत, निर्मला भगत सहित अन्य नेता शामिल हुए.
रिपोर्ट- अंजनी कुमार सिंह, नयी दिल्ली