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दिल्ली में मायावती का अकेले लड़ना किसे देगा फायदा और किसका होगा नुकसान ? जानें पूरा सियासी समीकरण

Mayawati: बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने दिल्ली में अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है. मायावती के अकेले लड़ने से किसको होगा फायदा किसका होगा नुकसान आइए जानते हैं

Mayawati: दिल्ली विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी अपने पत्ते खोल दिए हैं. बसपा सुप्रीमों ने दिल्ली का चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है. मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि दिल्ली विधानसभा का आमचुनाव आगामी 5 फरवरी 2025 को एक चरण में होगा. चुनाव आयोग द्वारा इस बारे में की गयी घोषणा का स्वागत. बीएसपी यह चुनाव अपनी पूरी तैयारी व दमदारी के साथ अकेले अपने बलबूते पर लड़ रही है. उम्मीद है कि पार्टी इस चुनाव में ज़रूर बेहतर प्रदर्शन करेगी.

कैसा रह है दिल्ली में बीएसपी का प्रदर्शन

दिल्ली के विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी के पिछले प्रदर्शन पर नजर डालें तो उसके वोटिंग प्रतिशत में आमतौर पर गिरावट ही देखने को मिली है. 2020 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे मात्र 0.71 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, 2015 के चुनावों में भी पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और 1.3 फीसदी वोट पाने में कामयाब रही. 2013 में पार्टी ने 69 सीटों पर चुनाव लड़ा और 5.35 फीसदी वोट हासिल किए.

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BSP का अच्छा प्रदर्शन दिल्ली चुनावों में किसे करेगा नुकसान?

दिल्ली विधानसभा चुनावों में यदि बहुजन समाज पार्टी (BSP) अच्छा प्रदर्शन करती है, तो इसका सीधा असर मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी (AAP) पर पड़ सकता है. BSP का मुख्य वोट बैंक दलित समुदाय है, और फिलहाल यह वोट बैंक आम आदमी पार्टी के पक्ष में ज्यादा झुका हुआ है. जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस भी इस वर्ग से कुछ वोट हासिल करती रही हैं, आम आदमी पार्टी ने इस वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. ऐसे में अगर BSP दिल्ली चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो AAP को इस वोट बैंक पर से हाथ धोना पड़ सकता है, जिससे उसकी चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है.

हालांकि, पिछले चुनावों में BSP का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था और पार्टी को दिल्ली में अपनी मजबूत उपस्थिति स्थापित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा. फिर भी, अगर BSP इस बार अपने प्रदर्शन में थोड़ा सा भी सुधार कर पाती है, तो इसका असर न केवल चुनावी नतीजों पर पड़ेगा, बल्कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी नई ऊर्जा का संचार होगा

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