मांस, मदिरा व पश्चिमी सभ्यता का करें त्याग, झारखंड के गिरिडीह में बोले कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर
गिरिडीह में अंतरराष्ट्रीय भागवत कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि मांस, मदिरा व पश्चिमी सभ्यता का त्याग करें.
Devkinandan Thakur: देवरी/झारखंडधाम(गिरिडीह): झारखंड के गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड के खरियोडीह में आयोजित शिव शक्ति प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान सह रुद्र महायज्ञ में प्रवचन देते हुए अंतरराष्ट्रीय भागवत कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि मांस, मदिरा व पश्चिमी सभ्यता का त्याग करें. प्रवचन सुनने के हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. उन्होंने पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण का कड़े शब्दों में विरोध किया. उन्होंने कहा कि सिंचाई के बिना फसलें खराब होती हैं और सत्संग के बिना नस्लें खराब होती है. उन्होंने कहा कि जींस नहीं पहनें. लोग भारतीय पारंपरिक परिधान ही पहनें. पुरुष धोती-कुर्ता व युवा कुर्ता पायजामा पहनें. महिलाएं साड़ी या सूट पहनें. लेदर की कोई चीज नहीं पहनें. लेदर के चप्पल-जूते पहनने, लेदर का पर्स व बैग रखने से उसकी नकारात्मक ऊर्जा पड़ती है तो घर में कलह व अमंगल होने लगता है. कोई भी शुभ या धार्मिक कार्य लेदर के सामान रखने पर नहीं कर सकते. लेदर की चीजों का परित्याग करें. उन्होंने लोगों से स्वदेशी चीजों को अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि हमें अपनी परंपरा, पारंपरिक परिधानों व सात्विक खान पान को ही अक्षुण्ण रखना चाहिए.
कलयुग में पाप में अधिक लगता है मन
भागवत कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि कलयुग में मनुष्य का मन पाप में अधिक लगता है. इसलिए मनुष्य भगवान की पूजा नहीं करता है और ना ही कथा का श्रवण करता है. जब मानव भगवान की शरण में आता है तो संसार में ऐसा कोई कारण नहीं है जो कि उस मनुष्य को कोई कलेश दे सके. इसलिए मनुष्य को भगवान की शरण अवश्य लेना चाहिए. भगवान हमेशा अपने भक्त का हित ही चाहते हैं. जो मानव अपनी संस्कृति का अपमान करते हैं. वह अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए नर्क के द्वार खोल देते हैं. मनुष्य को अपने अंदर के अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है और वह ज्ञान मनुष्य को कथा से प्राप्त होता है. सनातन को केवल अपने घर में सुरक्षित रखना चाहिए, इससे सनातन धर्म हमेशा जिंदा रहेगा और आने वाली पीढ़ी का भी भला होगा. जब मानव भगवान की शरण में आ जाता है तो संसार में ऐसा कोई कारण नहीं है जो कि उस मनुष्य को कोई कलेश उसे परेशान कर सके. इसलिए मनुष्य को भगवान की शरण अवश्य लेनी चाहिए. क्योंकि यह संसार मनुष्य का हित नहीं चाहता है, लेकिन भगवान हमेशा अपने भक्तों की हित चाहते हैं.
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ये हैं सक्रिय
अनुष्ठान को सफल बनाने में समिति अध्यक्ष श्यामपूर्ण सिंह, उपाध्यक्ष रामानंद सिंह, सचिव शंकर सिंह, बमशंकर उपाध्याय, कोषाध्यक्ष प्रो विभीषण विभूति, संतोष सिंह, मनोज सिंह, राकेश सिंह, विनय सिंह, दिगंबर सिंह, गोविंद सिंह, रामदेव सिंह, गंगाधर उपाध्याय, विजयनंदन पांडेय, उमेश राणा, जय नारायण राणा, विजय दूबे, रामेश्वर दास, राजेश मोदी, नंदकिशोर रजक, प्रदीप सिंह, अभिज्ञान सिंह, सुमित सिंह, सौरभ सिंह, ऋषि सिंह, जेपी सिंह, बिंदु सिंह, कुंवर सिंह, राहुल सिंह, मोनू सिंह, बबलू सिंह, विभीषण सिंह आदि सक्रिय हैं.