रांची : सहायक जहांगीर के आवास से इडी की टीम को कई चौंकानेवाले पत्र भी मिले हैं. इनमें झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नाम से कई बीडीओ सहित अन्य अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबंधित पैरवी पत्र भी मिले हैं. इडी के हाथ लगी सूची में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि कटमदाग बीडीओ शालिनी खलखो को हटाकर हजारीबाग से कहीं दूर भेजा जाये. इनको हटाना जरूरी है. पत्र के नीचे राजेश ठाकुर, पीसीसी लिखा हुआ है. गोड्डा जिला अंतर्गत पोड़ेयाहाट में बीडीओ महेश्वरी प्रसाद काे नहीं हटाने तथा उन्हें यहीं पर रखने का जिक्र है. जरमुंडी बीडीओ फुलेश्वर मुर्मू के ट्रांसफर सहित देवघर स्थित देवीपुर में किसी ओबीसी, एसटी/एससी को बीडीओ बनाने की भी पैरवी की गयी है. इसके अलावा भी कई और अधिकारियों के बारे में पत्र में जिक्र किया गया है.
अगर कुछ लिखा मिला है, तो ईडी मुझे दिखाये :
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि उनके नाम से लिखा पैरवी पत्र बिल्कुल निराधार है. उन्होंने कहा कि अगर मेरे लेटरपैड पर किसी की पैरवी की गयी है, तो इडी मुझे दिखाये. मैंने आज तक कभी किसी के लिए पत्र नहीं लिखा है. कोई अगर सादे कागज पर मेरा नाम व पद का दुरुपयोग कर रहा है, तो इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. लेकिन वे बार-बार कह रहे हैं कि कभी भी पत्र नहीं लिखा है.
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अचानक अकूत संपत्ति का मालिक बना मुन्ना सिंह
रांची. मुन्ना सिंह मूल रूप से बिहार के बक्सर के सिमरी थाना के दुल्लहपुर गांव का रहनेवाला है. वह मोरहाबादी के कुसुम विहार में कई वर्षों से रह रहा है. पीपी कंपाउंड में भी उसका फ्लैट है. लग्जरी लाइफ के शौकीन मुन्ना सिंह के पास रेंज रोवर समेत कई महंगी गाड़ियां हैं. पूर्व में वह गीतांजलि रियल इस्टेट नाम की कंपनी में साझीदार था. हाल के दिनों में उसने समृद्धि प्रॉपर्टी व होमली लैंडबैंक के नाम से कंपनी शुरू की है. यह कंपनी जमीन का कारोबार भी करती है. जानकार बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में अचानक मुन्ना अकूत संपत्ति का मालिक बन गया है.
बीरेंद्र राम के सहयोगी रहे हैं कुलदीप मिंज
रांची. कुलदीप मिंज लंबे समय तक ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय में सहायक अभियंता रहे हैं. वह मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम के करीबी रहे हैं. जब बीरेंद्र राम विभाग में मुख्य अभियंता थे, तो उनकी बहुत चलती थी. उनका मुख्य कार्य टेंडर निबटारा था. उस समय टेंडर के लिए उनके पास ठेकेदारों की भीड़ लगती थी. तब उन्होंने जिसे चाहा, उसे काम दिया. उनकी तूती बोलती थी. करीबी ठेकेदारों को मनचाहा काम देते रहे. टेंडर मैनेज करने में उनका नाम कई बार सामने आया है. चार वर्षों से अधिक समय तक उनका विभाग में दबदबा रहा. उनका घर चिरौंदी के पास है.
टोल टेंडर मामले में आया था मंत्री का नाम सामने
रांची: साहिबगंज के बरहरवा में हुए टोल टेंडर मामले में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का नाम सामने आया था. मामले में शंभू नंदन नामक व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम के इशारे पर उनके साथ मारपीट की गयी थी. बावजूद इसके 24 घंटे में मामले का सुपरविजन कर तत्कालीन डीएसपी ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था. बाद में इस मामले को इडी ने टेकओवर कर लिया था. आरोप है कि नगर पंचायत बरहरवा में वाहन शुल्क की वसूली के लिए टेंडर निकाला गया था. टेंडर लेने में आलमगीर आलम के भाई की कंपनी भी शामिल हुई थी. कंपनी द्वारा एक फर्जी कंपनी बनाकर पांच करोड़ रुपये की बोली लगायी गयी थी.