प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, शराब घोटाले के अपराध में केजरीवाल हैं शामिल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से प्रवर्तन निदेशालय के हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इस हलफनामे में जांच एजेंसी की ओर से कहा गया गया है कि दिल्ली की आबकारी नीति बनाने में केजरीवाल की भूमिका रही है और इस नीति […]

By Vinay Tiwari | April 25, 2024 7:15 PM

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से प्रवर्तन निदेशालय के हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इस हलफनामे में जांच एजेंसी की ओर से कहा गया गया है कि दिल्ली की आबकारी नीति बनाने में केजरीवाल की भूमिका रही है और इस नीति से अर्जित अवैध पैसे का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लाभ अरविंद केजरीवाल को मिला है. साथ ही हलफनामे में कहा गया है कि आबकारी नीति बनाने में केजरीवाल की भूमिका रही है और उनके सहयोग से ही होलसेल कमीशन को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया. यह फैसला ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के चर्चा के बिना मनमाने तरीके से किया गया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल की याचिका पर 29 अप्रैल को सुनवाई करेगा. 

Supreme Court
Supreme court

प्रवर्तन निदेशालय ने कहा केजरीवाल हैं मुख्य साजिशकर्ता

हलफनामे में कहा गया है कि कथित आबकारी नीति से आये 45 करोड़ रुपये का प्रयोग गोवा चुनाव में किया गया. चूंकि केजरीवाल आम आदमी पार्टी के संयोजक पद पर काबिज हैं तो इस अपराध में उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 70 का हवाला देते हुए जांच एजेंसी ने शीर्ष अदालत को बताया कि राजनीतिक दल व्यक्तियों का समूह है और ऐसे में राजनीतिक दल इस धारा के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी बनाया जा सकता है.  

केजरीवाल की गिरफ्तारी के थे पर्याप्त आधार

जांच एजेंसी ने हलफनामे में कहा है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 19 के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त साक्ष्य थे और ऐसे में गिरफ्तारी को अवैध नहीं कहा जा सकता है. जांच एजेंसी ने कहा कि यह कहना गलत है कि केजरीवाल को चुनाव प्रचार से दूर करने के लिए गिरफ्तार किया गया है. केजरीवाल ने जांच एजेंसी के 9 समन की अनदेखी की और फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया. अगर नेताओं के चुनाव प्रचार करने के तर्क को मान लिया गया तो किसी अपराधी नेता की गिरफ्तारी नहीं हो पाएगी. पूछताछ के दौरान केजरीवाल ने अपने मोबाइल फोन का पासवर्ड जांच एजेंसी को नहीं दिया और इस मामले में आरोपियों ने 170 फोन को नष्ट करने का काम किया ताकि डिजिटल सबूतों को मिटाया जा सके.

Exit mobile version