गोड्डा : हंसडीहा-महागामा फोर लेन एनएच सड़क का कार्य विगत कई माह से प्रभावित हो रहा है. जमीन की कमी से लगातार परेशान होकर काम कराने वाली परियोजना कंपनी की ओर से संबंधित विभाग को लगातार पत्र लिखा जा रहा है. परियोजना को संचालित करने वाली डीबीएल कंपनी कार्य जमीन के क्लियरेंस नहीं मिलने से बाधित है. हंसडीहा से महागामा तक कार्य के दौरान बीच में पड़ने वाले स्थानों में जमीन की कमी की वजह से तेज गति से चल रहे कार्य में ब्रेक लग गया है. मामले को लेकर एनएचआइ परियोजना के दिलीप बिल्डकॉन कंपनी की ओर गोड्डा एवं पोड़ैयाहाट अंचल से इस संबंध में क्लियरेंस कराये जाने की मांग की है.
कहां-कहां है रुकावट
दिलीप बिल्डकॉन ने सदर प्रखंड के बढ़ौना मौजा के 600 मीटर का क्लियरेंस नहीं मिल पाने की बात का जिक्र किया है. कंपनी को परियोजना के 10 माह बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा जमीन पर एनएचआइ का कब्जा नहीं हो पाया है. कारण कंपनी वहां पर काम नहीं कर पा रही है. यहां पर एनएचआइ को 3.513 हेक्टेयर जमीन एनएचआइ को जरूरत है. यह एरिया जिला उद्यान विभाग से सटे हैं. वहीं पोड़ैयाहाट अंचल क्षेत्र में मौजा कठौन, भटौंधा, बरगच्छा हरियारी, गुनघासा, चामुडीह आदि मौजा में हितबद्ध द्वारा ही सड़क निर्माण कार्य को रोका जा रहा है. परियोजना का काम बाधित हो गया है. कंपनी के द्वारा हितबद्ध लोगों की सूची जारी करते हुए व्यवधान किये जाने क कारण का उल्लेख किया गया है. कंपनी की ओर से यह भी बताया गया है कि महागामा से हंसडीहा एनएच 133 सडक चौड़ीकरण का कार्य मिला हुआ है. इसमें गोड्डा अंचल क्षेत्र में गोढ़ीघाट आदि में स्वामित्व के आपत्ति के चलते कार्य बाधित हो रहा है. महागामा के धर्मुडीह व कुरमडीह आदि मौजा में भी हितबद्ध द्वारा कंपनी को सड़क निर्माण कार्य में अड़चन पैदा किया जा रहा है. इससे कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है. परियोजना निर्माण कार्य नहीं कर पा रही है. इससे परियोजना को तय समय से ज्यादा समय निर्माण कार्य में लगेगा.
गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने 17 जनवरी को किया था निरीक्षण
गोड्डा के फोर लेन कार्य में आ रही अड़चन को लेकर गत 17 जनवरी को सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने पोड़ैयाहाट एवं गोड्डा के लोकेशन का निरीक्षण किया था. श्री दुबे गोड्डा रेलवे स्टेशन से लौटते समय तथा देवघर से गोड्डा आने के क्रम में दोनों ही स्थान को देखने के बाद जिला प्रशासन को निर्देश दिया था कि उक्त सभी परेशानियों का समाधान अविलंब किया जाये. श्री दुबे के निर्देश के एक माह बीत जाने के बावजूद पदाधिकारियों की नजर मामले तक नहीं गयी है.