हद है! : छह माह बीतने के बावजूद उपायुक्त को नहीं मिली मुख्यमंत्री कार्यालय से चली चिट्ठी

शिमला : बात हैरान करनेवाली तो है ही. सड़क मरम्मत के लिए लिखी गयी मुख्यमंत्री कार्यालय से चली चिट्ठी जिला उपायुक्त कार्यालय को छह महीने के बाद भी नहीं मिल सकी. सरकारी विभागों में लापरवाही का हाल यह है कि खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को संज्ञान लेना पड़ा. उन्होंने उपायुक्तों को कड़ी चेतावनी दी है.

By संवाद न्यूज | December 4, 2020 8:57 PM
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शिमला : बात हैरान करनेवाली तो है ही. सड़क मरम्मत के लिए लिखी गयी मुख्यमंत्री कार्यालय से चली चिट्ठी जिला उपायुक्त कार्यालय को छह महीने के बाद भी नहीं मिल सकी. सरकारी विभागों में लापरवाही का हाल यह है कि खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को संज्ञान लेना पड़ा. उन्होंने उपायुक्तों को कड़ी चेतावनी दी है.

दरअसल, हो यह रहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से भेजे गये पत्र जिलों में डीसी दफ्तरों में पहुंचने की जगह बीच रास्ते से ही गायब कर दिये जा रहे हैं. ताजा मामला छह महीने पहले मुख्यमंत्री कार्यालय से एक उपायुक्त को सड़क निर्माण के लिए भेजे गये पंचायत के प्रस्ताव का है.

इस पत्र के साथ प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के कार्यालय की चिट्ठी भी संलग्न थी. पत्र में कहा गया था कि सड़क की हालत ठीक नहीं है. किसानों को फसल बाजार तक पहुंचाने में दिक्कत हो रही है. सड़क की मरम्मत के लिए धनराशि जारी कर दी जाये.

उपायुक्त कार्यालय से यह पत्र गायब कर दिया गया. ग्रामवासियों ने इस पत्र की दोबारा डायरी करायी. इसके बावजूद पत्र का पता नहीं चला. आखिरकार डीसी, एसपी के सम्मेलन के दौरान ही इसे प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के कार्यालय ने दोबारा उपायुक्त कार्यालय को फैक्स किया.

एक अन्य उपायुक्त कार्यालय ने भी ऐसा ही एक पत्र पिछले साल गायब किया था. एक जिले के उपायुक्त कार्यालय के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह के कार्यालय से भेजा गया पत्र मिल नहीं पाया. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे तमाम मामलों का कड़ा संज्ञान लिया जा रहा है.

शिमला : बात हैरान करनेवाली तो है ही. सड़क मरम्मत के लिए लिखी गयी मुख्यमंत्री कार्यालय से चली चिट्ठी जिला उपायुक्त कार्यालय को छह महीने के बाद भी नहीं मिल सकी. सरकारी विभागों में लापरवाही का हाल यह है कि खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को संज्ञान लेना पड़ा. उन्होंने उपायुक्तों को कड़ी चेतावनी दी है.

दरअसल, हो यह रहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से भेजे गये पत्र जिलों में डीसी दफ्तरों में पहुंचने की जगह बीच रास्ते से ही गायब कर दिये जा रहे हैं. ताजा मामला छह महीने पहले मुख्यमंत्री कार्यालय से एक उपायुक्त को सड़क निर्माण के लिए भेजे गये पंचायत के प्रस्ताव का है.

इस पत्र के साथ प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के कार्यालय की चिट्ठी भी संलग्न थी. पत्र में कहा गया था कि सड़क की हालत ठीक नहीं है. किसानों को फसल बाजार तक पहुंचाने में दिक्कत हो रही है. सड़क की मरम्मत के लिए धनराशि जारी कर दी जाये.

उपायुक्त कार्यालय से यह पत्र गायब कर दिया गया. ग्रामवासियों ने इस पत्र की दोबारा डायरी करायी. इसके बावजूद पत्र का पता नहीं चला. आखिरकार डीसी, एसपी के सम्मेलन के दौरान ही इसे प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के कार्यालय ने दोबारा उपायुक्त कार्यालय को फैक्स किया.

एक अन्य उपायुक्त कार्यालय ने भी ऐसा ही एक पत्र पिछले साल गायब किया था. एक जिले के उपायुक्त कार्यालय के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह के कार्यालय से भेजा गया पत्र मिल नहीं पाया. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे तमाम मामलों का कड़ा संज्ञान लिया जा रहा है.

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