मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार का लक्ष्य तय, किसानों के बीच 486 करोड़ मत्स्य बीज का होगा वितरण
मत्स्य विभाग इस वर्ष 486 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन करेगा. विभागीय प्रक्षेत्रों में 25 तथा निजी तालाबों में 461 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन होगा.
रांची : मत्स्य विभाग इस वर्ष 486 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन करेगा. विभागीय प्रक्षेत्रों में 25 तथा निजी तालाबों में 461 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन होगा. विभागीय प्रक्षेत्रों में एक लाख बीज उत्पादन पर करीब नौ हजार रुपये खर्च होता है. इसमें से 20 करोड़ बीज 10 हजार प्रति लाख की दर से बेचा जायेगा. इससे दो करोड़ रुपये राजस्व मिलेेगा. शेष पांच करोड़ मत्स्य बीज वैसे मत्स्य पालकों को दिये जायेंगे, जो मत्स्य बीज नकद खरीदेंगे. जो मत्स्य पालक 80 हजार बीज खरीदेंगे, उन्हें 20 हजार बीज शत प्रतिशत अनुदान पर दिया जायेगा.
इसके लिए कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने जिलावार लक्ष्य तय किया है. तय किया गया है कि इस वर्ष निजी व सरकारी तालाबों में 416.25 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन किया जाये. इसके लिए 1845 करोड़ मत्स्य स्पॉन, प्रशिक्षित मत्स्य बीज उत्पादकों को सरकारी तथा गैर सरकारी हैचरी से, अधिकतम 550 रुपये प्रति लाख स्पॉन की दर से क्रय कर आपूर्ति करने की योजना है. आपूर्ति किये जाने वाले स्पॉन के मूल्य का 90 फीसदी राशि सरकार देगी, वहीं 10 फीसदी रकम लाभुक को देनी होगी.
सरकार ने तय किया है कि राज्य के 123 पोर्टेबल मत्स्य बीज हैचरियों से 123 करोड़ मत्स्य स्पॉन का उत्पादन किया जायेगा. प्रति करोड़ मत्स्य स्पॉन उत्पादन पर 40 हजार रुपये की दर से खर्च करने की योजना है. पोर्टेबल हैचरी से उत्पादित स्पॉन की बिक्री से प्राप्त आय संबंधित हैचरी संचालक समूह के बैंक खाते में जमा होगी. इससे हैचरी कार्य के दौरान स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा.
2000 का फीड 7500 मत्स्य बीज उत्पादकों को
विभाग ने तय किया है कि 7500 मत्स्य बीज उत्पादकों को मत्स्य स्पॉन से मत्स्य बीज की तैयारी, निकासी एवं बिक्री के लिए फैक्टरी फारमुलेटेड फीड दिया जायेगा. जाल क्रय के लिए दो हजार रुपये का अनुदान भी दिया जायेगा. मत्स्य पालकों को केज रिपयेरिंग के लिए भी 35 हजार रुपये दिये जायेंगे. इसमें 25 हजार रुपये सरकारी सहायता होगी तथा 10 हजार रुपये मत्स्य पालकों को लगाना होगा.
इस वर्ष 198 नाव का वितरण करेगा विभाग
मत्स्य विभाग इस वर्ष 198 नाव का वितरण भी करेगा. एक नाव की लागत करीब 33 हजार रुपये होगी. इसमें 30 हजार रुपये का अनुदान दिया जायेगा. शेष राशि मस्त्य जीवी सहयोग समितियों अथवा उनके सदस्यों द्वारा वहन किया जायेगा.
posted by : sameer oraon