New Disease MIS-C Cases In Gujarat गुजरात में नवजात शिशुओं में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम (MIS-C) बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. एमआईएस-सी एक गंभीर रोग है, जिसे फिलहाल सार्स-कोविड-2 से जोड़कर देखा जा रहा है. कम उम्र के बच्चों में कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद यह रोग सामने आ रहा है. सौराष्ट्र व दक्षिण गुजरात के डाक्टर के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हर रोज इसके मामले सामने आ रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर के बाद बीते कुछ दिनों में गुजरात में भी इस नई बीमारी के अब तक सौ से ज्यादा ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
गुजरात में एक नवजात बच्चे में जन्म के 12 घंटे के अंदर इस बीमारी से ग्रसित होने का सामने प्रकाश में आया था. बताया जाता है कि गर्भावस्था में बच्चे की मां को कोरोना हुआ था. महिला से कोरोना का इफेक्ट बच्चे पर पड़ा और वह एमआईएस-सी की चपेट में आ गया. बच्चे को सांस लेने में समस्या होने लगी और उसे उपचार के लिए अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट पर आईसीयू में रखा गया है. डॉ. देवांग सोलंकी ने बताया कि बच्चे की मां को डेढ़ महीने पहले कोरोना हुआ था.
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में बीते कुछ दिनों में एमआईएस-सी के 10 मामले सामने आए, जिनमें से दो बच्चे की मौत हो गयी. वहीं, राजकोर्ट से इस बीमारी से संक्रमित सौ मामले सामने आए है. वहीं, डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद नवजात व छोटे बच्चों में जो एंटीबाडी बनती है, वही शरीर की दुश्मन बनकर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर रही है. यह शरीर के जिस भाग पर असर करती है उसी अंग को खराब करती है. इस रोग के प्रारंभिक लक्षण आंख, त्वचा व जीभ का लाल होना, बुखार, पेटदर्द, रक्तचाप कम होना, दस्त और सांस लेने में तकलीफ है. डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चों में ये सिंड्रोम हो या फिर उसे बुखार आया हो तो सामान्य दवा से वो ठीक हो जाता है. लेकिन, जब उसका हमने कोविड एंटीबॉडी टेस्ट किया तो वो उस में पॉजिटिव पाया गया. यानी उसके शरीर में कोविड कीएंटीबॉडी पहले से मौजूद थी.
डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चों में इस बीमारी के अब तक सात लक्षण पाए गए हैं. इनमें ठंड लगना, बुखार आना, शरीर पर काले धब्बे दिखना, आंख लाल होना, पेट में दर्द होना, सांस लेने में परेशानी, चेहरा या होंठ नीले होना शामिल है. बताया गया है कि इस बीमारी में ऑर्गन फेल होने के कारण बच्चों की मौतें भी हो रही हैं. डॉक्टर्स की माने तो बच्चों में इस तरह की बीमारी रोकने के लिए ये ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें कोरोना ना हो. इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे घर में भी भी किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में न आएं.
Uplaod By Samir