Gujarat Election 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव दिसंबर के अंत तक करा लिये जाने हैं. इसको लेकर चुनाव आयोग तैयारी में जुट गया है. चुनाव के ऐलान के पहले ही गुजरात की राजनीति गरमा गयी है. इस बार कांग्रेस और भाजपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ भी गुजरात के सभी सीट पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है. बड़े नेताओं का गुजरात दौरा भी जारी है. इस बार चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना नजर आ रही है.
गुजरात की सभी विधानसभा सीटों पर हलचल तेज है और पार्टियां उम्मीदवारों पर मंथन भी शुरू कर चुकी हैं. इस बीच आइए आपको गुजरात की असरवा विधानसभा सीट के बारे में बताते हैं जहां 2017 में भाजपा के प्रदीप भाई परमार ने जीत दर्ज की थी, 1990 के बाद से इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाकर रखा हुआ है. अब इस बार देखना होगा कि क्या भाजपा का कब्जा यहां रह पाता है या कोई अन्य पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीत दर्ज करता है.
असरवा सीट की बात करें तो इस बार यहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा ‘आप’ के उम्मीदवार के भी उतरने की संभावना है. यहां के राजनीतिक समीकरण पर नजर डालें तो अहमदाबाद की असरवा विधानसभा सीट पर बीते 32 साल से भाजपा का कब्जा है. 1990 के बाद से इस सीट पर कांग्रेस नहीं आ पायी है. 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में असरवा विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रदीप भाई परमार ने जीत का परचम लहराया था. परमार ने कांग्रेस के कानू भाई बघेला को 49264 मतों से पराजित किया था. भाजपा ने पहली बार इस सीट पर 1990 में जीत का स्वाद चखा था जिसके बाद से वह यहां कभी नहीं हारी. विट्ठल भाई पटेल के नेतृत्व में भाजपा को पहली जीत मिली थी, फिर 1995 में दूसरी बार विट्ठल भाई पर जनता ने भरोसा जताया था.
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अहमदाबाद के असरवा सीट पर अब तक हुए चुनाव पर नजर डालें तो यहां कांग्रेस की पकड़ बहुत कमजोर हो चुकी है .इस विधानसभा सीट पर अभी तक कुल 13 चुनाव कराये गये हैं जिसमें भाजपा ने 7 बार जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस पर महज 6 चुनाव में ही जनता ने भरोसा जताया. गुजरात के अहमदाबाद की असरवा विधानसभा सीट एक सामान्य सीट है जिसपर करीब पिछले 32 साल से भाजपा ने मजबूत पकड़ बना रखी है. यहां 20 फीसदी संख्या अनुसूचित जाति के मतदाताओं की है, वहीं अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या 30 प्रतिशत इस क्षेत्र में है. मुस्लिम वोट भी यहां हैं जिनका वोट प्रतिशत पांच फीसद है. पाटीदार मतदाताओं की संख्या भी यहां हैं जो मतदाता की किस्मत का फैसला करते हैं.