गुजरात : बिना मास्क पकड़े गये लोगों से कोरोना मरीजों की सेवा कराने वाले हाईकोर्ट के निर्देश पर SC ने लगायी रोक
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) के उस निर्देश पर रोक लगा दी है, जिसमें यह कहा गया था कि बिना मास्क पकड़े जा रहे लोगों को कोविड (Covid-19) मरीजों के सुविधा केंद्रो में सामुदायिक सेवा के लिए भेजा जाए. न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने हाईकोर्ट के इस निर्देश पर रोक लगा दी है. गुजरात सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि हाईकोर्ट का यह आदेश बहुत सख्त है और इससे नियम तोड़ने वालों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है.
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) के उस निर्देश पर रोक लगा दी है, जिसमें यह कहा गया था कि बिना मास्क पकड़े जा रहे लोगों को कोविड (Covid-19) मरीजों के सुविधा केंद्रो में सामुदायिक सेवा के लिए भेजा जाए. न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने हाईकोर्ट के इस निर्देश पर रोक लगा दी है. गुजरात सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि हाईकोर्ट का यह आदेश बहुत सख्त है और इससे नियम तोड़ने वालों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी गहरी नाराजगी व्यक्त की है कि कोविड-19 के निर्देशों का राज्य में सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है. न्यायालय ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाने संबंधी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन हो.
पीठ ने राज्य में पुलिस और दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों को भी आदेश दिया कि इन दिशा निर्देशों पर सख्ती से अमल सुनिश्चित किया जाए और इनका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. बता दें कि गुजरात सरकार ने राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए कई शहरों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया है. लोगों से कोविड-19 नियमों की अनदेखी करने पर जुर्माना भी वसूला जा रहा है.
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क्या कहा था गुजरात हाई कोर्ट ने
बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मास्क पहनने के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना के साथ-साथ कोविड-19 केंद्रों में सेवा करने को अनिवार्य बनाया जाए. मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि नियम का उल्लंघन करने वालों को कोविड-19 देखभाल केंद्र में सामुदायिक सेवा के लिए भेजा जाए. समुदायिक सेवा के तहत साफ-सफाई जैसे गैर चिकित्सकीय काम में उन्हें लगाया जा सकता है.
पीठ ने यह भी कहा कि उल्लंघन करने वालों को पांच से 15 दिन तक रोजाना चार से छह घंटे के लिए भेजा जा सकता है. पीठ ने कहा कि राज्य को एक नीति या आदेश जारी करना चाहिए जिसमें मास्क नहीं पहनने पर सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया जाए और उल्लंघन की प्रकृति के आधार पर उनकी सेवा निर्धारित की जा सकती है. पीठ ने कहा कि हम राज्य को इस संबंध में एक अधिसूचना लाने का निर्देश देते हैं जिसमें मास्क नहीं पहनने के लिए जुर्माना और सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया जाए.
भाषा इनपुट के साथ
Posted By: Amlesh Nandan.