Haryana Politics : लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद भी हरियाणा में कांग्रेस की टेंशन बढ़ी हुई है. दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस में का तीन खेमा एक्टिव है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा अपने अलग-अलग खेमे के साथ आगे बढ़ रहे हैं. पार्टी आलाकमान की ओर से तमाम कोशिशें की जा रहीं हैं लेकिन इन तीनों के बीच के गुटबाजी को अब तक खत्म नहीं किया जा सका है.
कांग्रेस के अंतर्कलह का फायदा उठा सकती है बीजेपी
कांग्रेस को डर सता रहा है कि कहीं अंतर्कलह की वजह से तमाम सर्वे में बीजेपी से आगे रही कांग्रेस अपनी सीट न गंवा दे. फिर कहीं बीजेपी सत्ता पर काबिज ना हो जाए. जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा साधन संपन्न और संगठन में पकड़ रखते हैं. वहीं सुरजेवाला गुट नये लोगों को मौका देने की वकालत करता नजर आ रहा है. इस बीच लोकसभा चुनाव में दलित वर्ग का वोट कांग्रेस को ज्यादा मिलने की दुहाई देकर शैलजा खुद को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने की बात कह रही है. बीजेपी भी कांग्रेस की इसी अंतर्कलह का फायदा उठाने का प्रयास कर रही है. यही वजह है कि वह कांग्रेस से सवाल करती है कि क्या कांग्रेस किसी दलित को सीएम बनाएगी?
Read Also : Haryana Politics: विनेश फोगाट का किसानों को समर्थन, चुनाव पर कितना डालेगी असर
हरियाणा में कांग्रेस के लिए क्या है अवसर?
इस बार कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को भुनाने की कोशिश में लगी हुई है. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इसका ट्रेलर पहले ही दिखा चुकी है. राज्य की 10 सीट में से कांग्रेस ने 5 सीट जीतकर बीजेपी को टेंशन दे दी है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की सभी 10 सीट पर जीत दर्ज की थी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला बीच खटपट नहीं हुई तो कांग्रेस पूरे दम के साथ चुनाव में जीत का दंभ भर सकती है.