16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Hypertension Day Special : देश के प्रसिद्ध अस्पताल टाटा मुख्य अस्पताल के चीफ मेडिकल ऑफिसर ने बताया – कैसे होता है हाई ब्लड प्रेशर, कैसे कर सकते है कंट्रोल, पढ़े

जमशेदपुर : पूरा विश्व आज हाइपरटेंसन डे (विश्व उच्च रक्तचाप दिवस) मना रहा है. लेकिन अब इसको लेकर अगर खुद से परिश्रम किया जाये, इसके उपाय किये जाये तो इसको कंट्रोल में रखा जा सकता है, लेकिन अगर लापरवाही बरती गयी तो लोगों की जान भी जा सकती है. देश के प्रसिद्ध अस्पताल टाटा मुख्य […]

जमशेदपुर : पूरा विश्व आज हाइपरटेंसन डे (विश्व उच्च रक्तचाप दिवस) मना रहा है. लेकिन अब इसको लेकर अगर खुद से परिश्रम किया जाये, इसके उपाय किये जाये तो इसको कंट्रोल में रखा जा सकता है, लेकिन अगर लापरवाही बरती गयी तो लोगों की जान भी जा सकती है. देश के प्रसिद्ध अस्पताल टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) के चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) डॉ आलोक ने बताया कि हाइपरटेंशन पर कैसे कंट्रोल किया जा सकता है. डॉ आलोक ने बताया कि रक्त, वाहिकाओं के माध्यम से हृदय से शरीर के सभी भागों में पहुंचाया जाता है. जब भी हृदय धड़कता है, तो यह रक्त को वाहिकाओं में पंप करता है. रक्तचाप उस बल को मापता है जिस पर रक्त धमनियों की दीवारों के विपरीत दौड़ता है क्योंकि हृदय इसे पूरे शरीर से पंप करता है.
हाई ब्लड प्रेशर की ऐसे की जा सकती है जांच
डॉ आलोक के मुताबिक, रक्तचाप की रीडिंग दो तरह की संख्याओं के रूप में दी जाती है. डॉ आलोक ने बताया कि शीर्ष संख्या को सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (एसबीपी) कहा जाता है. जब भी आपका दिल धड़कता है तो यह आपकी धमनियों में रक्त का बल होता है. नीचे की संख्या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (डीबीपी), या दिल की धड़कनों के बीच रक्त के बल को मापती है. सामान्य रक्तचाप उसे कहते है जब आपका ब्लड प्रेशर 120/80 मिमी एचजी से कम होता है। हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) तब होता है जब आपके रक्तचाप की एक या दोनों रीडिंग 130/80 मिमी एचजी या उससे ज्यादा होती हैं. डॉ आलोक ने बताया कि इस स्तर या उससे अधिक की वृद्धि से मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे, रेटिना और बड़ी धमनियों जैसे अंगों के क्षतिग्रस्त होने का जोखिम बढ़ जाता है. रक्तचाप का उच्च स्तर जीवन के लिए ख़तरा हो सकता है. हर 8 में से 1 व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है और उम्र के साथ यह अनुपात बढ़ता जाता है. उच्च रक्तचाप सबसे आम हृदय रोग है और हृदय संबंधी मौतों का सबसे बड़ा कारण यही है, इसलिए नियमित रूप से अपने पारिवारिक चिकित्सक से जांच कराना ज़रूरी है.
90 फीसदी मामलों में यह पहले पता नहीं चलता, इन कारणों से होता है उच्च रक्तचाप
डॉ आलोक ने बताया कि उच्च रक्तचाप के 90% मामलों में कारण ज्ञात नहीं होता है और इसे प्राथमिक उच्च रक्तचाप कहा जाता है. शेष 10% में द्वितीयक उच्च रक्तचाप शामिल है. द्वितीयक उच्च रक्तचाप के कारणों में गुर्दे की बीमारियां, अंतःस्रावी तंत्र से संबंधित रोग जैसे हाइपोथायरायडिज्म, ड्रग्स या शराब के प्रभाव आदि शामिल हैं. उच्च रक्तचाप के बढ़ने में योगदान देने वाले ज्ञात परिवर्तनीय जोखिम कारक अधिक वजन/मोटापा, सोडियम (साधारण नमक) का अधिक सेवन, कम शारीरिक गतिविधि, अधिक शराब का सेवन, पोटेशियम का कम सेवन और तनाव हैं. डॉ आलोक ने यह भी बताया कि ज़्यादातर मामलों में नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान बिना लक्षण वाले व्यक्तियों में उच्च रक्तचाप का पता चलता है. मरीजों को कुर्सी पर बैठकर, पैरों को ज़मीन पर रखकर, पीठ को सहारा देकर और हाथ को हृदय के स्तर पर 5 मिनट तक रखकर अपना रक्तचाप जांचना चाहिए. यदि उच्च पाया जाता है तो पूर्ण रक्त गणना, रक्त शर्करा, लिपिड प्रोफ़ाइल, मूत्र विश्लेषण, थायरॉयड टेस्ट और ईसीजी जैसे बुनियादी प्रयोगशाला परीक्षण करवाना चाहिए. ज़रूरत के अनुसार अतिरिक्त परीक्षण करवाने पड़ सकते हैं. डॉ आलोक ने बताया कि लक्ष्य उच्च रक्तचाप से पीड़ित अधिकांश वयस्कों के लिए रक्तचाप को < 130/80 तक कम करना है ताकि अंगों की क्षति को रोका जा सके. सभी को उच्च रक्तचाप के लिए प्राथमिक रोकथाम के रूप में जीवनशैली में बदलाव (एलएसएम) को अपनाना चाहिए. पहले से ही उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों के लिए जीवनशैली में बदलाव भी प्रबंधन का एक हिस्सा होना चाहिए.
वजन को कंट्रोल करना सबसे ज्यादा जरूरी, तनाव से बचें
डॉ आलोक ने बताया कि अधिक वजन और मोटापे के मामले में वजन कम करना क्योंकि यह हर 10 किलो वजन घटाने पर एसबीपी के 5 से 20 मिमी एचजी को कम करता है. बॉडी मास इंडेक्स को 20 से 25 किलोग्राम/एम2 तक बनाए रखना और पुरुषों में कमर की गोलाई < 94 सेमी और महिलाओं में 80 सेमी से कम रखना रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है. एरोबिक व्यायाम जैसे प्रतिदिन 30 मिनट तेज चलना, जॉगिंग, नृत्य, साइकिल चलाना आदि रक्तचाप को 4 से 9 मिमी एचजी तक कम करता है. डॉ आलोक ने बताया कि उच्च रक्तचाप की रोकथाम और नियंत्रण में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आहार में सोडियम कम होना चाहिए (6 ग्राम से अधिक नमक नहीं यानी एक दिन में एक बड़ा चम्मच), पोटेशियम अधिक होना चाहिए (ताजे फल और सब्जियों का दैनिक सेवन), कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का पर्याप्त सेवन किया जाना चाहिए. डॉ आलोक ने बताया कि धूम्रपान बंद कर देना चाहिए क्योंकि इससे धमनियों में अकड़न पैदा होती है जिससे हृदय संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं. शराब का सेवन बंद कर दें या सीमित कर दें. इससे रक्तचाप 4 से 5 मिमी एचजी तक कम हो जाएगा. तनाव भी उच्च रक्तचाप को बढ़ाने में मदद करता है क्योंकि यह हार्मोन रिलीज करता है जिससे दिल तेजी से धड़कता है और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है. योग, ध्यान और अनुशासित जीवन (उचित 7 से 8 घंटे की गहरी नींद) द्वारा तनाव को कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए. लोगों को तनाव प्रबंधन के लिए मनोचिकित्सक से परामर्श करने में संकोच नहीं करना चाहिए.
चिकित्सकों की यह दवाएं होती है कारगर
डॉ आलोक ने बताय कि उपचार करने वाले चिकित्सक को दवा उपचार का निर्णय लेने दें. डॉ आलोक ने बताया कि उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए कई श्रेणी की कई मौखिक दवाएं उपलब्ध हैं. इनमें से कुछ जैसे बीटा ब्लॉकर्स जैसे मेटोप्रोलोल, एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम अवरोधक जैसे एनालाप्रिल या रामिप्रिल, एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स जैसे टेल्मिसर्टन या लोसार्टन, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स जैसे एम्लोडिपिन और मूत्रवर्धक जैसे थियाज़ाइड्स आमतौर पर पहली पंक्ति की चिकित्सा के रूप में उपयोग किए जाते हैं। दवाओं के अन्य वर्ग भी स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं. लेकिन इन सभी दवाओं के वर्गों में विशिष्ट संकेत और प्रतिकूल प्रभाव होते हैं. मरीजों को केवल उन एंटीहाइपरटेंसिव दवाओं का सेवन करना चाहिए जो चिकित्सक द्वारा निर्धारित की गई हैं और काउंटर दवाओं से बचना चाहिए. कुछ को इष्टतम बीपी नियंत्रण प्राप्त करने के लिए दो या अधिक दवाओं की आवश्यकता हो सकती है. निर्धारित दवा का सख्ती से पालन करने से लक्षित बीपी प्राप्त करने में मदद मिलती है. जब तक लक्षित रक्तचाप प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक मासिक आधार पर मूल्यांकन किया जाता है. पैरों में सूजन (एम्लोडिपिन), खांसी, हाइपरकेलेमिया (लोसार्टन), हाइपोनेट्रेमिया (थियाजाइड डाययूरेटिक्स), धीमी नाड़ी दर (मेटोप्रोलोल) जैसे कुछ सामान्य प्रतिकूल प्रभावों के लिए खुराक में कमी या दवाओं के अन्य वर्ग में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. अधिकांश रोगियों को आजीवन दवाएँ लेनी पड़ती हैं. यह देखा गया है कि रक्तचाप नियंत्रित होने के बाद कुछ रोगी दवा लेना बंद कर देते हैं, जिससे जटिलताएं पैदा होती हैं. ऐसे रोगियों का एक समूह भी है जो फॉलो अप का पालन नहीं करते हैं, इन सभी के कारण रक्तचाप पर नियंत्रण नहीं हो पाता है. इस विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पर आइए हम जीवनशैली में बदलाव करके उच्च रक्तचाप को रोकने और उपचार का सख्ती से पालन करके उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के उद्देश्य से जागरूकता फैलाएं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें