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आइआइटी पटना का 10वां दीक्षांत समारोह में 630 आइआइटियन को मिली डिग्री

आइआइटी पटना का 10 वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को नये ऑडिटोरियम में हुआ. जहां छात्र घुटनों तक सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा और छात्राएं सफेद रंग के सलवार सूट व साड़ी जैसी देसी और परंपरागत परिधानों में नजर आयीं. यह पहला मौका था जब आइआइटी पटना का दीक्षांत समारोह अपने नये ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया.

आइआइटी पटना… तकनीकी उन्नति जरूरी है. लेकिन तकनीकी उन्नति के साथ शांति को भी बढ़ावा मिलना चाहिए. शांति को बढ़ावा देने के लिए बेहतर शिक्षा का उपयोग करें. एक्साइमेंट की कोई बाउंड्री नहीं होती. हर समय देश के बारे में सोंचे कि यह कैसे विकसित बनेगा. इसके लिए नवाचार करें.आत्मनिर्भर बनने का तकनीक विकसित करें. इससे खुद के साथ-साथ समाज व देश को भी आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. यह बातें मंगलवार को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के महानिदेशक डॉ एन कलैसेल्वी ने कही. वह आइआइटी के 10वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि थे. 

स्टूडेंट्स को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि आइआइटी पटना सेकेंड जेनरेशन का संस्थान है. यह काफी तरक्की कर रहा है. विजनरी लीडर हमेशा देश के लिए सोचते है. ऐसे में आप ग्लोबल इनोवेशन को लेकर सोंचे, देश बढ़ेगा तभी आप भी बढ़ेंगे. उन्होंने स्टूडेंट्स को काफी प्रेरणादायक बातें बतायी. उन्होंने कहा कि डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स अपनी क्षमता को बढ़ाये. अवसरों को गले लगाने और लगातार सीखने का प्रयास जारी रखें. सफलता प्राप्त करने के लिए ज्ञान, विनम्रता और उद्देश्य को लेकर चले. प्रत्येक युवा स्नातक 2047 में भारत को एक विकसित देश के रूप में देखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं.

हौसलों के साथ अपने सपनों को पूरा करें युवा : आर के पाठक
विशिष्ट अतिथि प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड नयी दिल्ली के सचिव आरके पाठक ने कहा कि वर्तमान में देश को इनोवेशन की जरूरत है. एक छोटा सा इनोवेशन भी गुणवत्तापूर्ण जिंदगी को गुणात्मक रूप से बढ़ सकता है. युवाओं को जरूरत है कि वह समाज को बदलने की दिशा में सोचें. इसके लिए मेहनत करें. सपना को पूरा करने के लिए नींद व चैन को भी खत्म करने की जरूरत हो तो करें. सपना होना चाहिए और सपना को पूरा करने के लिए हौसला भी होनी चाहिए. सामाजिक जरूरतों को ध्यान में रख कर नवाचारों की दिशा में काम करें. छोटे-छोटे संस्थानों को आइआइटी मार्गदर्शन दे. डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स चुनौतियों को गले लगाने. असफलताओं से सीखें. बेहतर करें. उत्कृष्टता के लिए प्रयास करते हुए अपनी जड़ों से जुड़े रहना जरूरी है. उन्होंने कहा कि असफलताओं के बावजूद बने रहें और अपने क्षेत्रों में सार्थक योगदान दें.

आइआइटी पटना बीओजी (बोर्ड ऑफ गवर्नर्स) के चेयरमैन डॉ आनंद देशपांडेय ने डिग्री लेने वाले स्नातकों को बधाई दी और समाज में उनके योगदान के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने महामारी के दौरान सीखे गये ‘जिम्मेदार जीवन’ के सबक और भारत के जी-20 विषय ”‘सुधैव कुटुम्बकम’ या ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ पर प्रकाश डाला. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस में नये कार्यक्रमों सहित उद्यमिता और नवाचार पर आइआइटी पटना के फोकस पर चर्चा की. उन्होंने छात्रों को आउट ऑफ बॉक्स जाकर सोचने व रिसर्च के लिए कार्य करने की सलाह दी.

अतिथियों का स्वागत करते हुए आइआइटी पटना के निदेशक प्रो टीएन सिंह ने डिग्री लेने वाले सभी स्टूडेंट्स को बधाई दी. उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में आइआइटी पटना 163 वें स्थान पर आ गया है. एनआइआरएफ रैंकिंग में आइआइटी पटना देश के इंजीनियरिंग संस्थानों में 41वें और समग्र रैंकिंग के लिए 66वें स्थान पर है. उन्होंने संस्थान में हो रहे विभिन्न शैक्षणिक, अनुसंधान, छात्र, बुनियादी ढांचे के विकास, स्टार्टअप, टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन हब (टीआइएच), आउटरीच, उद्योग-अकादमिक, प्लेसमेंट एवं इन्टर्नशिप, सतत शिक्षा कार्यक्रम और पूर्व छात्रों से संबंधित गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की. कार्यक्रम का संचालन डीन एकेडमिक प्रो एके ठाकुर ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव संजय कुमार ने किया.

515 छात्र और 115 छात्राओं को मिली डिग्री :
संस्थान के नवनिर्मित सभागार में पहला दीक्षांत समारोह हुआ. इस दौरान कार्यक्रम में कुल 630 स्टूडेंट्स को डिग्री जारी की गयी. इसमें 515 छात्र और 115 छात्राओं को डिग्री प्रदान की गयी. इसमें बीटेक के 335, एमएससी के 73, एमटेक के 90 और पीएचडी में 132 लोगों को डिग्री प्रदान की गयी. 366 स्टूडेंट्स ने व्यक्तिगत रूप से डिग्री प्राप्त की. इसके बाद बचे हुए डिग्री डाक द्वारा भेजी जायेगी.

इन्हें मिला मेडल:
1. प्रेसीडेंट स्वर्ण पदक: बट्टूरी जसवंत (कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग)
2. डायरेक्टर स्वर्ण पदक: गोगिनेनी करिश्मा (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
3. चेयरमैन स्वर्ण पदक: अनुग्रह एके (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
4. आर्यभट्ट स्वर्ण पदक: लवप्रीत सिंह (गणित)

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