झारखंड का ये आदिवासी युवक संताली भाषा की लिपि ओलचिकी पर कर रहा काम, हासिल कर चुका है बड़ी उपलब्धि
श्याम ने 2013 में संताली दिशोम. कॉम नामक वेबसाइट बनायी थी. इसके जरिये श्याम लोगों को संताली भाषा सिखाते थे. उन्हें हाल ही में मुंबई की एक संस्था से कॉफी टेबल बुक बनाने का भी काम मिला है.
प्रवीण मुंडा, रांची : घाटशिला के श्याम मुर्मू संताली भाषा की लिपि ओलचिकी पर तकनीकी रूप से काम कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने ओलचिकी लिपि के डिजिटल फोंट बनाने का काम पूरा किया है. इस फोंट का इस्तेमाल पब्लिकेशन में किया जा सकता है. श्याम ने बताया कि ओलचिकी का फोंट पहले भी उपलब्ध था, पर उसमें तकनीकी रूप से कई खामियां थीं. पहले के फोंट में किसी लेख के हेडिंग और बॉडी टेक्स्ट (रनिंग मेटर) का साइज बराबर था. यह देखने में अच्छा नहीं लगता था. उन्होंने इन खामियों को सुधारा है. श्याम ऐसे फोंट पर भी काम कर रहे हैं, जिसे फैशन एसेसरीज में इस्तेमाल किया जा सके. कपड़ा, बैग या अन्य चीजों में इन फोंट का इस्तेमाल होगा.
इससे पूर्व श्याम ने 2013 में संताली दिशोम. कॉम नामक वेबसाइट बनायी थी. इसके जरिये श्याम लोगों को संताली भाषा सिखाते थे. उन्हें हाल ही में मुंबई की एक संस्था से कॉफी टेबल बुक बनाने का भी काम मिला है. श्याम ने कहा कि यह पुस्तक भी संताली में होगी. 2025 में ओलचिकी लिपि के हो जायेंगे 100 वर्षसंताली भाषा की ओलचिकी लिपि का आविष्कार वर्ष 1925 में पंडित रगुनाथ मुर्मू ने किया था. इस लिपि की वजह से संताली भाषा के विकास में मदद मिली. वर्ष 2025 में ओलचिकी लिपि के 100 साल पूरे हो जायेंगे. फिलहाल श्याम जैसे युवा अपनी स्वचेतना से संताली भाषा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.