झारखंड विधानसभा में वर्ष 2024-25 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने सरकार की चार साल की उपलब्धियों का बखान किया. कहा कि हमारी गठबंधन की सरकार विकास के रास्ते पर दृढ़ता से आगे बढ़ने की चुनौती को स्वीकार किया. उसने अथक प्रयास से झारखंड के वित्तीय प्रबंधन को उत्कृष्ट बनाने में सफलता हासिल की है. हम जनआकांक्षाओं की कसौटी पर खरे उतरे हैं. इसके बाद उन्होंने एक कविता पढ़ी, जो इस प्रकार है :-
हर विघ्न को हमने पार किया,
कांटों का झुरमुट साफ किया,
जब घटा कोरोना की छाई,
सुखाड़ उदासी भर लाई,
जब लगा सिमटने केंद्रीय अनुदान,
वित्तीय प्रबंधन बना समाधान,
हुआ अग्रसर तब अबुआ राज,
कुशल, बेहतर कर काम-काज,
विकास की गाड़ी घर-घर आई,
‘सरकार आपके द्वार’ खुशियां लाई.
झारखंड के वित्त मंत्री ने पढ़ा 41 पेज का बजट भाषण
वित्त मंत्री ने 41 पन्ने के अपने बजट भाषण के 8वें और 9वें पन्ने में जाकर इसके बारे में विस्तार से चर्चा की. तीसरे पन्ने की कविता का विस्तृत वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 से वर्ष 2022-23 के बीच झारखंड की मौजूदा कीमतों पर जीएसडीपी 9.1 फीसदी की औसत वार्षिक दर से बढ़ा. इस दौरान वर्ष 2015-16 में कमजोर मानसून, वर्ष 2019-20 में आर्थिक मंदी और वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी की वजह से विकास दर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. इन 11 वर्षों में से 5 वर्ष आर्थिक विकास दर 14.2 प्रतिशत से अधिक रही.
भाषण का अंत कविता से
उन्होंने बजट भाषण का अंत भी एक कविता से ही किया. कहा कि काल की शाश्वतता में आज का यह कालखंड हमारे आने वाले भविष्य की नींव है. इसलिए आज हमने सदन के पलट पर केवल आय-व्यय का दस्तावेज ही नहीं रखा है, बल्कि यह समस्त झारखंडवासियों के आज और कल की आशाओं और उम्मीदों की मूक अभिव्यक्ति को वाणी भी दी है.
कठिनाइयां बाधा नहीं, दृढ़ प्रयास को करतीं हैं प्रेरित : रामेश्वर उरांव
डॉ उरांव ने कहा कि कठिनाइयां और विषम परिस्थितियां मंजिल के लिए बाधा नहीं, बल्कि वे और ज्यादा दृढ़ प्रयास करने को प्रेरित और संकल्पित करतीं हैं. चंद्रोदय से पूरनमासी के सफर से आगे हमारी गठबंधन सरकार झारखंड के लोगों को विश्वास दिलाना चाहती है कि हम प्रगति और खुशहाली के उस रास्ते पर अग्रसर हैं, जहां विकास का सूरज कभी अस्त नहीं होता. इसके बाद उन्होंने एक कविता पढ़ी-
मैं दृष्टि श्रेष्ठ प्रबंधन का
जल, जमीन और जंगल का
हर हाथ को मिले जब रोजगार
अबुआ आवास की छत-दीवार
कर संपदा का सही इस्तेमाल
बने झारखंड समृद्ध-खुशहाल
गूंजे स्वर मीठे हर कौम से
खुशियां बरसेंगी तब व्योम से
लें प्रण, सब मिलकर करें प्रयास
हर ‘सोमरा-मंगरा’ का हो विकास.