रांची: आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) का नेटवर्क झारखंड में है. यह बात पहली बार वर्ष 2009 में सार्वजनिक हुई, जब केरल पुलिस की चिट्ठी रांची पुलिस को मिली थी. चिट्ठी में बरियातू के दानिश व मंजर इमाम का नाम था. बाद में हुई जांच से पता चला है कि झारखंड में आइएम की नींव वर्ष 2005 में ही पड़ चुकी थी. उसी वर्ष आइएम की गतिविधियां शुरू हो गयी थी. आज की तारीख में जो लोग आइएम के लिए काम कर रहे हैं, वह तब स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के लिए काम कर रहे थे. राज्य की पुलिस ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. इसका परिणाम अब सामने आया है.
रांची और इसके आसपास का इलाका आइएम के आतंकी गतिविधियों का केंद्र बन गया है. बोधगया और पटना में हुए सीरियल ब्लास्ट में झारखंड के आतंकी शामिल थे. आतंकियों ने रांची में ही बम तैयार किया था. हिंदपीढ़ी इलाके के लॉज से नौ बमों की बरामदगी के बाद इसकी पुष्टि हुई. बरामद नक्शों से यह भी साफ हुआ कि रांची में ही आतंकी वारदातों की योजनाएं तैयार की जाती थी.
उज्जैर सबसे पहले आइएम के संपर्क में
रांची के डोरंडा में रहनेवाला उज्जैर सबसे पहले आइएम के संपर्क में आया. उज्जैर का संपर्क हैदर से था. हैदर ने ही दानिश को उज्जैर से मिलवाया था. उसके बाद दानिश और मंजर इमाम एक-दूसरे के संपर्क में आये. मंजर इमाम और दानिश एक ही मुहल्ले में जवान जरूर हुए, लेकिन एक-दूसरे से अनजान थे. मंजर अक्सर पटना जाता था. वहां के बाकरगंज में उसकी रिश्तेदारी है. पटना के नाला रोड में अब्दुल अहद के साथ उसकी मुलाकात दानिश से हुई थी. इसके बाद दानिश ने रांची में मंजर की मुलाकत उज्जैर से करायी थी. उस वक्त मंजर पीजी कर रहा था. दानिश और उज्जैर से मुलाकात के बाद मंजर तकरीर करने लगा था, लेकिन सिमी के लिए काम नहीं करता था. मंजर तकरीर के जरिये धर्म प्रचार का काम करता था. वर्ष 2005 में वह चितरपुर में तकरीर करने गया था. वहां पर उसकी मुलाकात बिहार के औरंगाबाद निवासी हैदर (रांची में डोरंडा थाना क्षेत्र में रहता था) से हुई थी. मंजर ने चितरपुर में जिस आत्मविश्वास के साथ तकरीर की थी, उससे हैदर प्रभावित हुआ था. हैदर ने मंजर से दोस्ती की और यहीं से मंजर का कदम आतंक की दुनिया की तरफ बढ़ा. इसी दौरान हजारीबाग में तकरीर का कार्यक्रम हुआ, जिसमें मंजर, दानिश और हैदर भी शामिल हुआ. हजारीबाग में यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चला. इस बीच तीनों की नजदीकियां भी बढ़ी.
केरल के कैंप में शामिल था मंजर और दानिश
खुफिया एजेंसियों के पास ऐसी सूचना है, जिसके मुताबिक वर्ष 2006 में उत्तर प्रदेश के भदोही में स्टूडेंट इसलामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी ) का कार्यक्रम हुआ था. इसमें रांची के मंजर और दानिश के अलावा कई युवक भी शामिल हुए. यह वह वक्त था, जब सिमी के खिलाफ देश भर में पुलिस की कार्रवाई तेज हुई थी. सिमी से जुड़े लोग छोटे शहरों के युवकों को लेकर नया संगठन बनाने पर काम कर रहे थे. माना जाता है कि 30 अक्तूबर 2008 को गुवाहाटी में हुए सीरियल ब्लास्ट, जिसमें 77 लोग मारे गये थे और 470 लोग घायल हुए थे, के बाद इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम सामने आया था. धार्मिक कट्टरता में डूब चुके हैदर, दानिश, मंजर जैसे कई युवक इंडियन मुजाहिद्दीन में शमिल हो गये थे. गुवाहाटी विस्फोट से पहले वर्ष 2008 में ही केरल के आरनाकुलम में इंडियन मुजाहिद्दीन का ट्रेनिंग कैंप लगा था. कैंप खत्म होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को कैंप से जुड़े कुछ दस्तावेज हाथ लगे थे. इसके बाद यह तथ्य सामने आया था कि मंजर इमाम और दानिश भी ट्रेनिंग कैंप में शामिल हुआ था. केरल में देश भर से आये युवकों को बम बनाने, बमों को विस्फोट कराने और युवकों को संगठन में शामिल करने के तरीके बताये गये थे.
तकरीर में जोड़ते हैं युवकों को
आइएम से युवकों को जोड़ने के लिए संगठन तकरीर (धार्मिक प्रवचन के कार्यक्रम) का सहारा लेते हैं. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक तकरीर में आइएम से जुड़े आतंकी भी जाते हैं और उसमें हिस्सा लेते हैं. अब तक आइएम से जुड़े जिन युवकों का भी नाम सामने आया है, वह अक्सर तकरीर में जाया करते थे. इन आतंकियों के बारे में रिसर्च करने के बाद सुरक्षा एजेंसियां इस नतीजे पर पहुंची है कि तकरीर के दौरान ही ऐसे युवकों को चिह्न्ति किया जाता है, जिनमें धार्मिक कट्टरता होता है. ऐसे युवकों से उज्जैर जैसे आइएम के लोग जुड़ते हैं, जो शातिर व तेज दिमाग के होते हैं. उज्जैर जैसे लोग युवकों के धार्मिक भावना को भड़काते हैं और उन्हें सरकार, व्यवस्था और दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ काम करने के लिए दिमागी तौर पर तैयार करते हैं. युवकों को सीडी के जरिये दुनिया भर में हो रही घटनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है. इसमें यह दिखाया जाता है कि दुनिया भर में उसके धर्म के लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है. इसे रोकने के लिए जेहाद जरूरी है. जेहाद शब्द को भी ये लोग अपने तरीके से पारिभाषित कर युवकों को भड़काते हैं. जो युवक इनकी सोंच में ढ़ल जाते हैं, उन्हें बम बनाने और हथियार चलाने के प्रशिक्षण देकर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने लायक बनाया जाता है. तकरीर करने और कराने वालों के पास उन लोगों की लिस्ट रहती है, जो इन इसमें दिलचस्पी रखते है. सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक आइएम के लिए काम करने वाले अधिकांश आतंकी धर्म प्रचार के काम में लगे होते हैं.
यासीन भटकल और मोनू लंबे समय तक रहा रांची में
रांची में खुद को सुरक्षित महसूस करने के कारण ही आइएम प्रमुख यासीन भटकल और तहसीन उर्फ मोनू रांची आ गया. यहां लंबे समय तक रहा. दानिश और मंजर ने दोनों के रहने की व्यवस्था की थी. दोनों रांची के कांटाटोली में अलग-अलग किराये पर मकान लेकर रहते थे. रांची में तहसीन उर्फ मोनू धर्म बदल कर रहता था. दानिश, मंजर और उज्जैर ने कई युवकों को दोनों से मिलवाया. पाकिस्तान निवासी वकास भी दोनों से मिलने रांची आता रहता था. यहां वह कई-कई दिनों तक रूकता था. रांची के जिन आतंकियों के नाम अब तक सामने आये हैं, उनके बारे में सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह आइएम का एक मॉडयूल (टीम) है, जिसमें इम्तियाज शामिल था. पटना में हुए सीरियल ब्लास्ट के वक्त इम्तियाज के पकड़े जाने की वजह से इस मॉडयूल के सारे आतंकियों (उज्जैर, नुमान, तौफिक, मुजीबुल्ला आदि ) का नाम सामने आ गया. यह तय है कि रांची, जमशेदपुर, चितरपुर, हजारीबाग व अन्य शहरों में आइएम का दूसरा मॉडयूल है, जिसके बारे में अब तक सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी नहीं है.
22 जनवरी 2002 : कोलकाता अमेरिकन सेंटर के सामने ब्लास्ट
22 जनवरी 2002 को कोलकाता स्थित अमेरिकन सेंटर पर आतंकियों ने हमला किया था. इस घटना के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने हजारीबाग के खिरगांव मुहल्ले एक घर में रह रहे हरकत उल जिहाद अल इस्लामी संगठन के आतंकवादी सलीम व जाहिद को मुठभेड़ में मार गिराया था.
वर्ष 2003 : अंसल प्लाजा ब्लास्ट
2003 में दिल्ली के अंसल प्लाजा में लश्कर ए तोइबा नामक आतंकी संगठन ने विस्फोट किया था. इस विस्फोट में शामिल एक आतंकी शहनवाज को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था. उसके पास से बरामद ड्राइविंग लाइसेंस से यह खुलासा हुआ था कि उसने जमशेदपुर में रह कर ड्राइविंग सीखी थी. फिर स्थानीय लोगों के सहयोग से ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवाने में सफल रहा था.
वर्ष 2006 : जमशेदपुर में दो गिरफ्तार
2006 में कोलकाता पुलिस ने जमशेदपुर के आजाद नगर में छापामारी कर लश्कर ए तोइबा के आतंकी तारीख अख्तर को गिरफ्तार किया था. उससे पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने आजाद नगर के कुली रोड में रह रहे नूर मोहम्मद को गिरफ्तार किया था. साथ ही उसके घर से पुलिस ने विस्फोटक, आतंकी साहित्य और कुछ सीडी बरामद किया था.
वर्ष 2007 : जामताड़ा कनेक्शन
18 मई 2007 को हैदराबाद के मक्का मसजिद में आतंकियों ने बम ब्लास्ट किया था. प्रत्क्षदर्शियों के बयान के आधार पर पुलिस ने आतंकियों का स्कैच तैयार करवाया था. जिसके बाद पता चला था कि आतंकी जामताड़ा में देखे गये थे. पश्चिम बंगाल के पते पर जामताड़ा से सिम कार्ड खरीदा गया था. मामले में पुलिस ने सिम कार्ड बेचने वाले जामताड़ा निवासी को हिरासत में लेकर दुकानदार से पूछताछ की थी.
अक्तूबर 2007 : जामताड़ा से गिरफ्तारी
अक्तूबर 2007 राजस्थान के अजमेर में हुए विस्फोट की घटना में अजमेर पुलिस की सूचना पर सीआइडी की टीम ने जामताड़ा में छापेमारी कर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. वह राजस्थान के मदरसे में रह कर वहां बच्चों को तालीम देने का काम करता था.
वर्ष 2011 : छह किलो सोने की लूट
वर्ष 2011 इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकियों ने भोपाल में मण्णापुरम गोल्ड फाइनांस कंपनी के ऑफिस में हमला कर वहां से छह किलो सोने की लूट की थी. इस दौरान एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी. पुलिस की जांच में घटना में इंडियन मुजाहिद्दीन का भोपाल सरगना डॉ अबू फैजल व इकरार शेख के बारे में जानकारी सामने आयी थी. पता चला था कि घटना के बाद दोनों दो माह तक जमशेदपुर में रहे. इस दौरान बरियातू निवासी दानिश और मंजर की मदद से जमशेदपुर के जाकिर नगर में घर खरीदा. गैस कनेक्शन लिया और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया. दोनों की गिरफ्तारी के बाद भोपाल पुलिस ने जमशेदपुर के जाकिर नगर स्थित घर में छापेमारी की थी. जहां से तीन किलो सोना बरामद हुआ था.
2012 : हजारीबाग से एक गिरफ्तार
एनआइए की टीम ने 29 फरवरी 2012 को हजारीबाग में इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) के सदस्य के होने की सूचना पर छापामारी की थी. टीम ने इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादी होने के आरोप में पीर मुहम्मद नामक युवक को गिरफ्तार किया था. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने दूसरे आतंकवादी को दिल्ली से गिरफ्तार किया था.
पुलिस की पकड़ में आतंकी. यासीन भटकल से मिलने के बाद बदल गयी तहसीन उर्फ मोनू की जिंदगी
रांची/समस्तीपुर: इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) के सरगना तहसीन अख्तर उर्फ मोनू बचपन से मेधावी छात्र था. उसने गांव के पास के स्कूल से मिडिल और फिर मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी. इसके बाद वह दरभंगा में इंटर की पढ़ाई के लिए गया था, इसी दौरान उसका सेलेक्शन पॉलिटेक्निक में हो गया. वहीं, पढ़ाई के दौरान एक पुस्तकालय में तहसीन का संपर्क आइएम के सरगना यासीन भटकल से हुई थी. भटकल से मुलाकात ने तहसीन की जिंदगी बदल दी. इंजीनियर की पढ़ाई की जगह उसका मकसद आतंक फैलाना हो गया. पढ़ाई में अव्वल तहसीन को यासीन भटकल ने ऐसा पाठ पढ़ाया, वह उसका सबसे भरोसेमंद सहयोगी बन गया. उसने आतंकी ट्रेनिंग लेने के बाद यासीन भटकल के दिशा-निर्देश पर काम शुरू किया. उसने आइएम का नेटवर्क बढ़ाने का भी काम किया. तहसीन इतना शातिर हो गया कि जहां भी जांच एजेंसियों को उसके होने की भनक लगती थी. वह वहां से पहले निकल जाता था. वह वेष बदलने में माहिर है. मुजफ्फरपुर में शिक्षक के रूप में काम कर रहा था, तो राजस्थान के अजमेर में उसके टूरिस्ट गाइड के रूप में काम करने की बात सामने आयी. इस दौरान देश में जो भी ब्लास्ट हो रहे थे. उसमें उसका नाम प्रमुखता से आ रहा था.
बताते हैं 2008-2009 में घर से निकला तहसीन 2010 तक आइएम का सक्रिय सदस्य व मजबूत स्तंभ बन चुका था. हालांकि उसके परिजन कहते हैं कि 2011 से तहसीन से उनका किसी तरह का संपर्क नहीं है. तहसीन के पिता वसीम अख्तर ने कल्याणपुर एवं दरभंगा पुलिस के समक्ष गुमशुदगी का सनहा भी दर्ज कराया था.
दिसंबर, 2011 में पहली बार पहुंची थी एनआइए
मुंबई ब्लास्ट में यासीन भटकल व तहसीन अख्तर उर्फ टी मोनू के नाम का खुलासा होने के बाद एनआइए व मुंबई स्पेशल पुलिस की टीम पहली बार दिसंबर, 2011 में समस्तीपुर के कल्याणपुर थाना के मनियारपुर गांव पहुंची. इसके बाद तहसीन का नाम आतंकी संगठन से जुड़ने की चर्चा फैली. इसके बाद घर की तस्वीर भी खींची गयी. उस वक्त टीम ने दिल्ली से गिरफ्तार एक आतंकी को भी अपने साथ लायी थी. इसके बाद शहर के धर्मपुर व आसपास के क्षेत्रों में जांच पड़ताल की. साथ ही जांच करने के दौरान हर स्थान की फोटोग्राफी की गयी थी. इसके बाद तो एनआइए के अधिकारियों का आने का सिलसिला जारी रहा. मुंबई ब्लास्ट के दौरान पूर्णिया, किशनगंज सहित अन्य स्थानों पर से कुछ आतंकी की गिरफ्तारी के बाद आइएम का मास्टर माइंड के रूप में तहसीन की तलाश में टीम पहुंची थी. फरवरी, 2012 में भी एनआइए की टीम ने ाहसीन के घर पहुंच कर मामले की जांच की.
तीन बार तहसीन के घर चिपकाया इश्तेहार
तहसीन अख्तर उर्फ मोनू की तलाश में एनआइए की टीम ने तीन बार अलग-अलग मामले में इश्तेहार चिपकाया था. पहली बार मनियारपुर गांव स्थित तहसीन अख्तर उर्फ मोनू उर्फ मेमन के घर 18 नवंबर, 2013 को दिल्ली से जुड़े 2010 के बम ब्लास्ट मामले में भी इश्तेहार चिपकाया था. इसके बाद 30 नवंबर, 2013 को एनआइए स्पेशल कोर्ट दिल्ली से जारी केस संख्या 06/12 के मामले में इश्तेहार चस्पा किया गया था. तीसरी बार 11 दिसंबर, 2013 को एनआइए की टीम पटना सीरियल ब्लास्ट के मामले में पहुंची थी. एनआइए के इंस्पेक्टर सुशील कुमार उपाध्याय के नेतृत्व में पहुंची टीम ने कल्याणपुर पुलिस के साथ तहसीन के गांव मनियारपुर में उसके परिजनों से भी पूछताछ की. इसके बाद पटना सीरियल ब्लास्ट मामले से जुड़े केस संख्या 10/13 एवं 11/13 में तहसीन को फरार घोषित करते हुए इश्तेहार चिपकाया. एनआइए के स्पेशल कोर्ट के जज अनिल कुमार सिंह के कोर्ट से नौ दिसंबर को इश्तेहार जारी किया गया है. घर पर इश्तेहार चस्पाने के बाद एनआइए अधिकारी ने गवाह के रू प में तहसीन के भाई एवं दो ग्रामीणों से भी हस्ताक्षर करवाया.
दस लाख का इनामी है तहसीन
देश के विभिन्न स्थानों पर हुए ब्लास्ट के बाद आइएमए ने 12 आतंकी की तस्वीर को जारी किया. इनमें यासीन भटकल के साथ आइएम के मास्टर माइंड माने जानेवाले तहसीन अख्तर उर्फ टी मोनू का नाम दूसरे नंबर पर अंकित है, जबकि पहले नंबर पर अंकित यासीन भटकल की गिरफतार अगस्त माह में ही कर ली गयी थी. यासीन भटकल व तहसीन के अलावा सभी 12 आतंकी पर एनआइए के दस लाख रुपये का इनाम घोषित कर चुका है. भटकल गिरफ्तार है. सूची में शामिल बिहार के दो लोगों में तहसीन के अलावा गया जिले के मोहनपुर का अमीर रजा खां उर्फ परवेज का भी नाम शामिल है.
वेश बदले में माहिर है तहसीन
तहसीन अपना हुलिया व भेष बदले में माहिर माना जाता है. पुलिस की नजर से बचने के लिए वह लगातार अपना रूप बदल रहा था. इसके कारण तहसीन तक पहुंचने के लिए एनआइए को काफी पेपर बेलना पड़ा. कई बार एनआइए ने तहसीन के बदले हुलिया का फोटो भी जारी किया था.
तीन नामों से जाना जाता था तहसीन
तहसीन अख्तर तीन अलग-अलग नामों से जाना जाता था. तहसीन अख्तर को दूसरा नाम टी मोनू व तीसर नाम मेमन है. एनआइए की ओर तहसीन की नयी तस्वीर के साथ जारी किए पोस्टर में इसके तीनों नामों का खुलासा किया गया है. इससे पूर्व उसे तहसीन अख्तर उर्फ मोनू या टी मोनू के नाम से जाना जाता था.
तहसीन के पिता का लिया था ब्लड सैंपल
आइएम के मास्टर माइंड यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद एक सितंबर, 2013 को एनआइए की टीम तहसीन के पिता वसीम अख्तर को हिरासत में लेकर कल्याणपुर थाना पहुंची. पूछताछ के बाद एनआइए के निर्देश पर वसीम अख्तर के ब्लड का सैंपल लिया गया. थाना पर ही कल्याणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शिवनाथ शरण ने वसीम अख्तर का ब्लड सैंपल लिया. कुछ घंटे के बाद वसीम को छोड़ दिया गया.
कांटाटोली में वर्षो तक रहा तहसीन अख्तर उर्फ मोनू
आरंभिक शिक्षा
गांव के ही स्कूल में आरंभिक स्कूली शिक्षा के बाद कुछ दिनों के लिए अपनी बुआ के घर मुंबई भी रहा.
फिर पटना में रहने वाले एक चाचा के यहां रहा.
इसके बाद पॉलिटेक्निक कालेज दरभंगा में दाखिला लिया. वहां एक लाइब्रेरी में भटकल से संपर्क हुआ.
1 सितंबर ,2013 को तहसीन के पिता वसीम अख्तर का ब्लड सैंपल लिया गया.
17 नवंबर, 2013 को दिल्ली ब्लास्ट मामले में उसके घर पर कुर्की से पूर्व का इश्तेहार चिपकाया गया.
10 दिसंबर, 2013 को पटना ब्लास्ट मामले में उसके घर व प्रखंड कार्यालय पर इश्तेहार चस्पाया गया.
11 जनवरी, 2014 को तहसीन के घर की कुर्की जब्ती की गयी. एनआइए की टीम ने स्थानीय थाना के सहयोग से किया.
कांटाटोली, रांची में लंबे समय तक धर्म बदल कर रहा.
मो तहसीन अख्तर
पिता का नाम : मो वसीम अख्तर
घर : मनियारपुर
थाना : कल्याणपुर
जिला : समस्तीपुर
प्रांत : बिहार
जन्म तिथि : तीन जुलाई, 1990