रांची: बीआइटी मेसरा प्रबंधन ने देवघर एक्सटेंशन सेंटर (विस्तार पटल) का भवन सरकार को नहीं सौंपा है. राज्य सरकार के विज्ञान प्रावैधिकी विभाग और बीआइटी मेसरा के कुलपति के साथ 28 मार्च 2005 को हुए समझौते में इस बात का जिक्र था कि परियोजना के पूरा होने अथवा विस्तार पटल से पहले बैच के पास आउट होने पर संपत्ति सरकार को सौंप दी जायेगी.
सरकार के अनुसार बीआइटी मेसरा प्रबंधन समझौते की शर्तो को नहीं मान रहा है. इससे सरकार को राजकीय अभियंत्रण कॉलेज देवघर का परिसर मिलने में दिक्कत हो रही है.
संस्थान में प्रत्येक वर्ष कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मेकेनिकल इंजीनियरिंग और प्रोडक्शन इंजीनियरिंग ट्रेड में 270 विद्यार्थियों का नामांकन हो रहा है. राज्य में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 10 एकड़ से अधिक की जमीन बीआइटी मेसरा को दी थी. सरकार की तरफ से भवन निर्माण के लिए वर्ष 2004-05 से लेकर 2007-08 तक 40 करोड़ रुपये दिये गये हैं.
क्या है समझौते में
समझौते में इस बात का उल्लेख किया गया था कि वित्तीय वर्ष 2007-08 के बाद सरकार बीआइटी के साथ हुए समझौते का विस्तार नहीं करेगी. तत्कालीन सचिव राजबाला वर्मा के समय यह समझौता हुआ था. समझौते की शर्तो में छह सदस्यीय कार्यकारिणी समिति के गठन की बात भी कही गयी थी. इसमें बीआइटी मेसरा के कुलपति को अध्यक्ष, देवघर के उपायुक्त, सरकार के दो नामित प्रतिनिधियों को सदस्य और बीआइटी मेसरा के निदेशक मंडल की ओर से नामित दो लोगों को भी सदस्य बनाने की बातें कही गयी थीं. बीआइटी मेसरा को दी गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी सरकार को उपलब्ध कराना जरूरी था.