रांची: अोरमांझी के पिस्का में रामधन बेदिया (मुखिया) के माइंस व संजय कुमार के क्रशर में हमला करने के आरोप में पुलिस ने पीएलएफआइ के चार उग्रवादियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार उग्रवादियों में मनोज मुंडा,मनीष कच्छप, मोहन उरांव व महाबीर मुंडा शामिल है. पुलिस ने उनके पास से हथियार, कारतूस, एक स्कॉर्पियों, दो बोलेरो समेत अन्य सामान बरामद किया है.
एक बोलेरो व स्कॉर्पियों मुकेश नामक व्यक्ति का है़ वहीं दूसरा बोलेरो दिनेश नामक व्यक्ति का है. घटना को अंजाम देने में 15 उग्रवादी शामिल थे. 11 अन्य उग्रवादियों के नाम और पते की जानकारी गिरफ्तार उग्रवादियों ने पुलिस को दे दी है. यह जानकारी बुधवार को एएसपी अभियान आरसी मिश्रा ने अपने कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी.
एएसपी अभियान के अनुसार 11 जुलाई की देर रात पिस्का में रामधन बेदिया के माइंस और संजय कुमार के क्रशर में पीएलएफआइ उग्रवादियों ने हमला कर पोकलेन व जेसीबी मशीन जला दिया था. इस घटना को जेल में बंद पीएलएफआइ के जोनल कमांडर तुलसी पाहन के निर्देश पर अंजाम दिया गया था. इसका उद्देश्य क्रशर व माइंस व्यवसायियों से लेवी वसूलना तथा संगठन विस्तार के लिए दहशत कायम करना था. घटना को अंजाम देने के बावजूद जब व्यवसायियों ने पीएलएफआइ को लेवी नहीं भेजी, तब किसी दूसरी घटना को अंजाम देने के लिए उद्देश्य से पीएलएफआइ के उग्रवादी 18 जुलाई को जराटोली आनंदी में एकत्र हुए थे. सूचना मिलने पर तत्काल छापेमारी के लिए जिला पुलिस, जेजे व एसएसबी को मिल कर एक टीम का गठन किया गया. टीम ने चार उग्रवादियों को हथियार, कारतूस व संगठन के परचे के साथ गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उन्होंने माइंस व क्रशर में हमला की बात को स्वीकार कर लिया. उग्रवादियों ने बताया कि मनीष कच्छप को जेल में बंद उग्रवादी तुलसी पाहन द्वारा ओरमांझी क्षेत्र में लेवी वसूले जाने की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. उसे संगठन में एरिया कमांडर का पद दिया जाना था.
तुलसी पाहन से जेल में हुई थी मनोज मुंडा की दोस्ती
मनोज मुंडा पूर्व में अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में जेल में बंद था. इसी दौरान उसकी दोस्ती उग्रवादी तुलसी पाहन से हो गयी. मनोज मुंडा की पत्नी का मायका धनबाद में था. तुलसी पाहन से उसे कुख्यात अपराधी फहीम खान के माध्यम से केस मैनेज कराने का लोभ देकर संगठन में शामिल किया था.
टोल प्लाजा में फायरिंग करनेवाले थे उग्रवादी
एसएसपी अभियान ने उग्रवादियों को जब क्रशर व माइंस पर हमला करने के बाद भी लेवी नहीं मिला, तब वे 18 जुलाई को इलाके में दहशत फैलाने के लिए ओरमांझी टॉल प्लाजा पर फायरिंग करनेवाले थे. लेकिन घटना को अंजाम देने से पहले सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. एएसपी अभियान के अनुसार मनीष कच्छप 2012 में उग्रवादी केस में नरकोपी थाना से जेल जा चुका है. मोहन उरांव भी 2007 में इटकी थाना से रेप के केस में तथा 2012 में नरकोपी थाना से उग्रवादी केस में जेल जा चुका है.