रांची: शहर के थानों में तैनात पुलिस पदाधिकारी और जवान काम के बोझ से दबे हैं. खाने-पीने से लेकर सोने तक के लिए समय नहीं मिलता है. प्रभात खबर ने शनिवार को लालपुर थाने में जाकर वहां के पदाधिकारियों व जवानों के काम के बारे में बात की. पदाधिकारियों व जवानों को सोने तक का वक्त नहीं मिलता है. एक तो स्वीकृत बल के मुताबिक पदाधिकारियों व जवानों का पदस्थापन थाना में नहीं किया गया, ऊपर से सीनियर अफसरों का हर दिन निकलने वाले आदेशों का पालन करते-करते पदाधिकारी व जवान हलकान हो रहे हैं.
थाना में हर माह 30-35 केस दर्ज किये जाते हैं, जिनमें 10 से 15 मामले गंभीर श्रेणी के होते हैं. इसके अनुसंधान की जिम्मेदारी वहां के पदाधिकारियों पर ही होती है. प्रत्येक माह 10 से अधिक पासपोर्ट का वेरिफिकेशन करना होता है, 10-15 लोगों के चरित्र का सत्यापन, 200 के करीब सम्मान व वारंट का तामिला करना होता है. इसके अलावा थाना में तैनात पदाधिकारियों व जवानों को महीने में 10-15 दिन विधि-व्यवस्था की ड्यूटी करनी पड़ती है.
दर्ज केस में 10 से 15 मामले गंभीर और अन्य साधारण नेचर के
शाम पांच बजे रात्रि 10 बजे
रात्रि 10 बजे से सुबह 10 बजे
प्रत्येक माह 10 से 15 लोगों के चरित्र का सत्यापन
करीब 200 सम्मन और वारंट का तामिला कराना
थाना में प्रतिमाह करीब 50 विशेष और करीब 100 साधारण जांच से संबंधित मामले आते हैं, जिनकी जांच करना
किसी मामले में आरोपियों का सत्यापन करना.
परीक्षा ड्यूटी
पर्व, त्योहार, धरना, प्रदर्शन और जुलूस से संबंधी ड्यूटी
केस में गवाही के लिए समय- समय पर न्यायालय जाना
डेली रिपोर्ट तैयार करना
मुख्यमंत्री जन संवाद से प्राप्त मामलों की जांच
मासिक रिपोर्ट तैयार करना
घटना-दुर्घटना के शिकार लोगों को अस्पताल पहुंचाना
केस से संबंधित मामले में न्यायालय में शपथ पत्र देना
राज्य सभा और लोकसभा से संबंधित प्रश्नों का जवाब तैयार करना
समय-समय पर बैंक चेकिंग और एंटी क्राइम कंट्रोल चेकिंग