सरहुल शोभायात्रा कल, उपवास आज

रांची: प्रकृति पर्व सरहुल की भव्य शोभायात्रा दो अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ निकाली जायेगी. विभिन्न सरना समितियों व संगठनों ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. सोमवार को इस विषय पर सरना समन्वय समिति की बैठक हुई. इसमें कहा गया कि शोभायात्रा में अधिक से अधिक लोग शामिल हों. पारंपरिक वेशभूषा व पारंपरिक वाद्ययंत्रों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2014 7:45 AM

रांची: प्रकृति पर्व सरहुल की भव्य शोभायात्रा दो अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ निकाली जायेगी. विभिन्न सरना समितियों व संगठनों ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. सोमवार को इस विषय पर सरना समन्वय समिति की बैठक हुई. इसमें कहा गया कि शोभायात्रा में अधिक से अधिक लोग शामिल हों. पारंपरिक वेशभूषा व पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग करें. नशापान कर शोभायात्रा में शामिल नहीं हों.

समन्वय समिति के संयोजक मेघा उरांव ने बताया कि एक अप्रैल को उपवास रखा जायेगा. दो अप्रैल को अपराह्न् एक बजे शोभायात्रा निकाली जायेगी. तीन अप्रैल को फूलखोंसी का कार्यक्रम होगा. बैठक में रंजीत टोप्पो, बुधु भगत, अनिल उरांव, बिरसा भगत, कुमुदनी लकड़ा, सीमा टोप्पो, लुथरू उरांव, लोरया उरांव, फूलचंद तिर्की, कंदरू उरांव व अन्य शामिल थे.

सरहुल पूर्व संध्या समारोह आज : सरना नवयुवक संघ द्वारा एक अप्रैल को मोरहाबादी स्थित दीक्षांत समारोह परिसर, मोरहाबादी में सरहुल पूर्व संध्या समारोह का आयोजन किया जायेगा. संघ के अध्यक्ष प्रो हरि उरांव व सचिव महेश भगत ने बताया कि मौके पर ‘सरना फूल’ पत्रिका के 29 वें अंक का लोकार्पण भी होगा. इसकी तैयारी में प्रो चौठी उरांव, विरेंद्र उरांव, शशि विनय भगत, मणिलाल उरांव, संजय टोप्पो, कविता भगत, धीरज उरांव, रीना कुमारी व अन्य सदस्य जुटे हैं.

पारंपरिक रीति रिवाज से मनायें सरहुल
केंद्रीय सरना पूजा समिति, हातमा के जगलाल पाहन ने सभी सरना धर्मावलंबियों से सरहुल पूजा महोत्सव पारंपरिक विधि विधान से मनाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सभी पाहन दो अप्रैल को अपने अपने सरना स्थलों में दोपहर 12 बजे तक पूजा संपन्न करा लें. इसके बाद सरना माता के समक्ष नत मस्तक होकर आशीष लें. सरहुल पूजा के दिन मिट्टी की कोड़ाई – कटाई वजिर्त रहेगी. सभी सरना धर्मावलंबी आदिवासी वेशभूषा व गाजा – बाजा के साथ, पारंपरिक लोकनृत्य करते हुए अपराह्न् एक बजे तक मुख्य शोभायात्रा में शामिल हो जायें. सभी सरना समितियां अपने स्वयंसेवकों की जिम्मेवारी तय कर दें, जो अपने टीम की निगरानी करेंगी व विधि व्यवस्था संभालने में सहयोग देंगे. उन्होंने बताया कि केंद्रीय सरना पूजा स्थल, सरना टोली, हातमा में एक अप्रैल की शाम 7. 30 बजे जल रखायी पूजा होगी. दो अप्रैल को पूर्वाह्न् 11 बजे से पूजा होगी.

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