राज्य में कई योजनाएं फंसीं, लागू है आदर्श आचार संहिता

रांचीः राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से शहरी और ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं, सिवरेज परियोजना, पोषाहार योजना, सरकारी अस्पतालों का सर्वेक्षण, मेसो अस्पतालों का प्रबंधन निजी हाथों में सौंपने जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. इनमें से अधिकतर योजनाओं की निविदा अंतिम दौर पर निर्णय के लिए लंबित हैं. सबसे अधिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2014 3:42 AM

रांचीः राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से शहरी और ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं, सिवरेज परियोजना, पोषाहार योजना, सरकारी अस्पतालों का सर्वेक्षण, मेसो अस्पतालों का प्रबंधन निजी हाथों में सौंपने जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. इनमें से अधिकतर योजनाओं की निविदा अंतिम दौर पर निर्णय के लिए लंबित हैं. सबसे अधिक योजनाएं जलापूर्ति से संबंधित हैं, जिन पर आचार संहिता की वजह से निर्णय नहीं हो पा रहा है.

आचार संहिता के कारण राज्य में करीब 700 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं फंसी हुई हैं. यही स्थिति राज्य में 4.50 लाख से अधिक अति कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार देने की योजना की भी है. 254 करोड़ की योजना भी अंतिम निर्णय लिये जाने की स्थिति में लंबित है. निविदा की सारी औपचारिकताएं समाज कल्याण विभाग से पूरी कर ली गयी हैं.

शहर की सिवरेज व्यवस्था के लिए पहले चरण की निविदा आमंत्रित करने का मामला भी आचार संहिता लागू होने के कारण फंसा हुआ है. पहले चरण की यह योजना 65 करोड़ की है. इसके लिए केंद्र सरकार ने झारखंड को पैसे भी दे दिये हैं. कल्याण विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में बने आधा दर्जन मेसो अस्पतालों का प्रबंधन निजी हाथों में सौंपे जाने संबंधी निविदा भी आचार संहिता लागू रहने की वजह से अगली तिथि के लिए स्थगित कर दी गयी है. स्वास्थ्य विभाग के झारखंड रूरल हेल्थ मिशन के तहत सरकारी अस्पतालों में दी जा रही सुविधाओं का सर्वेक्षण कराये जाने का कार्य भी 10 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

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