एचइसीः कार्यवाहक सीएमडी बोले, खाली भूमि पर लगेंगे उद्योग

रांचीः एचइसी की खाली पड़ी जमीन पर उद्योग लगाये जायेंगे. इसके लिए एचइसी प्रबंधन ने पहल शुरू कर दी है. भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव सह एचइसी के कार्यवाहक सीएमडी विश्वजीत सहाय ने कहा कि इसके लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की सहमति मिल गयी है. बोर्ड ने उन्हें इस कार्य के लिए अधिकृत किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2014 5:46 AM

रांचीः एचइसी की खाली पड़ी जमीन पर उद्योग लगाये जायेंगे. इसके लिए एचइसी प्रबंधन ने पहल शुरू कर दी है. भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव सह एचइसी के कार्यवाहक सीएमडी विश्वजीत सहाय ने कहा कि इसके लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की सहमति मिल गयी है. बोर्ड ने उन्हें इस कार्य के लिए अधिकृत किया है.

कई निजी कंपनियों ने इस संदर्भ में संपर्क भी किया है. उद्योग लगाने के लिए कंपनियों को दो विकल्प दिये गये है. एक जमीन को लीज पर देने का और दूसरा संयुक्त उद्यम लगाने का विकल्प दिया गया है. जमीन को लीज पर देने से एचइसी को 200 से 300 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है. एचइसी क्षेत्र में मैन्यूफैरिंग यूनिट होने से एचइसी को कार्यादेश भी मिलेगा.

टल जायेगा संकट

श्री सहाय ने कहा कि एचइसी वर्तमान में आर्थिक संकट से गुजर रहा है, लेकिन यह संकट अधिक दिनों तक नहीं रहेगा. एचइसी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए प्रबंधन हरसंभव प्रयास कर रहा है. भारी उद्योग मंत्रलय के अन्य अधिकारी भी चाहते हैं कि एचइसी बंद नहीं हो. सभी का सहयोग मिल रहा है. जमीन के एवज में राज्य सरकार पर बकाया 111 करोड़ रुपये हासिल करने के लिए भी पहल की गयी है. इसमें से 36 करोड़ रुपया जल्द ही मिल जायेगा. वित्तीय वर्ष 2013-14 में एचइसी के प्रदर्शन पर श्री सहाय ने कहा कि एचइसी ने 1001 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था. अभी लेखा-जोखा चल रहा है, जल्द ही घोषणा की जायेगी.

इस साल हालत में सुधार

श्री सहाय ने कहा कि पब्लिक सेक्टर की कई कंपनियां वित्तीय वर्ष का उत्पादन मार्च माह के बजाय अप्रैल-मई तक का उत्पादन दिखाते हैं लेकिन एचइसी में पहली बार उत्पादन 31 मार्च तक का ही लिया गया है. उन्होंने कहा कि एचइसी का नेट वर्थ निगेटिव 800 करोड़ रुपये है. इस वर्ष इसमें सुधार हुआ है. वित्तीय वर्ष 2014-15 के लक्ष्य पर कहा कि एचइसी ने 850 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया है. यह पिछले वित्तीय वर्ष से 151 करोड़ कम है. वर्ष 2013-14 में कम उत्पादन होने के कारण लक्ष्य कम किया गया है.

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