फर्जी कंपनी के नाम पर पीटीपीएस में हुई 73 लाख की अवैध निकासी, अब हो रही है जांच

सुनील चौधरी रांची : फर्जी कंपनी के नाम पर पीटीपीएस के अधिकारियों ने 73 लाख रुपये की अवैध निकासी की है. मुख्यमंत्री सचिवालय के आदेश पर अब इस मामले की जांच हो रही है. जांच झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड वित्त नियंत्रक अमित बनर्जी व मुख्य अभियंता जयप्रकाश कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2017 8:21 AM

सुनील चौधरी

रांची : फर्जी कंपनी के नाम पर पीटीपीएस के अधिकारियों ने 73 लाख रुपये की अवैध निकासी की है. मुख्यमंत्री सचिवालय के आदेश पर अब इस मामले की जांच हो रही है. जांच झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड वित्त नियंत्रक अमित बनर्जी व मुख्य अभियंता जयप्रकाश कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि आरंभिक जांच में ही पता चला है कि जिस कंपनी के नाम से परचेज अॉर्डर दिया गया था, उस कंपनी का अस्तित्व ही नहीं है. फिलहाल मामले में फाइनल रिपोर्ट नहीं दी गयी है.

क्या है मामला : पतरातू के देवनारायण मुंडा ने 26 अप्रैल 2012 को मुख्यमंत्री सचिवालय को ज्ञापन देकर शिकायत की थी कि पतरातू थर्मल पावर स्टेशन द्वारा 21.8.2017 एवं पीओ नंबर26/पीयूआर-40/12 दिनांक 30.4.2013 को जारी परचेज अॉर्डर पर फर्जी कंपनी के नाम पर क्रमश: 45.91 लाख एवं 24.45 लाख रुपये की अवैध निकासी की गयी है.

श्री मुंडा ने पूरे मामले की जांच कराने की मांग मुख्यमंत्री से की थी. पर मामला दबा रहा. इसके बाद मुख्यमंत्री जनशिकायत कोषांग में भी शिकायत की गयी. इसके बाद 3.5.2017 को मुख्यमंत्री सचिवालय के अवर सचिव आलोक कुमार ने ऊर्जा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव को पत्र भेज कर ज्ञापन पर समुचित कार्रवाई का आग्रह किया था. इसके बाद विभाग द्वारा दो सदस्यीय जांच टीम गठित की गयी.

बताया गया कि श्री राम मेटल कॉरपोरेशन, परसीपोल बिल्डिंग नवी मुंबई को माइल्ड स्टील पाइप की आपूर्ति के लिए परचेज अॉर्डर दिया गया था. यह अॉर्डर 21.8.2012 व 30.4.13 को दिया गया था. सूत्रों ने बताया कि जांच कमेटी ने जब जांच शुरू की तो कंपनी का पता ही गलत निकला. कंपनी द्वारा दिये गये फोन नंबर पर कोई उपलब्ध नहीं था. हालांकि, कंपनी के नाम पर माइल्ड स्टील की आपूर्ति पीटीपीएस में हुई.

अब जांच टीम मुंबई जाकर स्थल की जांच करेगी कि कंपनी माइल्ड स्टील का उत्पादन करती है या नहीं. सूत्रों ने बताया कि पीटीपीएस के तत्कालीन अभियंताओं की मदद से ही फर्जी कंपनी के नाम पर आपूर्ति करायी गयी. ताकि मोटी रकम अभियंता अपने हिस्से में रखे सके. अब जांच टीम उस समय के संबंधित सभी अभियंताओं से पूछताछ करेगी.

Next Article

Exit mobile version