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एक्सपर्ट कमेंट ऑन झारखंड बजट : झारखंड के बजट में कोई नयी व्यवस्था नहीं

बजट में एक लाख रोजगार देने की बात कही गयी है. यह किस प्रकार की नियुक्ति, नियमित या संविदा आधारित, स्पष्ट नहीं डॉ आरआरपी सिंह अर्थशास्त्री झारखंड का बजट पेश तो हुआ, लेकिन इस बजट में कोई नयी व्यवस्था नहीं है. कुल मिलाकर कहा जाये, तो यह व्यवहारिक बजट नहीं है. सामान्य बजट है. पुराने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2018 8:05 AM

बजट में एक लाख रोजगार देने की बात कही गयी है. यह किस प्रकार की नियुक्ति, नियमित या संविदा आधारित, स्पष्ट नहीं

डॉ आरआरपी सिंह

अर्थशास्त्री

झारखंड का बजट पेश तो हुआ, लेकिन इस बजट में कोई नयी व्यवस्था नहीं है. कुल मिलाकर कहा जाये, तो यह व्यवहारिक बजट नहीं है. सामान्य बजट है. पुराने स्कीम का बजट कहा जाये. मुद्रास्फीति बढ़ी है, इसके आधार पर ही बजट तैयार किया गया है. सबसे बड़ी बात है कि बजट में स्कीम तो बताये गये, लेकिन इसका क्रियान्वयन कैसे होगा, यह स्पष्ट नहीं है.

खर्च कहां करेंगे, यह भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. 142 प्रोजेक्ट में 121 प्रोजेक्ट पूरा बताया जा रहा है. ये 121 प्रोजेक्ट कौन हैं, यह स्पष्ट नहीं है. साथ ही इसकी जमीनी हकीकत देखने के बाद ही इसे सही माना जायेगा. बजट में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गरीबी दूर करने की बात कही गयी है.

लेकिन अब तक कितने लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं, इसका सही-सही सर्वेक्षण नहीं हो पाया है. एक बात ठीक है कि घाटे को कम करने की बात कही गयी है. जहां तक रोजगार की बात है, तो एक लाख रोजगार देने की बात कही गयी है. यह किस प्रकार की नियुक्ति है, नियमित या फिर संविदा आधारित. राज्य के कई विभागों में कई वर्षों से पद रिक्त हैं, इसे अब तक भरा नहीं जा सका है. ये सभी नियमित नियुक्ति होंगे. दूसरी अोर, नये रोजगार सृजन करने की बात करना हास्यास्पद है.

नये-नये कॉलेज व विवि खोलने की बात कह रहे हैं, जबकि वर्तमान में जो कॉलेज और विवि हैं, उनकी स्थिति अब भी दयनीय है. शिक्षा का स्तर कागजी स्तर पर ही सुधरा है. हकीकत कुछ अौर है. दुमका में एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने का निर्णय लिया है, जबकि वर्तमान के एग्रीकल्चर कॉलेज की स्थिति नहीं सुधरी है. बेरोजगारों की फौज खड़ी हो रही है.

अब चेकडैम बनाने पर विशेष जोर दिया गया है. जबकि सही मॉनटरिंग नहीं होने की वजह से डोभा की स्थिति किसी से नहीं छुपी है. सिर्फ राशि की बर्बादी हुई. सरकार स्कीम तो तैयार कर लेती है, लेकिन उसकी सही मॉनिटरिंग के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाता है. फलस्वरूप स्कीम ध्वस्त हो जाती है.

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