झारखंड बजट 2018-19: प्लस टू स्कूलों में होगी स्मार्ट क्लास
शिक्षा. मुख्यमंत्री उच्च माध्यमिक शिक्षा प्रोत्साहन योजना की होगी शुरुआत स्कूली शिक्षा लक्ष्मी सिंह पूर्व अध्यक्ष, जैक सभी प्रखंड के एक विद्यालय में योग शिक्षा की शुरुआत होगी खूंटी व रामगढ़ में नवोदय विद्यालय व पलामू में केंद्रीय विद्यालय खुलेगा नक्सल गतिविधि से प्रभावित परिवार के बच्चों के लिए चार आवासीय विद्यालय रांची : राज्य […]
शिक्षा. मुख्यमंत्री उच्च माध्यमिक शिक्षा प्रोत्साहन योजना की होगी शुरुआत
स्कूली शिक्षा
लक्ष्मी सिंह
पूर्व अध्यक्ष, जैक
सभी प्रखंड के एक विद्यालय में योग शिक्षा की शुरुआत होगी
खूंटी व रामगढ़ में नवोदय विद्यालय व पलामू में केंद्रीय विद्यालय खुलेगा
नक्सल गतिविधि से प्रभावित परिवार के बच्चों के लिए चार आवासीय विद्यालय
रांची : राज्य में माध्यमिक शिक्षा को बेहतर करने के लिए मुख्यमंत्री उच्च माध्यमिक शिक्षा प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की जायेगी. इसके तहत प्लस टू स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा व स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की जायेगी. वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में सरकार ने इसका प्रावधान किया है. 300 या अधिक नामांकित सभी प्लस टू विद्यालयों में जहां नामांकन क्षमता 500 या उससे अधिक है, में कंप्यूटर शिक्षा तथा स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की जायेगी.
सरकार ने बजट में राज्य में पुस्तकालयों को और बेहतर करने की घोषणा की है. इसके लिए राज्य में पहले से अनुमंडल व जिला स्तर पर जो पुस्तकालय हैं, उसे अपग्रेड किया जायेगा.
राज्य के आठ अनुमंडल स्तरीय पुस्तकालय को जिला स्तरीय पुस्तकालय में अपग्रेड किया जायेगा. जिला स्तरीय पुस्तकालय को अगले तीन वर्ष में मोटीवेशनल केंद्र तथा ई-लाइब्रेरी के रूप में विकसित किया जायेगा. राज्य के 89 मॉडल विद्यालयों को सीबीएसइ की तर्ज पर इंगलिश मीडियम शैक्षणिक संस्था के रूप में पूर्ण रूप से विकसित किये जाने का लक्ष्य है.
सभी प्रखंड के एक विद्यालय में योग शिक्षा की शुरुआत की जायेगी. अगले शैक्षणिक सत्र से रामगढ़ व खूंटी में नवोदय विद्यालय व पलामू में केंद्रीय विद्यालय शुरू करने की घोषणा बजट में की जायेगी. इसके लिए केंद्र सरकार से समन्वय स्थापित किया जायेगा. दोनों जिलों में वर्तमान में नवोदय विद्यालय नहीं है. विद्यालयों के सुदृढ़ीकरण तथा पुनर्गठन कर संकाय एवं विषयवार शिक्षक की व्यवस्था की जायेगी. नक्सल गतिविधि से प्रभावित परिवार के बच्चों के लिए चार आवासीय विद्यालय बनाने की घोषणा बजट में की गयी है.
पलायन से मुक्त करायी गयी बालिकाओं के लिए दो आवासीय विद्यालय की व्यवस्था की जायेगी. राज्य में नये खोले गये दो शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2018-19 से पठन-पाठन शुरू करने की योजना है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा हाट गम्हरिया व रहेला में बीएड कॉलेज खोला गया है. आवासीय माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ने के लिए इनमें व्यावसायिक पाठ्यक्रम चलाने की घोषणा बजट में की गयी है. सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता के लिए झारखंड शैक्षणिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान को प्रभावकारी बनाने की घोषणा की है. राज्य के प्रशिक्षण संस्थानों को स्दृढ़ किया जायेगा.
बुनियादी शिक्षा पर ध्यान दिया जाये
राज्य में बुनियादी शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. सरकार ने स्कूल तो खोले हैं, पर यह देखने को मिलता है कि सभी स्कूलों तक पहुंच पथ नहीं है. ऐसे में बच्चों की पहुंच स्कूल तक सुनिश्चत कैसे हो, जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता थी.
सरकार स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधि पर दो जोर देती है, पर खेल को भूल गयी है. राज्य में खेल विश्वविद्यालय खोला गया, पर विद्यालयों में ही खेल के शिक्षक व मैदान नहीं हैं. स्कूलों में खेल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. माध्यमिक स्तर पर कंप्यूटर की पढ़ाई व स्मार्ट क्लास की व्यवस्था सराहनीय है.
बजटीय भाषण में शेरो शायरी का जुबानी खर्च
संजय
रांची : घर-गृहस्थी चलाना कोई बच्चों का खेल नहीं है. पुरानी कहावत है …तब अाटे-तेल का भाव मालूम होगा. दो वक्त की रोटी के साथ अपने परिवार की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए एक अाम इंसान हाड़तोड़ मेहनत करता है.
पर बात जब एक परिवार नहीं बल्कि पूरे सूबे को चलाने की हो, तो मसला बेहद गंभीर हो जाता है. पर इस गंभीर मसले को हल्का व खुशनुमा बनाने की कला कई राजनीतिज्ञ बखूबी जानते हैं. अपने झारखंड में भी अक्सर ऐसा होता रहा है, जब बजटीय भाषण के दौरान शेरो-शायरी के जुबानी खर्च से असली खर्च का दर्द कम करने की कोशिश हुई. राज्य गठन के बाद अगले पांच वर्षों (2005-06) तक बजटीय भाषण के साथ-साथ बजट पेश करने वाले भी गंभीर बने रहे.
पर वित्तीय वर्ष 2006-07 में अाज के मुख्यमंत्री तथा तब के वित्त मंत्री रघुवर दास ने ही चुप्पी तोड़ी थी. तब उन्होंने ज्यादा तो कुछ नहीं कहा, पर हम होंगे कामयाब एक दिन…का भरोसा जरूर दिलाया था. पर शेरो-शायरी की शुरुआत का श्रेय तत्कालीन वित्त मंत्री स्टीफन मरांडी को जाता है. वित्तीय वर्ष 2007-08 में अपने बजट भाषण के दौरान उन्होंने कहा था- हमारी सरकार इस राज्य को सुजलाम-सुफलाम बनाना चाहती है. सुमित्रानंद पंत को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा था- भारत माता ग्राम वासिनी यानी भारत माता गांवों में बसती है.
इसके बाद वित्तीय वर्ष 2008-09 में स्टीफन ने अपने लंबे बजटीय भाषण के अंत में कहा था – कौन कहता है आसमां में छेद (सुराख) नहीं होता….एक पत्थर तबीयत से उछालो तो जरा. इससे पहले दो बार बजट पेश करने का मौका पा चुके रघुवर को वित्तीय वर्ष 2010-11 में जब फिर से मौका मिला, तो उन्होंने सदन में कई गंभीर शेर पढ़ डाले. इसके बाद के वित्त मंत्री हेमंत भी इस मुद्दे पर प्रतियोगी भाव में अा गये थे. पर इसके बाद से बजट फिर गंभीर विषय बना हुआ है.
…गुलाब खिलते नहीं हवाअों की सिफारिशों से
वित्तीय वर्ष 2010-11 (वित्त मंत्री रघुवर दास)
समंदर को गुमान है तूफां उठाने का…तो हमें भी शौक है कश्ती वहीं चलाने का
भविष्य से डरिये मत उसके निर्माण में रुचि लीजिए…कल्पना को कर्म से गढ़िए अौर योजना को युक्ति से पूरा कीजिए….हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं
अगर मिले आसमां पर हक कभी एक रात…मैं सारे तारे तोड़ कर इन्हें दे दूं (ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर)
जमीन जब तक न अपना हिस्सा अदा करेगी…गुलाब खिलते नहीं हवाअों की सिफारिशों से जिंदगी की अगली उड़ान अभी बाकी है…हमारे इरादों का इम्तिहान बाकी है…
वित्तीय वर्ष 2011-12 (वित्त मंत्री हेमंत सोरेन)
सरकार की कमान युवाअों ने संभाली है…सदन का लेकर विश्वास, विकास की ज्योति जलानी है
अतीत से लेकर सबक, नींव मजबूत बनानी होगी…अधूरे कार्यों को पूरा कर नयी शुरुआत करनी होगी
पहचान हमें नयी बनानी है,जन-जन के चेहरों पर मुस्कान लानी है
वित्तीय वर्ष 2012-13
हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकाल के…
वित्तीय वर्ष 18-19 (वित्त मंत्री रघुवर दास)
समता के साथ ममता, अधिकार के साथ अात्मीयता, वैभव के साथ सादगी- नवनिर्माण के प्राचीन आधार स्तंभ हैं. (अटल जी को उद्धृत करते हुए)
उद्योग विभाग
अमृतांशु प्रसाद
हेड कॉरपोरेट अफेयर्स, अडाणी ग्रुप
आयेगी मीठी क्रांति 4.50 लाख महिलाएं जुड़ेंगी रोजगार से
21 करोड़ रुपये की कटौती ग्रामीणों को किया फोकस
रांची : उद्योग विभाग के बजट में इस बार कटौती की गयी है. उद्योग विभाग का बजट जहां वित्तीय वर्ष 2017-18 में 4461.21 करोड़ रुपये का था, वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 में 425 करोड़ रुपये का है. यानी लगभग 21 करोड़ रुपये की कटौती की गयी है. सरकार ने उद्योग विभाग के बजट में इस बार ग्रामीण इलाकों को फोकस किया है. सरकार ने इस बार मीठी क्रांति लाने की घोषणा की है.
शिक्षा एवं कौशल विकास के साथ ही राज्य में मीठी क्रांति लाने के लिए मधुमक्खी पालन को वृहद पैमाने पर प्रोत्साहित करने की योजना है. इसके तहत मुख्यमंत्री लघु कुटीर उद्यम विकास बोर्ड के माध्यम से 25 हजार किसानों को प्रशिक्षित कर इससे जोड़ा जायेगा.
साथ ही उत्पादित मधु के प्रोसेसिंग, पैकेजिंग एवं मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जा रही है. उन्हें अरबन हाट जैसे स्थानों में जगह मिलेगी. वहीं झारक्राफ्ट या खादी बोर्ड के माध्यम से मार्केटिंग भी होगी. झारखंड में लाह की खेती को बढ़ाने के साथ–साथ किसानों को इसका समुचित मूल्य दिलाने के लिए प्रोसेसिंग इकाई की स्थापना करने की योजना है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 100 लाह परिसंस्करण इकाई की स्थापना की जायेगी तथा इससे उत्पादित सीड लाह एवं बटन लाह की देश-विदेश में बिक्री की व्यवस्था की जायेगी. यह काम खादी बोर्ड के माध्यम से कराया जायेगा. झारक्राफ्ट भी इसमें सहयोगी रहेगा.
राज्य में रेशम का उत्पादन तीव्र गति से बढ़ा है. झारखंड पूरे देश में रेशम उत्पादन में सबसे अव्वल है.इन उत्पादित वस्तुओं को सुसंगठित बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दुमका प्रमंडल में रेशम प्रसंस्करण इकाई की स्थापना किये जाने का प्रस्ताव है. वहीं, सरकार ने रांची, देवघर, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर तथा रजरप्पा में हस्तशिल्प इंपोरियम की स्थापना करने की घोषणा की है. रांची तथा खरसावां में सिल्क पार्क की स्थापना की जायेगी. सरकार ने सखी मंडलों को सशक्त करते हुए महिला लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड के माध्यम से 4.50 लाख महिलाओं को स्वावलंबन के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराये जाने की कार्य योजना तैयार की है.
रांची, देवघर, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर तथा रजरप्पा में हस्तशिल्प इंपोरियम की स्थापना की जायेगी. सरकार चरणबद्ध तरीके से प्रखंड मुख्यालय, पर्यटन स्थलों तथा पांच शहरों में लघु कुटीर उद्योग हाट की स्थापना किये जाने की घोषणा की है. जहां लघु कुटीर उद्योग से निर्मित वस्तुओं की बिक्री हो सकेगी.
सरकार ने फरवरी माह में मोमेंटम झारखंड का सफल आयोजन किया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि मोमेंटम झारखंड के बाद निजी कंपनियों से हुए एमओयू तथा 210 से अधिक कंपनियों के द्वारा ग्राउंड बेक्रिंग किए जाने के कारण इन नये उद्योगों के माध्यम से 50 हजार प्रत्यक्ष रोजगार तथा 1.50 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किया जायेगा. सरकार उद्यमियों को सुविधा देने के लिए इज अॉफ डूइंग बिजनेस के तहत कई सुधार कार्यक्रम ला रही है. इसी कड़ी में मेक इन झारखंड योजना भी लायी जा रही है.
ग्रामीणों की आय बढ़ेगी
सरकार ने इस बार झारखंड के पारंपरिक उद्योग जैसे मधुमक्खी पालन, लाह उत्पादन पर जोर दिया है. जो काबिले तारीफ है. बजट स्वागतयोग्य है. सरकार ने बजट में इनकम जेनरेशन पर भी फोकस किया है. इससे ग्रामीणों की आय बढ़ेगी, तो राज्य विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा. कोर इश्यू पर ध्यान दिया गया है. आधारभूत संरचना पर भी जोर है. सरकार के ये सारे प्रयास सराहनीय हैं.
समाज कल्याण
डॉ अलका निजामी
दिव्यांग कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत
राज्य दिव्यांग कल्याण कोष की स्थापना होगी
विवाह प्रोत्साहन राशि दी जायेगी
रांची : समाज कल्याण विभाग ने दिव्यांग कल्याण के लिए नयी पहल की है. इसके तहत राज्य में दिव्यांग कल्याण कोष की स्थापना होगी. विपरित परिस्थितियों में दिव्यांगों को विभिन्न सहायता उपलब्ध कराने के लिए इस कोष की स्थापना की गयी है. उसी तरह वित्तीय वर्ष 2018-19 से दहेज रहित विवाह को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक विवाह के आयोजकों को प्रति विवाह एक हजार रुपये की विवाह प्रोत्साहन राशि दी जायेगी. इससे पहले चालू वित्तीय वर्ष से तेजस्विनी योजना के संचालन का निर्णय लिया गया था. पर 500 करोड़ रु की यह योजना अभी शुरुआती चरण में ही है.
विश्व बैंक संपोषित इस योजना के तहत पढ़ाई छोड़ चुकी किशोरी बालिकाअों व युवतियों को शिक्षा व स्वरोजगार से जोड़ा जाना है. इधर, वित्तीय वर्ष 2018-19 से विभाग ने आदिवासी बहुल गांवों में अोल्ड एज होम की स्थापना का प्रस्ताव तैयार किया है. अभी इसका विस्तृत ब्योरा उपलब्ध नहीं है. पर अनुसूचित क्षेत्रों में ऐसे अोल्ड एज होम बनाये जायेंगे. इसी तरह जनजातीय क्षेत्रों में कुपोषण कम करने के लिए झारखंड जनजातीय रोजगार तथा आजीविका कार्यक्रम (जेटीइएलपी) के तहत 400 गांवों में 48 हजार पोषण गार्डेन का निर्माण कराया जाना है. बैक यार्ड गार्डेनिंग में पोषण से भरपूर साग-सब्जियां लगाने तथा इनके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है.
सहायता की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए
दिव्यांगों के लिए एक कोष की स्थापना अच्छी पहल है. पर इसके जरिये सहायता की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए. वहीं इससे अलग भी कुछ प्रावधान जरूरी हैं. पहले दिव्यांगों की सात केटेगरी थी. अब 2016 के दिव्यांग एक्ट में 21 केटेगरी की बात कही गयी है. सवाल है कि नये केटगेरी के लिए सरकार के पास क्या कार्यक्रम हैं. अब सभी तरह के दिव्यांगों के लिए विशेष योजना व सहायता की जरूरत है. उम्मीद है सरकार इस ओर भी ध्यान देगी. बहरहाल दिव्यागों के लिए कोष की स्थापना बेहतर पहल है.
ग्रामीण विकास
पद्मश्री सिमोन उरांव
ग्रामीण विकास व जल छाजन कार्यकर्ता
दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना की नयी पहल
रांची : ग्रामीण विकास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2018-19 से एक नयी योजना शुरू करने का निर्णय लिया है. इस वर्ष दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना के माध्यम से राज्य की सभी पंचायतों में मुख्यमंत्री ग्राम विकास फेलो विशेषज्ञ के रूप में पदस्थापित किये जायेंगे.
इनका दायित्व पंचायत के अधीन सभी राजस्व गांवों के ग्रामीणों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जनसंख्या नियंत्रण, स्वच्छता, वैज्ञानिक चिंतन, संगठन का महत्व, नशाबंदी, कुल्हारबंदी (पेड़-पौधों की कटाई नहीं करना), चराईबंदी (पशुअों को खुले में चरने के लिए नहीं छोड़ना), श्रमदान, बाल श्रम उन्मूलन, बाल विवाह उन्मूलन, जल छाजन, जैविक खेती योग्य तथा आध्यात्मिक जीवन शैली जैसे विषयों पर जागरूक करना होगा. इस योजना का क्रियान्वयन झारखंड स्वावलंबन सोसाइटी के माध्यम से किया जायेगा. नीति अायोग द्वारा चिह्नित राज्य के 19 पिछड़े जिलों को इस योजना में प्राथमिकता दी जायेगी.
इसी तरह 1500 करोड़ की लागत से जोहार परियोजना की शुरुआत हुई है. इस योजना का लक्ष्य दो लाख ग्रामीण परिवारों की अाय कृषि व गैर कृषि आजीविका संबंधी गतिविधियों से दोगुनी करना है. उधर, योजना बनाअो अभियान के तहत ग्रामीणों द्वारा चयनित योजनाअों के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी ग्राम विकास समिति/आदिवासी विकास समिति को सौंपी जायेगी. बच्चों के लिए पंचायत स्तर पर चरणबद्ध तरीके से छोटे -छोटे पार्क का निर्माण कराने सहित अन्य योजना भी ग्रामीण विकास विभाग ने बनायी है.
सिस्टम में व्याप्त खामियां दुरुस्त हो
ग्रामीण लोगों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जनसंख्या नियंत्रण, स्वच्छता, वैज्ञानिक चिंतन, संगठन का महत्व, नशाबंदी, कुल्हारबंदी, चराईबंदी, श्रमदान, बाल श्रम उन्मूलन, बाल विवाह उन्मूलन, जल छाजन तथा जैविक खेती का बढ़ावा देने के लिए सोचना अच्छी बात है. पर यह काम ग्रामीणों के साथ बैठक कर होना चाहिए. इससे निवेशक आकर्षित होंगे. निवेशकों के लिए राज्य में कंफर्ट जोन बनाना चुनौती है. सिस्टम में व्याप्त खामियों को दुरुस्त करने से ही निवेशक आकर्षित होंगे.
बोले अधिवक्ता
निर्बाध बिजली के लिए किये गये प्रावधान स्वागत योग्य
झारखंड सरकार का बजट संतोषजनक कहा जा सकता है. शिक्षा के लिए सरकार ने जो प्रावधान किये हैं, उससे लाभ मिलेगा. राज्य में निर्बाध बिजली के लिए किये गये प्रावधान भी स्वागत योग्य है, पर रोजगार अौर आधारभूत संरचना के लिए प्रयास में कमी दिखती है. सरकार को इस स्तर पर और प्रयास करने होेंगे. तभी संतुष्टि मिलेगी.
रोशन पासवान, अधिवक्ता
रोजगार के क्षेत्र में गंभीर प्रयास नहीं किया गया
बजट बहुत बढ़िया नहीं है. इसे साधारण बजट ही कहा जायेगा. शिक्षा पर सरकार ने बजट में अच्छे प्रावधान किये हैं, पर रोजगार के क्षेत्र में गंभीर प्रयास नहीं किया गया है. सरकार का ध्यान निजी क्षेत्रों की नौकरियों पर है. गांवों के विकास के लिए घोषणाएं की गयी हैं, जिससे ग्रामीण जनता लाभान्वित होंगे. शिक्षा के क्षेत्र में भी विकास भीहोगा.
जितेंद्र शिवदर्शी, अधिवक्ता
शिक्षा, स्वास्थ्य व कौशल विकास पर ध्यान दिया गया
बजट में विकास पर ध्यान दिया गया है. शिक्षा अौर स्वास्थ्य पर ध्यान दिया गया है. कौशल विकास पर सरकार ने काफी ध्यान दिया है. इससे आनेवाले वर्षों में युवाअों को रोजगार मिलेगा. झारखंड में पर्यटन के विस्तार के लिए भी प्रावधान किये गये हैं. इससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. इसे क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.
प्रदीप नाथ तिवारी, अधिवक्ता
सरकार ने शहरी अौर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया
यह बजट संतुलित है. सरकार ने शहरी अौर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया है. शिक्षा के क्षेत्र में बजट राशि बढ़ायी गयी है. इससे शिक्षा का स्तर बढ़ेगा. वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रावधान किये गये हैं. देवघर में एम्स खोलने से काफी लाभ होगा. इससे ज्यादातर मरीजों को अन्य राज्यों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा.
किशन माहेश्वरी, अधिवक्ता
बजट में विजन की कमी, जनता को खास फायदा नहीं होगा
राज्य सरकार के बजट में विजन की कमी है. बजट दिखने में लोकलुभावन लगता है, पर ऐसा नहीं है. आधारभूत संरचना, कानून व्यवस्था अौर रोजगार के क्षेत्र में विकास हो, ऐसा बजट से नहीं लगता है. राज्य की आम जनता को इससे खास फायदा नहीं होगा. बजट को जनता के हित के अनुकूल व दूरदर्शी बनाये जाने की जरूरत होती है.
अजय कुमार सिन्हा, अधिवक्ता