झारखंड : मुक्त करायी गयी हरियाणा में बंधक दुमका की आदिवासी युवती
दो साल पहले अनिक किस्कू ने हरियाणा में उसे बेच दिया था प्रभात खबर की पहल पर मुक्त करायी गयी दुमका की आदिवासी युवती दो साल पहले अनिक किस्कू ने हरियाणा में उसे बेच दिया था प्रभात खबर की पहल पर मुक्त करायी गयी दुमका की आदिवासी युवती दुमका : दुमका जिले के बांसकनाली गांव […]
दो साल पहले अनिक किस्कू ने हरियाणा में उसे बेच दिया था
प्रभात खबर की पहल पर मुक्त करायी गयी दुमका की आदिवासी युवती
दो साल पहले अनिक किस्कू ने हरियाणा में उसे बेच दिया था
प्रभात खबर की पहल पर मुक्त करायी गयी दुमका की आदिवासी युवती
दुमका : दुमका जिले के बांसकनाली गांव की रहनेवाली एक आदिवासी युवती जो हरियाणा के यमुना नगर में बीते 16 महीने से कैद थी. प्रभात खबर की पहल पर सोमवार को हरियाणा पुलिस ने उसे यमुना नगर के गाबा हॉस्पीटल के पास मकान नंबर 1194 में कोठी अगरोय से मुक्त करा लिया है.
इस तरह अब तक संताल परगना की छह लड़कियों को पुलिस ने दलालों के चंगुल से मुक्त कराने में सफलता पायी है. सोमवार को मुक्त करायी गयी युवती को यमुना नगर थाने में महिला पुलिस की देख-रेख में रखा गया है. इस युवती के साथ भी ज्यादती हुई है, मारपीट भी की गयी है. थाने में उसका बयान रिकार्ड किया जा रहा है.
उसके बाद इस मामले में ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला दर्ज होगा. जिस घर में वह बंधक रखी गयी थी, वहां के घर वालों को भी पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया है. छापेमारी टीम में बाल संरक्षण इकाई और महिला पुलिस टीम मौजूद थे.
दुमका की युवती कैसे करायी गयी मुक्त : दुमका की रहने वाली उक्त युवती किसी तरह मौका पाकर अपनी बड़ी बहन सुनीता मरांडी को फोन कर बताया कि उसे सही ढंग से खाने को भी नहीं दिया जाता.
कहीं जाने भी नहीं दिया जाता है. उसे यमुनानगर के गाबा हॉस्पीटल के पास मकान नंबर 1194 में कोठी अगरोय में कैद करके रखा गया है. उसके मुताबिक उसकी बहन को तकरीबन दो साल पहले मसलिया थाना क्षेत्र के रास्ताडंगाल के अनिल किस्कू काम दिलाने के लिए ले गया था. उसके पास भी रोजगार नहीं था, तो वह उसके साथ चली गयी थी.
सुनीता ने बताया कि दो साल में उसकी बहन ने न कभी पैसे भेजे और न ही वह घर आ रही थी. अचानक एक दिन उसने फोन कर अपनी पीड़ा बतायी. उसने बताया कि मेट अनिल किस्कू ने उसे बेच दिया है. बहन के बंधक होने की खबर सुन बड़ी बहन सुनीता व परिवार के लोग अनिल किस्कू के पास गये, तो वह उसे ले आने की बात कहा. लेकिन अब वह भागा-भागा रह रहा है.
दुमका से जैसे ही सुनीता मरांडी ने इसकी सूचना एसपी को दी. पूरा डिटेल्स प्रभात खबर ने लिया. तभी प्रभात खबर की ओर से हरियाणा की संस्था शक्तिवाहिनी से संपर्क किया गया. उसे पूरा डिटेल्स भेजा गया. शक्तिवाहिनी के प्रवक्ता ऋषिकांत ने पूरा डिटेल्स हरियाणा पुलिस को उपलब्ध करवाया और वहां से बाल संरक्षण आयोग और महिला पुलिस टीम के साथ बताये पते पर छापेमारी करके युवकी को मुक्त कराया गया.
प्लेसमेंट एजेंसियों को बेच देते हैं मेट
संताल परगना के इलाके से बड़ी तादाद में संताल आदिवासी व पहाड़िया किशोरियों को घरेलु कामकाज के लिए दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ जैसे स्थानों में पिछले कई साल से ले जायी जाती रही हैं.
गरीबी में जिंदगी जी रहे ऐसे परिवार की लड़कियां अक्सर अच्छी नौकरी का ख्वाब देख तथा बड़े शहरों में काम करने की लालसा लिये मेट के साथ चली तो जाती हैं, लेकिन उसके बाद वही मेट उन्हें बड़ी कीमत लेकर प्लेसमेंट एजेंसी से लेकर दलालों को बेच दिया करता है. जातीं तो हैं ये अपनी मर्जी से, लेकिन आने में उनकी मर्जी नहीं चलने दी जाती. ऐसा भी होता है कि उन्हें मेहनताना भी नहीं मिलता, कई तो शारीरिक शोषण का भी शिकार इस दौरान होती हैं.
इस तरह अब तक संताल परगना की छह लड़कियों को पुलिस ने दलालों के चंगुल से मुक्त कराने में सफलता पायी है. सोमवार को मुक्त करायी गयी युवती को यमुना नगर थाने में महिला पुलिस की देख-रेख में रखा गया है. इस युवती के साथ भी ज्यादती हुई है, मारपीट भी की गयी है. थाने में उसका बयान रिकार्ड किया जा रहा है.
उसके बाद इस मामले में ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला दर्ज होगा. जिस घर में वह बंधक रखी गयी थी, वहां के घर वालों को भी पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया है. छापेमारी टीम में बाल संरक्षण इकाई और महिला पुलिस टीम मौजूद थे.
दुमका की युवती कैसे करायी गयी मुक्त : दुमका की रहने वाली उक्त युवती किसी तरह मौका पाकर अपनी बड़ी बहन सुनीता मरांडी को फोन कर बताया कि उसे सही ढंग से खाने को भी नहीं दिया जाता.
कहीं जाने भी नहीं दिया जाता है. उसे यमुनानगर के गाबा हॉस्पीटल के पास मकान नंबर 1194 में कोठी अगरोय में कैद करके रखा गया है. उसके मुताबिक उसकी बहन को तकरीबन दो साल पहले मसलिया थाना क्षेत्र के रास्ताडंगाल के अनिल किस्कू काम दिलाने के लिए ले गया था. उसके पास भी रोजगार नहीं था, तो वह उसके साथ चली गयी थी.
सुनीता ने बताया कि दो साल में उसकी बहन ने न कभी पैसे भेजे और न ही वह घर आ रही थी. अचानक एक दिन उसने फोन कर अपनी पीड़ा बतायी. उसने बताया कि मेट अनिल किस्कू ने उसे बेच दिया है. बहन के बंधक होने की खबर सुन बड़ी बहन सुनीता व परिवार के लोग अनिल किस्कू के पास गये, तो वह उसे ले आने की बात कहा. लेकिन अब वह भागा-भागा रह रहा है.
दुमका से जैसे ही सुनीता मरांडी ने इसकी सूचना एसपी को दी. पूरा डिटेल्स प्रभात खबर ने लिया. तभी प्रभात खबर की ओर से हरियाणा की संस्था शक्तिवाहिनी से संपर्क किया गया. उसे पूरा डिटेल्स भेजा गया. शक्तिवाहिनी के प्रवक्ता ऋषिकांत ने पूरा डिटेल्स हरियाणा पुलिस को उपलब्ध करवाया और वहां से बाल संरक्षण आयोग और महिला पुलिस टीम के साथ बताये पते पर छापेमारी करके युवकी को मुक्त कराया गया.
प्लेसमेंट एजेंसियों को बेच देते हैं मेट
संताल परगना के इलाके से बड़ी तादाद में संताल आदिवासी व पहाड़िया किशोरियों को घरेलु कामकाज के लिए दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ जैसे स्थानों में पिछले कई साल से ले जायी जाती रही हैं.
गरीबी में जिंदगी जी रहे ऐसे परिवार की लड़कियां अक्सर अच्छी नौकरी का ख्वाब देख तथा बड़े शहरों में काम करने की लालसा लिये मेट के साथ चली तो जाती हैं, लेकिन उसके बाद वही मेट उन्हें बड़ी कीमत लेकर प्लेसमेंट एजेंसी से लेकर दलालों को बेच दिया करता है. जातीं तो हैं ये अपनी मर्जी से, लेकिन आने में उनकी मर्जी नहीं चलने दी जाती. ऐसा भी होता है कि उन्हें मेहनताना भी नहीं मिलता, कई तो शारीरिक शोषण का भी शिकार इस दौरान होती हैं.