कांग्रेस : संगठन पस्त, अनुशासन तार-तार
रांची: कांग्रेस की बैठक में नेता बाहें न चढ़ायें, तू-तू, मैं-मैं न हो, हो-हुज्जत न हो, तो कार्यकर्ताओं का मन नहीं भरता. पार्टी बैठती है रणनीति बनाने, लेकिन नेता इसे रणक्षेत्र में तब्दील कर देते हैं. यहां हर कदम पर अनुशासन टूटता है. राज्य में संगठन पस्त है. जमीन खिसक गयी. संगठन को मजबूत करने […]
रांची: कांग्रेस की बैठक में नेता बाहें न चढ़ायें, तू-तू, मैं-मैं न हो, हो-हुज्जत न हो, तो कार्यकर्ताओं का मन नहीं भरता. पार्टी बैठती है रणनीति बनाने, लेकिन नेता इसे रणक्षेत्र में तब्दील कर देते हैं. यहां हर कदम पर अनुशासन टूटता है. राज्य में संगठन पस्त है. जमीन खिसक गयी. संगठन को मजबूत करने के बजाय, नेता एक दूसरे का टांग खींचने, लॉबिंग करने में व्यस्त रहते हैं. संगठन के अंदर खेमाबंदी आम है. नेताओं की लॉबी में कार्यकर्ता बंटे हैं. संगठन में प्रदेश अध्यक्ष आये, गये लेकिन मर्ज की दवा किसी के पास नहीं है.
चार अप्रैल को प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने बैठक बुलायी. पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद की राजनीतिक परिस्थिति पर रणनीति बनाने बैठी थी. बात अनुशासन की हुई, तो अनुशासन की सीमा लांघ नेता एक दूसरे से फरियाने के लिए कूद पड़े. पार्टी के पुराने नेता भी बाहें चढ़ा रहे थे. संगठन के अंदर दर्जनों पर अनुशासन टूटा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.
कांग्रेस कार्यालय में गोली चली
इस दिन कांग्रेस कार्यालय में गोली तक चली. वर्तमान मंत्री मन्नान मल्लिक और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अनूप सिंह के समर्थक एक दूसरे भीड़ गये. ईंट-पत्थर, लाठी-डंडे बरसाये.
झारखंड की जिम्मेवारी मिलने के बाद प्रभारी बीके हरि प्रसाद का पहला दौरा था. सब कुछ प्रभारी के सामने हुआ. दिल्ली ने भी आंखें बंद कर ली. इस घटना को लेकर संगठन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई.
20 अक्तूबर 2013 : महिला कांग्रेस की सदस्यों में मारपीट
जमशेदपुर में प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और मंत्री गीता श्री उरांव के सामने महिला कांग्रेस की नेताओं के बीच झड़प हो गयी. हाथापाई हुई. प्रदेश अध्यक्ष के सामने सबकुछ हुआ, लेकिन संगठन ने इससे भी कोई सबक नहीं ली. इससे पहले 3 अप्रैल को जमशेदपुर में ही महिला कांग्रेस की कार्यकर्ता एक-दूसरे से उलझ गयी थीं.
महानगर कांग्रेस के नेता एक-दूसरे से उलङो
पिछले वर्ष रांची महानगर कांग्रेस के नेताओं के बीच मारपीट हुई थी. संगठन की समीक्षा के लिए बैठक बुलायी गयी थी. कई नेताओं ने बैठक का विरोध किया. इसके बाद नेता आपस में ही भीड़ गये. संगठन ने कुछ नेताओं पर कार्रवाई की, लेकिन हालात नहीं सुधरे.
क्या कहते हैं पुराने कांग्रेसी
पार्टी को इस संस्कृति से बाहर निकलना होगा. कांग्रेस की अपनी पहचान है. हम राष्ट्रीय पार्टी हैं, तो हमें उस अनुरूप काम भी करना चाहिए. संगठन के प्रति नेता-कार्यकर्ता जवाबदेह बनें. इस तरह की घटना से पार्टी का सम्मान घटता है. कांग्रेस को ग्रास रूट के लोगों की चिंता करनी चाहिए. गांव-गांव में कांग्रेस के समर्थक हैं. इनको गोलबंद करने का प्रयास करना चाहिए. संगठन कैसे मजबूत हो, इसकी चिंता होनी चाहिए.
प्रो आनंद मुरारी तिवारी, कांग्रेस के पूर्व महासचिव