लंबित योजना को 21 माह में पूरा करने का दावा

रांची: झारखंड सरकार ने केंद्र के सहयोग से क्रियान्वित हो रही रांची शहरी जलापूर्ति फेज-1 के लंबित कार्यो को 21 माह में पूरा करने का दावा किया है. पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से यह दावा किया गया है. पेयजल और स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख ने पुनरीक्षित प्राक्कलन की स्वीकृति से संबंधित प्रस्ताव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2014 7:50 AM

रांची: झारखंड सरकार ने केंद्र के सहयोग से क्रियान्वित हो रही रांची शहरी जलापूर्ति फेज-1 के लंबित कार्यो को 21 माह में पूरा करने का दावा किया है. पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से यह दावा किया गया है.

पेयजल और स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख ने पुनरीक्षित प्राक्कलन की स्वीकृति से संबंधित प्रस्ताव में यह अंडरटेकिंग दिया था. इसमें कहा गया है कि योजना के तहत 60 प्रतिशत बचे हुए कार्य 21 महीने में पूरा करा लिये जायेंगे. जानकारी के अनुसार 2008 में यह योजना स्वीकृत हुई थी. जून 2013 में सरकार की ओर से योजना की धीमी प्रगति की वजह से कांट्रैक्टर कंपनी आइवीआरसीएल लिमिटेड को काली सूची में डाल दिया गया था. इसके बाद दुबारा निविदा प्रकाशित की गयी. बचे हुए कार्य की गणना 240 करोड़ तक की गयी है. अब तक आमंत्रित की गयी निविदा को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है.

सरकार का कहना है कि योजना के लिए विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र समय पर नहीं मिला. इससे योजना में अनावश्यक विलंब भी हुआ. अब योजना का पुनरीक्षित प्राक्कलन 288.39 करोड़ से बढ़ कर 373.06 करोड़ रुपये हो गया है. योजना की लागत 84.67 करोड़ रुपये बढ़ी है, यो मूल योजना से 29 प्रतिशत अधिक है.

दोषी इंजीनियर, सलाहकार कंपनी और कांट्रैक्टर कंपनी नपेंगे

सरकार की ओर से राज कोष में घाटा होने की वजहों के कारणों की जांच की जायेगी. इसमें दोषी अभियंता, कांट्रैक्टर कंपनी और सलाहकार कंपनी की भूमिका की जांच की जायेगी. सरकार की ओर से जांच समिति में रांची नगर निगम के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, निगरानी विभाग के एक तकनीकी पदाधिकारी और अन्य अधिकारियों को शामिल किया गया है.

केंद्र ने अतिरिक्त राशि देने से किया इनकार

केंद्र सरकार ने मूल योजना की लागत राशि में बढ़ोत्तरी के बाबत अतिरिक्त राशि देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में बढ़ी लागत का 84.67 करोड़ रुपये खुद राज्य सरकार वहन करेगी. पेयजल और स्वच्छता विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना का दुबारा पुनरीक्षण न हो. निर्धारित अवधि में ही 373.06 करोड़ की पुनरीक्षित योजना पूरी की जाये. राज्य सरकार की ओर से फेज-1 जलापूर्ति स्कीम को पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती भी है.

Next Article

Exit mobile version