झामुमो व नक्सलियों में कोई अंतर नहीं

बिठलाहा मामले पर सांसद निशिकांत ने कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर दर्ज हो मामला गोड्डा : 28 मई को सुंदरपहाड़ी प्रखंड के पिपरा गांव में आयोजित बिठलाहा की खबर पर सांसद निशिकांत ने कहा है कि इस मामले में सरकार पर कार्रवाई होनी चाहिए. लोकतंत्र में ऐसे किसी भी अराजक कार्य को कहीं से भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2014 6:00 AM

बिठलाहा मामले पर सांसद निशिकांत ने कहा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर दर्ज हो मामला

गोड्डा : 28 मई को सुंदरपहाड़ी प्रखंड के पिपरा गांव में आयोजित बिठलाहा की खबर पर सांसद निशिकांत ने कहा है कि इस मामले में सरकार पर कार्रवाई होनी चाहिए. लोकतंत्र में ऐसे किसी भी अराजक कार्य को कहीं से भी संरक्षण नहीं मिलना चाहिए. इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सबसे ज्यादा दोषी हैं. हेमंत सोरेन के खिलाफ मामला दर्ज होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नक्सलियों व झारखंड मुक्ति मोरचा में कोई अंतर नहीं है. कानून का पालन करना देश के सभी नागरिकों का कर्तव्य है, जो इसे तोड़ता है उसमें व नक्सलियों में अंतर नहीं है.

प्रशासन अविलंब करे कार्रवाई : श्री दुबे ने कहा कि जिला प्रशासन को इस मामले पर अविलंब कार्रवाई करनी चाहिये. पुलिस व जिला प्रशासन की मदद से ही ऐसे मामले पर रोक लगायी जा सकती है.

क्या है मामला : सुंदरपहाडी प्रखंड के पिपरा गांव में 28 मई को विशाल दिशोम वैसी (आदिवासियों की महापंचायत) की बैठक बुलायी गयी है. बैठक में आम चुनाव के दौरान झामुमो की ओर से भाजपा को समर्थन देनेवालों के खिलाफ बिठलाहा करने की योजना है. पिपरा में पांच दिन पूर्व गोरडीह पंचायत के मुखिया नवल किस्कू, जेम्स मरांडी, रामलाल मरांडी, चरण मरांडी, चुनकू मरांडी, मोनिका हांसदा, करनी मुमरू आदि ने बैठक कर गांव के 40 घर के खिलाफ

दिशोम बैसी कराने का फैसला लिया. उक्त लोगों द्वारा मुख्य रूप से प्रमुख रिफाईल सोरेन के खिलाफ दिशोम बैसी का एलान किया गया है. इन लोगों पर आरोप है कि चुनाव में भाजपा का साथ दिया है.

हेमलाल ने भी की है रोकने की मांग

इस मामले को लेकर शुक्रवार को भाजपा नेता हेमलाल मुमरू व प्रमुख रिफाइल सोरेन ने डीसी से मिलकर अविलंब इस पर रोक लगाने की मांग की थी.

गोड्डा, पाकुड़ व साहिबगंज के आदिवासियों के बीच घुमाया गया है पत्ता

श्री मुमरू ने बताया गया कि बिठलाहा सह दिशोम बैसी में गोड्डा के अलावा दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, रामगढ़, अमड़ापाड़ा के आदिवासियों को भी आमंत्रित किया गया है.

28 मई को गांव में बड़ी संख्या में आदिवासियों का जुटान होने के बाद गांव के ऐसे लोगों के खिलाफ निर्णय लिया जायेगा.

क्या है बिठलाहा : संताल आदिवासियों में बिठलाहा एक बड़ी दंड प्रक्रिया का नाम है. पहले आदिवासी गांव में बैठक करते हैं. क्षेत्र में पत्ता घुमाकर लोगों के बीच तयशुदा तारीख को आमंत्रित किया जाता है. बिठलाहा में आरोपी के घर को आग के हवाले कर दिया जाता है. संबंधित व्यक्ति को भी आग के हवाले किया जाता है.

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