कोचांग से लौटकर प्रभात खबर टीम
खूंटी मुख्यालय से करीब 65 किमी की दूरी पर है आर मेमोरियल मिशन स्कूल बुरुडीह कोचांग. मुख्य सड़क से करीब आधे किमी दूर. यह वही जगह है जहां पर मानव तस्करों से बचाव के लिए स्कूली बच्चों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक की टीम आयी थी. इस टीम में पांच पुरुष और पांच महिलाएं शामिल थीं. सभी नाटक कर रहे थे. इसी क्रम में उनका पत्थलगड़ी समर्थकों व पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने मंगलवार को दिनदहाड़े अपहरण कर लिया. इस दौरान स्कूल के फादर अल्फोंस आइंद से युवतियां अपनी असमत बचाने की गुहार लगा चिखती रहीं. लेकिन उन्होंने उन हाथों में सौंप दिया जिसने उनकी इज्जत को तार-तार कर दिया. प्रभात खबर की टीम ने शनिवार को उस स्कूल परिसर के चप्पे-चप्पे का जायजा लिया.
सभी जगह सन्नाटा पसरा था. स्कूल के कमरों में ताले लटके थे. कोई रखवाला भी नजर नहीं आ रहा था. स्कूल के चारों ओर जंगल और पहाड़ नजर आ रहे थे. अजब सी खामोशी थी. स्कूल परिसर से निकलकर टीम चर्च कैंपस में पहुंची. उसके अंदर जाने के तीन अलग-अलग गेट नजर आये. लेकिन सब गेट में ताला लटका था. काफी देर आवाज लगाने के बाद कुछ बच्चे और एक केयर टेकर महिला छोटे गेट के पास आयी. बच्चों से फादर व सिस्टर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे लोग यहां दो दिनों से नहीं हैं. कहां गये हैं, पता नहीं. वहीं केयर टेकर महिला ने अपनी भाषा में कहा कि पता नहीं कहां हैं वे लोग. इसी क्रम में कुछ बच्चे चर्च परिसर में हाथों में हसुआ जैसी चीजें लिए चुपचाप बैठे दिखे. यहां से निकलकर टीम के सदस्य बाहर निकले. फिर कुछ दूरी पर स्थित कमरे की ओर गये जहां सिस्टर रहती थीं. कई बार आवाज देने के बाद यहां भी कोई हलचल नहीं दिखी. फिर बगल के कमरों में कुछ बच्चियों की आवाज सुनायी पड़ी. उनसे बात करने की कोशिश हुई, लेकिन वे भी किसी अनजाने भय से तत्काल कमरे के दरवाजे और खिड़कियां बंद करने लगीं. कोई बात करने को तैयार नहीं हुई.
चरवाहे की जुबानी
इसी बीच चर्च के सटे क्षेत्र में एक बुजुर्ग व्यक्ति मिला, जो गाय चरा रहा था. करीब जाकर पूछा: आप यहीं रहते हैं. कहा, बाबू हम चरवाहा हैं. नाम क्या है. कहा: निर्मल. हमने पूछा, क्या बात है आज फादर और कोई सिस्टर नहीं दिख रहे. बोला पता नहीं. फिर कहा, रुकिये. मैं देखकर आता हूं कि सिस्टर और फादर हैं कि नहीं. फिर वह दीवार फांदकर अंदर चले गये. आवाज लगायी, लेकिन कोई नहीं निकला. वे बाहर आकर बोले लगता है दो दिन पहले लाेग खूंटी गये हैं तो वापस नहीं आये हैं. हमने पूछा, क्यों गये थे खूंटी. कहा, यह तो नहीं पता. फिर पूछा आप मंगलवार को गाय चराने आये थे क्या. ना बाबू कुछ काम था तो नहीं आया. लेकिन पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि सभी एक साथ कहीं चले जाएं. अंदर में बच्चियां हैं, लेकिन वे डरी लग रही हैं. हमसे भी बात नहीं की.
रुको, कहां से आये हो कहां गये थे, कौन हो
स्कूल से महज आधे किमी की दूरी पर मुख्य सड़क पर बने चौराहे पर पत्थलगड़ी की गयी थी. जब प्रभात खबर की टीम वापसी में वहां से होकर खूंटी के लिए जैसे ही मुड़ी, तो एक युवक तेजी से सामने आया. कहा, रुको. कहां गये थे. कौन हो़ चालक ने वहां की स्थानीय भाषा में कहा कि कुछ काम था स्कूल गये थे. फिर वह युवक वहां से हट गया. टीम खूंटी के लिए रवाना हो गयी. रास्ते में कुछ हिस्से चाईबासा जिले के तो कुछ खूंटी जिले के मिले. सड़क पर ट्रैफिक ना के बराबर. सड़क किनारे कुछ गांव तो जरूर मिले, लेकिन आबादी काफी कम दिखी.