रांची: राज्य में शिक्षा विभाग में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव वर्षो से लंबित हैं. सरकारें बदल गयीं पर दर्जन भर प्रस्ताव विभागों के चक्कर काटते रह गये. नियुक्ति की आस में शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थियों की उम्र गुजर गयी, पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई. कुछ नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई भी तो अधर में लटक गयी. राज्य में 230 अपग्रेड उच्च विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2009-10 में शुरू हुई, पर आज तक पूरी नहीं हुई. राज्य के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी आज तक पूरी नहीं हुई है. अब तक की सभी सरकारों ने नियुक्ति प्रक्रिया जल्द पूरी करने की बात की, पर की नहीं. इनमें कई ऐसे प्रस्ताव भी हैं जिनकी प्रक्रिया पूरी नहीं होने से प्रति वर्ष सरकार की किरकिरी होती है.
प्लस टू उच्च विद्यालय में नियुक्ति
प्लस टू उच्च विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए चार विषयों में रोस्टर क्लियर नहीं है. राज्य गठन के बाद वर्ष 2012 में प्लस टू उच्च विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति हुई, पर रोस्टर क्लियर नहीं होने के कारण भौतिकी, रसायन, व इतिहास विषय में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई.
असर
नियुक्ति नहीं होने के कारण राज्य के 171 प्लस टू उच्च विद्यालय में भौतिकी, रसायन, व इतिहास के शिक्षक नहीं हैं. इससे विज्ञान का रिजल्ट प्रभावित हो रहा है.
बीपीएल बच्चों का शुल्क निर्धारण
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधान अनुरूप में निजी स्कूलों में 25 फीसदी बीपीएल बच्चों का नामांकन लेना है. बच्चों का शुल्क सरकार को देना है, पर चार वर्ष से शुल्क का निर्धारण नहीं हो पाया है.
असर
शुल्क निर्धारण नहीं होने से निजी स्कूलों में बीपीएल बच्चों के नामांकन का मामला अधर में लटक गया है. स्कूलों ने जिन बच्चों का नामांकन लिया उसका भी शुल्क नहीं दिया गया.
मध्य विद्यालय में पद अपग्रेड करना
राज्य में वर्ष 2010 से शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रभावी है. अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप मध्य विद्यालय में विज्ञान, भाषा व सामाजिक विज्ञान विषय के एक-एक स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों का पद होना अनिवार्य है. शिक्षा विभाग वर्ष 2012 से पद अपग्रेड करने का प्रस्ताव तैयार कर प्रक्रिया पूरी करने की बात कह रहा है.
असर
स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के पद अपग्रेड नहीं होने से राज्य के मध्य विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रुक गयी है. शिक्षक पात्रता परीक्षा पास लगभग 43 हजार परीक्षार्थी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.
इंटर प्रस्वीकृति नियमावली 2005 में संशोधन
इंटर कॉलेज प्रस्वीकृति नियमावली 2005 में संशोधन के लिए वर्ष 2011 में कमेटी गठित की गयी थी. कमेटी ने वर्ष 2012 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. कमेटी का गठन अजरुन मुंडा सरकार के कार्यकाल में किया गया था. इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा, फिर नयी सरकार बनी. इसके बाद भी अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका.
असर
इंटर प्रस्वीकृति नियामवली 2005 व स्थापना अनुमति नियमावली 2008 में संशोधन के प्रस्ताव लंबित होने से राज्य के लगभग 600 से अधिक स्कूल कॉलेजों की मान्यता का मामला अधर में लटक गया है.
लंबित प्रस्ताव
प्राथमिक विद्यालय के 18 हजार शिक्षकों की प्रोन्नति
कक्षा नौ में नैतिक शिक्षा की पढ़ाई
झारखंड एकेडमिक काउंसिल बोर्ड का गठन
कक्षा नौ का दस फीसदी अंक मैट्रिक में जोड़ना
कक्षा 11 वीं का दस फीसदी अंक 12वीं में जोड़ना
निजी स्कूल में पढ़ने वाले बीपीएल बच्चों का शुल्क निर्धारण
उच्च विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति को लेकर एक नियमावली
स्थापना अनुमति उच्च विद्यालय नियमावली 2008 में संशोधन
अपग्रेड उच्च विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति
नियुक्ति के इंतजार में गुजर गयी अभ्यर्थियों की उम्र
राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की अंतिम नियुक्ति वर्ष 2006 में हुई थी. उस समय लगभग 500 शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. आठ वर्ष से प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों की नियुक्ति की उम्र बीत रही है. सामान्य वर्ग में शिक्षक नियुक्ति के लिए 35 वर्ष की उम्र निर्धारित की गयी है. वर्ष 2000 में 25 वर्ष में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी की नियुक्ति की उम्र गुजर गयी है.