बिहार ने कहा, नहीं देंगे नक्शा

पटना/रांची: झारखंड के 55 हजार गांवों का नक्शा फिलहाल बिहार से नहीं मिलेगा. नक्शा के लिए झारखंड सरकार ने न्यायालय में जाने की धमकी दी है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी का कहना है कि दोनों सरकारों के बीच कई मामले लंबित हैं. परिसंपत्ति वितरण का मामला अब भी लंबित है. ऐसी परिस्थिति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2014 8:09 AM

पटना/रांची: झारखंड के 55 हजार गांवों का नक्शा फिलहाल बिहार से नहीं मिलेगा. नक्शा के लिए झारखंड सरकार ने न्यायालय में जाने की धमकी दी है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी का कहना है कि दोनों सरकारों के बीच कई मामले लंबित हैं.

परिसंपत्ति वितरण का मामला अब भी लंबित है. ऐसी परिस्थिति में झारखंड को बिहार से नक्शा उपलब्ध कराना संभव नहीं है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव हुकुम सिंह मीणा ने स्वीकार किया है कि झारखंड को नक्शा नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसका निर्णय अब दोनों राज्यों की परिसंपत्ति वितरण के लिए बनी कमेटी को तय करना है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार पर भविष्य निधि मद का ढाई हजार करोड़ रुपये का बकाया है.

अपने बूते झारखंड ने जुगाड़े 20 हजार नक्शे
रांची: बिहार से झारखंड के 32 हजार गांवों का मूल नक्शा अब भी नहीं मिल रहा है. बिहार के पास झारखंड के 55 हजार से अधिक मूल नक्शे हैं. अलग झारखंड राज्य गठन के बाद कई बार राज्य सरकार की ओर से बिहार से नक्शे की मांग की गयी.

इसे लेकर आधिकारिक स्तर पर कई दौर की बातचीत भी हुई, लेकिन इसका सकारात्मक नतीजा नहीं निकला. फिलहाल, झारखंड में संबंधित विभाग ने 20 हजार डिजिटल नक्शे तैयार कर लिये हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिहार के असहयोगात्मक रवैये को देखते हुए मुकदमा करने का निर्देश दिया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है.

20 हजार विलेज मैप डिजिटाइज्ड

विभागीय अधिकारियों ने अपने स्तर से 20 हजार गांवों के नक्शे डिजिटाइज्ड कर दिये हैं. झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (जेसैक) की मदद से वसुधा लोकोन्मुख सूचना तंत्र विकसित किया गया है. सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन में भूमि स्वामित्व संबंधी सूचना, खेसरा नक्शों के साथ उपलब्ध कराया गया है. राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत डिजिटाइजेशन का काम किया गया है. इसमें बोकारो, लोहरदगा, रांची, चतरा, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, गिरिडीह, गोड्डा, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, सरायकेला-खरसावां और सिमडेगा जिले शामिल हैं. वसुधा सॉफ्टवेयर के जरिये इन जिलों के 75 से अधिक प्रखंडों के विलेज मैप की डिजिटाइज्ड कॉपी शीट वार अपलोड की गयी है. इन विलेज मैप में बंदोबस्त पदाधिकारी का हस्ताक्षर भी है. सरकार ने इन नक्शों को डाउनलोड कर उसका उपयोग करने की सुविधा दी है.

कंप्यूटरीकरण में हजारीबाग आगे
सबसे अधिक नक्शे हजारीबाग जिला, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम जिले में कंप्यूटरीकृत किये गये हैं. रांची में नामकुम प्रखंड, दुमका में गोपीकांदर, जामा और रामगढ़, धनबाद में बाघमारा, बलियापुर, गोविंदपुर और निरसा, कोडरमा में चंदवारा और कोडरमा और गोड्डा जिले में पथरगामा प्रखंड का विलेज मैप कंप्यूटरीकृत कर लिया गया है. बोकारो जिले में गोमिया, जरिडीह, कसमार, नावाडीह और पेटरवार प्रखंड, चतरा में हंटरगंज, कुंदा, लावालौंग, प्रतापपुर और सिमरिया प्रखंड, गिरिडीह जिले में बेंगाबाद, धनवार, डुमरी, गांवां, गिरिडीह, जमुआ और पीरटांड़ प्रखंड, गुमला जिले में भरनो, विशुनपुर, चैनपुर, डुमरी प्रखंड, सिमडेगा में बानो, बोलबा, कोलेबिरा, कुरडेग, सिमडेगा और ठेठइटांगर प्रखंड, लोहरदगा में किस्को, कुड़ू, लोहरदगा और स्नेहा प्रखंड के डिजिटाइजेशन का काम पूरा कर लिया गया है.

मूल नक्शा नहीं मिलने में परेशानी तो हो रही है. मुख्यमंत्री के आदेश पर जल्द ही अमल किया जायेगा. हम अपने विभिन्न स्नेतों के जरिये नक्शा इकट्ठा कर जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. वन विभाग के पास 19 हजार नक्शे तो हैं, पर उनके लैमिनेटेड होने से एक्सिस का मिलान नहीं हो पाता है.

जेबी तुबिद, प्रधान सचिव, भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग.

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